नेता सरकार बनाने में व्यस्त, जनता भोज खाने में मस्त

सारण, 19 नवंबर (हि.स.)। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के परिणाम 14 नवंबर को घोषित होने के साथ ही राज्य का सियासी पारा भले ही चढ़ा हुआ हो, लेकिन आम जनता की प्राथमिकताएं पूरी तरह बदल चुकी हैं। जहां एक ओर विजयी और पराजित दोनों खेमों के नेता और कोर- कार्यकर्ता नई सरकार बनाने या विपक्ष की रणनीति तय करने के राजनीतिक मंथन में जुटे हैं।

दूसरी ओर देवोत्थान एकादशी के बाद 18 नवंबर से शुरू हुए विवाह के शुभ मुहूर्त ने प्रदेश के घर-घर में मांगलिक उत्साह का माहौल पैदा कर दिया है। वही आम जनता और कार्यकर्ताओं का एक बड़ा हिस्सा अब पूरी तरह से वैवाहिक आयोजनों में खो चुका है।

पंडित द्वारकानाथ तिवारी ज्योतिषाचार्य के अनुसार नवंबर और दिसंबर 2025 में विवाह के सीमित लेकिन शुभ मुहूर्त हैं जैसे 18, 21, 22, 23, 25, 30 नवंबर और 4, 5, 6 दिसंबर । इन तिथियों के चलते लोगों की व्यस्तता चुनाव नतीजों से हटकर शादी की तैयारियों पर केंद्रित हो गई है। वहीं बाजार में मंडप की सजावट, बैंड - बाजा, लाइट एंड साउंड, कैटरिंग और कपड़ों के बाजारों में ग्राहकों की भीड़ बढ़ गई है।

पारंपरिक विवाह सामग्री मुकुट, कलश, सिंदौरा आदि की बिक्री ने एक बार फिर स्थानीय कारोबारियों को राहत दी है। चुनाव प्रचार में लगे कई युवा और मध्यम - स्तर के कार्यकर्ता, जो हाल तक जिंदाबाद के नारे लगा रहे थे, अब अपने या रिश्तेदारों के यहाँ शादी की रस्मों में बाराती या मेजबान की भूमिका निभा रहे हैं।

चुनावी थकान अब हल्दी, संगीत और भोज की ऊर्जा से बदल गई है। भाजपा नेता धर्मेन्द्र कुमार सिंह के करीबी कार्यकर्ता राजेश कुमार बताते हैं, पहले दिन भर बूथ प्रबंधन और मीटिंग में थे, अब रात भर शादी के टेंट और पंडाल में व्यस्त हैं। चुनाव अपनी जगह है, लेकिन बेटी की शादी की जिम्मेदारी उससे बड़ी है। दो दिन पहले जीत का जश्न मनाया, अब लगन का काम निपटा रहे हैं। यह बदलाव केवल जनता और कार्यकर्ताओं तक सीमित नहीं है।

चुनाव के दौरान हाई अलर्ट पर रहा प्रशासनिक अमला भी अब कानून व्यवस्था और सामान्य सरकारी कार्यों पर लौट आया है।

सारण ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि यहाँ की जनता चुनावी युद्ध के बाद, जीवन के सामाजिक और सांस्कृतिक उत्सवों को पूरी ऊर्जा और उत्साह के साथ गले लगाती है।

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हिन्दुस्थान समाचार / धनंजय कुमार

   

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