जावेद राणा ने वन विभाग की व्यापक बैठक की अध्यक्षता की

जम्मू। स्टेट समाचार
जल शक्ति, वन पारिस्थितिकी एवं पर्यावरण तथा जनजातीय मामलों के मंत्री जावेद अहमद राणा ने नागरिक सचिवालय जम्मू में वन विभाग के सभी क्षेत्रों की व्यापक समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में आयुक्त सचिव वन, पारिस्थितिकी एवं पर्यावरण, प्रधान मुख्य वन संरक्षक जम्मू-कश्मीर, पीसीसीएफ/निदेशक मृदा एवं जल संरक्षण विभाग, पीसीसीएफ/मुख्य वन्यजीव वार्डन जम्मू-कश्मीर, अध्यक्ष जेके प्रदूषण नियंत्रण समिति जम्मू-कश्मीर, निदेशक वन अनुसंधान संस्थान जम्मू-कश्मीर, वन पारिस्थितिकी एवं पर्यावरण विभाग में सचिव, निदेशक वन सुरक्षा बल जम्मू-कश्मीर, निदेशक सामाजिक वानिकी जम्मू-कश्मीर, प्रबंध निदेशक जम्मू-कश्मीर एफडीसी, निदेशक पारिस्थितिकी, पर्यावरण एवं सुदूर संवेदन विभाग जम्मू-कश्मीर, मुख्य वन संरक्षक जम्मू/कश्मीर, मुख्य वन संरक्षक योजना एवं परियोजनाएं, मुख्य कार्यकारी निदेशक डब्ल्यूयूसीएमए कश्मीर, क्षेत्रीय वन्यजीव वार्डन जम्मू/कश्मीर, निदेशक वित्त, वन, पारिस्थितिकी एवं पर्यावरण विभाग, सरकार के विशेष सचिव, वन, पारिस्थितिकी एवं पर्यावरण विभाग, सरकार के अतिरिक्त सचिव (सभी), वन, पारिस्थितिकी एवं पर्यावरण शामिल हुए।
बैठक के दौरान वन विभाग के विभिन्न विंगों में मानव संसाधन प्रबंधन पर विस्तृत चर्चा की गई। अधिकारियों को संबोधित करते हुए जावेद राणा ने विभाग में स्वीकृत/पदस्थ/रिक्त पदों का ब्यौरा मांगा तथा विभागाध्यक्षों द्वारा इन मुद्दों के समाधान के लिए उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी ली। उन्होंने सभी विभागाध्यक्षों से जवाबदेही और पारदर्शिता बनाए रखने, प्रशासनिक दक्षता सुनिश्चित करने तथा कर्मचारियों से संबंधित मामलों का समय पर समाधान करने का आग्रह किया। योग्य कर्मचारियों के लिए करियर की प्रगति सुनिश्चित करने के लिए विभाग में समयबद्ध पदोन्नति की आवश्यकता पर जोर देते हुए, मंत्री ने अधिकारियों से कार्रवाई योग्य समाधान मांगे। उन्होंने कहा कि पदोन्नति और रिक्तियों को भरने के माध्यम से नियुक्ति में कोई अनावश्यक देरी नहीं होनी चाहिए। वन विभाग के कुशल संचालन के लिए रिक्त पदों को तुरंत भर्ती एजेंसियों को भेजा जाना चाहिए। अदालती मामलों को सख्ती से आगे बढ़ाने और मुकदमेबाजी को समाप्त करने की आवश्यकता है जो मानव संसाधन प्रबंधन में बाधा डाल रहे हैं।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 


 बैठक के दौरान प्रमुख फ्लैगशिप योजनाओं की भौतिक और वित्तीय प्रगति की भी समीक्षा की गई। ग्रीनिंग जम्मू और कश्मीर पहल की विस्तृत समीक्षा की गई और राष्ट्रीय वन नीति के अनुसार वन क्षेत्र बढ़ाने पर इसके प्रभाव की समीक्षा की गई। मंत्री ने बाहरी लकड़ी की आपूर्ति पर निर्भरता कम करने और आत्मनिर्भरता बढ़ाने के लिए दीर्घकालिक रणनीति पर भी जोर दिया। उन्होंने बंद करने के आदेश, पर्यावरण क्षतिपूर्ति और अनुपालन सुधार सहित प्रवर्तन कार्रवाइयों की भी समीक्षा की और कहा कि प्रमुख शहरी केंद्रों में स्वच्छ वायु कार्य योजनाओं को प्राप्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण ध्यान दिया जाना चाहिए। वनों पर निर्भर समुदायों और जनजातीय सहभागिता को मजबूत करने के लिए कदम उठाए जाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए राणा ने वनवासियों द्वारा दायर वन अधिकार अधिनियम के तहत लंबित दावों को तेजी से निपटाने का आह्वान किया।
वन संरक्षण उपायों की समीक्षा करते हुए राणा ने कहा कि प्रतिकूल जलवायु परिस्थितियों के कारण वन अग्नि की रोकथाम और प्रबंधन तंत्र का महत्व बढ़ गया है और पहले से ही शमन उपाय किए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने अधिकारियों को राजस्व सृजन और पारिस्थितिकी पर्यटन तथा वन मनोरंजन के माध्यम से सृजित सतत आजीविका के लिए उपलब्ध संसाधनों का अधिकतम उपयोग करने के निर्देश भी दिए। वन अधिकारियों और अग्रिम पंक्ति के कर्मचारियों के लिए उन्नत अनुसंधान और क्षमता निर्माण कार्यक्रमों के माध्यम से उच्च गुणवत्ता वाली पौध सामग्री विकसित करने की प्रगति पर भी चर्चा की गई।
राणा ने कहा कि वन क्षेत्र को कवर करने के लिए वन विभाग और अन्य उपयोगकर्ता एजेंसियों को आपूर्ति के लिए हर साल महत्वपूर्ण प्रजातियों के पौधे उगाए जाने चाहिए। बैठक के दौरान विभाग के विभिन्न विंगों की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए विस्तृत प्रस्तुति दी गई।

   

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