किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए करें प्रेरित : केवल सिंह पठानिया

धर्मशाला, 06 फ़रवरी (हि.स.)। उपमुख्य सचेतक केवल सिंह पठानिया ने कहा कि कृषि विभाग के अधिकारी कांगड़ा जिला में ज्यादा से ज्यादा किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए प्रेरित करें ताकि किसानों की आमदनी को बढ़ाया जा सके। मिनी सचिवालय के सभागार में कृषि विभाग की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि प्राकृतिक कृषि उत्पादों की काफी डिमांड है और इसी को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने देश में प्राकृतिक खेती से उत्पादित गेहूं और मक्की के लिए सबसे अधिक समर्थन मूल्य प्रदान कर एक मिसाल कायम की है। गेहूं के लिए 40 रुपये प्रति किलोग्राम और मक्की के लिए 30 रुपये प्रति किलोग्राम मूल्य निर्धारित किया गया है।

उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती के माध्यम से उगाई गई मक्की से तैयार हिमभोग-हिम मक्की आटे की खरीद की शुरूआत और प्राकृतिक खेती करने वाले प्रत्येक परिवार से 20 क्विंटल तक अनाज खरीदने की गारंटी ने किसानों की आय में उल्लेखनीय वृद्धि की है। उन्होंने कहा कि सरकार ने 1,506 किसानों से 398 मीट्रिक टन मक्की खरीद कर और उनके खातों में सीधे 1.20 करोड़ रुपये हस्तांतरित कर लाभान्वित किया है। इसके साथ ही जैविक खाद और वर्मी-कम्पोस्ट खरीदने की योजना को भी शुरू कर दिया है, जिससे छोटे किसानों और पशुपालकों को लाभ मिला है।

मिट्टी की जांच के आधार पर फसलें करवाएं तैयार

उपमुख्य सचेतक केवल सिंह पठानिया ने कहा कि कृषि उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए मिट्टी के पोषक तत्वों की जांच अत्यंत जरूरी है। मिट्टी की जांच के आधार पर ही अच्छी तरह से तय कर सकते हैं कि उन्हें कौन सी फसल पैदा करनी चाहिए और उन्हें किसको छोड़ना चाहिए। मृदा स्वास्थ्य कार्ड की बदौलत किसानों को मृदा स्वास्थ्य का उचित रिकॉर्ड मिलेगा। साथ ही, वे मृदा प्रबंधन प्रथाओं का अध्ययन कर सकते हैं। इसके अनुसार, वे अपनी फसलों और भूमि के भविष्य की योजना बना सकते हैं। उन्होंने कृषि विभाग के अधिकारियों को किसानों को कीटनाशकों तथा रसायनिकों का कम प्रयोग करने के लिए भी प्रेरित करने के निर्देश दिए हैं।

फसल बीमा योजना के साथ ज्यादा से ज्यादा किसान जुड़ें

उपमुख्य सचेतक केवल सिंह पठानिया ने कहा कि फसल बीमा योजना किसानों के लिए काफी कारगर साबित हो सकती है इस के लिए कृषि विभाग के अधिकारी किसानों को जागरूक करें तथा सभी किसानों को फसल बीमा योजना के साथ जोड़ने के लिए शिविरों का आयोजन भी करें। इसके साथ ही सरकार की ओर से कृषि को बढ़ावा देने के लिए आरंभ की गई योजनाओं की जानकारी पात्र लोगों तक पहुंचाएं।

हिन्दुस्थान समाचार / सतिंदर धलारिया

   

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