विविधता में भी एकता है, भारतीय संस्कृति सद्बुद्धि देती हैः भागवत 

हैदराबाद, 24 नवंबर (हि.स.)। लोक मंथन-2024 कार्यक्रम का रविवार को समापन हो गया। चार दिवसीय यह कार्यक्रम हैदराबाद के शिल्पकला वेदिका में आयोजित किया गया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत समापन समारोह के मुख्य अतिथि थे। डॉ. भागवत ने कहा कि एकता शाश्वत है, विविधता में भी एकता है। हम गैरों के मैदान पर जाकर खेलना नहीं चाहते। हम दुनिया को अपने मैदान पर लाना चाहते हैं। भारतीय संस्कृति अच्छा दिल और सद्बुद्धि देती है।

संघ प्रमुख डॉ. भागवत ने कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) की नैतिकता और मानव मस्तिष्क एवं हृदय पर इसके उपयोग की विधि पर चर्चा जारी है। ये भारतीय संस्कृति ही है जो अच्छा दिल और दिमाग देती है, हम किसी के दुश्मन नहीं, हमें दुश्मन किसने बनाया। सैकड़ों साल पहले हमारे पूर्वजों ने कहा था कि ख़ुशी बाहर ढूंढी जाती है, लेकिन यह हमारे भीतर ही है। हमारा भारत सनातन देश है। हम सभी को धर्म के बारे में सोचना चाहिए और उसके लिए अपनी विज्ञान पुस्तकों का अध्ययन करना चाहिए!'

उन्होंने कहा कि कुछ साल पहले सुप्रीम कोर्ट के एक वकील से उनकी बातचीत हुई थी। उन्होंने पूछा कि कानून का शासन कहां से आया। विदेशी और अंग्रेज हमारे देश में आए और हमारी संस्कृति को नष्ट कर दिया। चाहे भौतिक जीवन कैसा भी चले, हमारे पूर्वजों ने एक बार कहा था कि यदि हम आध्यात्मिक मार्ग का अनुसरण करेंगे, तो धर्म कायम रहेगा। हमारे पूर्वज सृष्टि के नियमों का पालन करते थे। अब ऐसा नहीं है, हम धर्म से अधिक अधर्म कर रहे हैं इसका कारण स्वार्थ है। स्वार्थ बढ़ने से पुण्य क्षीण हो जाता है।

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हिन्दुस्थान समाचार / नागराज राव

   

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