अमृत स्नान मोक्ष प्राप्ति की संकल्पना, महाकुम्भ की अद्भुत चेतना को जागृत करती है:नीलकंठ तिवारी
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- Feb 05, 2025
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—इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केन्द्र वाराणसी में व्याख्यान
वाराणसी,05 फरवरी (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री और वाराणसी शहर दक्षिणी के विधायक डॉ नीलकंठ तिवारी ने महाकुंभ में अमृत स्नान के महिमा को बताया। उन्होंने कहा कि अमृत स्नान मोक्ष प्राप्ति की संकल्पना, महाकुम्भ की अद्भुत चेतना को जागृत करती है।
विधायक डॉ तिवारी बुधवार अपरान्ह में ‘‘महाकुम्भः वैश्विक चेतना का जागृत स्वरूप’’ विषयक विशिष्ट व्याख्यान को बतौर मुख्य अतिथि सम्बोधित कर रहे थे। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र,क्षेत्रीय केन्द्र वाराणसी एवं प्रज्ञा संस्थान,नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित विशिष्ट व्याख्यान में विधायक ने महाकुंभ के ऐतिहासिक तथ्यों और पौराणिक महत्व को बताया।
व्याख्यान में बतौर मुख्य वक्ता बीएचयू व्याकरण विभाग के प्रो. ब्रजभूषण ओझा ने कुम्भ की पारम्परिक एवं पौराणिक व्याख्या करते हुये कुम्भ की महिमा तथा उसके प्रासंगिकता का विस्तार से उल्लेख किया। विशिष्ट अतिथि पीजीडीएवी सांध्य महाविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली ने भी कुम्भ की व्यापकता को सांस्कृतिक एवं धार्मिक रूप में वैश्विक चेतनात्मक स्वरूप’ में परिभाषित किया।
व्याख्यान में विशिष्ट अतिथि श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के सीईओ (मुख्य कार्यपालक अधिकारी)डॉ विश्वभूषण मिश्र ने कहा कि ‘सनातन की चेतना को वैश्विक पटल पर यह महाकुम्भ स्वयं उद्घोषित कर रहा है’। इसको रचनात्मक अभिव्यक्तियों से सीईओं ने बताया। व्याख्यान की अध्यक्षता सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी के कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा ने की। कुलपति प्रो. शर्मा ने विभिन्न ज्योतिषीय प्रमाणों तथा शास्त्रीय तर्कों के आधार पर कुम्भ की व्याख्या की। उन्होंने भारत की सांस्कृतिक चेतना के प्रतीक इस महाकुम्भ के विभिन्न आयामों को भी बताया। इसके पहले इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केन्द्र के क्षेत्रीय निदेशक, डॉ. अभिजित दीक्षित ने अतिथियों का स्वागत कर व्याख्यान के विषय को पटल पर रखा। उन्होंने कहा कि सनातन समाज कुम्भ की आध्यात्मिक चेतना का प्रतिनिधित्व करते हुये सारस्वत ज्ञान परम्परा की एक जागृत प्रतिमूर्ति है। इसे ही वैश्विक पटल पर वर्तमान महाकुम्भ अभिव्यक्त कर रहा है। धन्यवाद ज्ञापन सेवाभारती, काशी प्रान्त के मंत्री प्रशान्त श्रीवास्तव,संचालन केन्द्र के डॉ रजनीकांत त्रिपाठी ने किया। कार्यक्रम के शुरूआत में मंगलाचरण वृहस्पति पाण्डेय ने प्रस्तुत किया। व्याख्यान में रणवीर संस्कृत विद्यालय कमच्छा ,काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के छात्रों ने भी भागीदारी की।
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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी