हिसार : एक देश एक चुनाव की आड़ में संविधान को छिन्न-भिन्न करने का प्रयास:बख्शी
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- Jan 19, 2025
जाट धर्मशाला में ‘एक देश एक चुनाव’ विषय पर सेमिनार का आयोजन
हिसार, 19 जनवरी (हि.स.)। डेमोक्रेटिक फोरम हिसार की ओर से जाट धर्मशाला में ‘एक देश एक चुनाव’ विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया। पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट
के एडवोकेट अश्वनी बख्शी सेमिनार के मुख्य वक्ता रहे जबकि सेमिनार की अध्यक्षता फोरम
के संरक्षक डाक्टर सतीश कालरा व डाक्टर रमेश सिदड़ ने की। डॉ. बलजीत भ्यान, एमएल सहगल,
शकुंतला जाखड़, सतबीर धायल व एडवोकेट प्रेम ने भी सेमिनार मे अपने विचार प्रकट किए।
कार्यक्रम का संचालन फोरम के सचिव सत्यवीर सिंह ने किया।
वक्ताओं ने रविवार को आयोजित इस सेमिनार में कहा कि केन्द्र सरकार ने पिछले
वर्ष 16 दिसंबर को लोकसभा में ‘एक देश एक चुनाव’ विधेयक व केन्द्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल
ने इसी विषय से संबंधित 129वां संविधान संशोधन विधेयक पेश किया। इस विषय में सत्तारूढ
केन्द्र सरकार द्वारा पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता मे गठित कमेटी की
18626 पेज की विस्तृत रिपोर्ट में लोकसभा व समस्त राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ
कराए जाने व इसके 100 दिन के अंदर सभी स्थानीय निकायों के चुनाव करवाने की सिफारिश
की गई है।इसी से संबंधित दो विधेयकों के माध्यम से 15वां सविंधान संशोधन भी किए जाने
हैं। फिलहाल दो तिहाई समर्थन के अभाव मे विधेयक के भारी विरोध के बीच इसे समीक्षा के
लिए 39 सदस्यीय सयुंक्त संसदीय को सौंपा गया है।
एक देश एक चुनाव मुद्दे पर चर्चा करते हुए मुख्य वक्ता ने अपने संबोधन मे बताया
कि सत्तारूढ दल द्वारा एक देश एक चुनाव की आड़ मे देश के संविधान मे प्रदत संघीय ढांचे
को छिन्न-भिन्न करने, बहु दलीय
चुनाव प्रणाली की जगह एक दल एक नेता को स्थापित करने का प्रयास है।दरअसल लोकसभा व विधानसभा
के एक साथ चुनाव करवाने मे ही दोगुना से ज्यादा वोटिंग मशीन चाहिए। स्टेशनरी, चुनावी
अमला, सुरक्षा आदि का खर्च भी लगभग समान ही रहेगा।चुुनाव में भारी भरकम पैसा खर्च करने
वाले सत्तारुढ दल को चुनावी खर्च बढ़ने की बात करना शोभा नहीं देता। एक साथ चुनाव से
राज्यों के स्थानीय मुद्दों की अनदेखी होगी। प्रस्तावित नए नियम से लोकसभा या विधानसभा
के बीच मे बहुमत खोने की स्थिति मे सम्बन्धित सदन के सदस्य बाकी बची अवधि के लिए चुनाव
मे जाने की बजाय थोक मे दल-बदल व खरीद फरोख्त को अपनाएंगे। पूरे 4 साल 10 महीने जनता
की अनदेखी करने वाले नेता दो महीने की आचार संहिता का रोना रोते है। आचार संहिता विकास
कार्यों मे कोई बाधा नहीं है। चुनावी सुधारों के लिए गठित इन्द्रजीत कमेटी की सिफारिशें
लागू की जानी चाहिए, कोर्पोरेट फंडिंग बंद हो, राज्य राजनीतिक पार्टियों को चुनाव खर्च
मुहैया कराए। चुनाव लोकतंत्र का आभूषण हैं। स्वतंत्र तथा निष्पक्ष चुनाव आयोग, न्यायिक
प्रणाली तथा कार्यपालिका समय की आवश्यकता है।
हिन्दुस्थान समाचार / राजेश्वर