जोशीमठ भू-धसाव: सरकार की उपेक्षा से प्रभावितों का सब्र जवाब दे रहा, बड़े आंदोलन की तैयारी

जोशीमठ, 14 सितंबर (हि.स.)। जोशीमठ भू-धसाव आपदा प्रभावितों का सब्र अब जवाब दे रहा है और समस्या के समाधान के समाधान में देरी से प्रभावित लाेग बड़े आंदाेलन की ओर बढ़ने काे विवश हाे गए हैं।

हाल ही में, जोशीमठ के तलहटी इलाके मारवाड़ी में भू-स्खलन हुआ, और शनिवार को जोशीमठ -नरसिंह मंदिर मोटर मार्ग पर चट्टान टूटने से नरसिंह मंदिर -बद्रीनाथ मार्ग अवरुद्ध हो गया है। इस चट्टान के टूटने से जोशीमठ के मुख्य बाजार का भी खतरा बढ़ गया है। पूरी चट्टान खिसकने पर जोशीमठ मुख्य चौराहे, नरसिंह मंदिर पैदल मार्ग और लोनीवि वाले क्षेत्र को भारी खतरा हो सकता है।

जोशीमठ भू धसाव आपदा को 20महीने बीत चुके हैं, लेकिन अभी तक ट्रीटमेंट और अन्य मांगों पर काेई कार्यवाही नहीं हुई है। केंद्र और प्रदेश में एक ही दल की सरकार होने के बावजूद जोशीमठ की इतनी उपेक्षा ने स्थानीय लाेगाें काे परेशान कर दिया है। जनवरी 2023 में और भू-धसाव के बाद प्रभावितों को राहत शिविरों में भेजा गया था। मुख्यमंत्री ने प्रभावितों के दुःख दर्द को सुना और राहत का आश्वासन भी दिया, लेकिन मुआवजा राशि अभी तक भी तय नहीं हो पाई।

जनवरी 2024 में आठ वैज्ञानिक संस्थानों की रिपोर्ट के आधार पर 14 डेंजर जोन चिन्हित किए गए थे, जहाँ से 1200 परिवारों को हटाना और ट्रीटमेंट शुरू करना था। आठ महीने बाद भी इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति और मूल निवासी स्वाभिमान संगठन ने कई प्रदर्शन और ज्ञापन सौंपे हैं, लेकिन सरकार की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।

अब प्रभावितों का सब्र जवाब दे रहा है और आंदोलन की रणनीति को अंतिम रूप देने के लिए बैठकों का दौर शुरू हो चुका है। शुक्रवार की बैठक के बाद रविवार को भी एक महत्वपूर्ण बैठक होने वाली है, जिसमें आंदोलन की रूपरेखा तय की जाएगी।

हिन्दुस्थान समाचार / प्रकाश कपरुवाण

   

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