मधुमेह प्रबंधन में आयुर्वेद अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए सीएआरआई और एसएनपीएस के बीच समझौता

नई दिल्ली, 10 मार्च (हि.स.)। मधुमेह प्रबंधन में आयुर्वेद अनुसंधान को आगे बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, सोमवार को आयुष मंत्रालय के केंद्रीय आयुर्वेद विज्ञान अनुसंधान परिषद (सीसीआरएएस) के तहत केंद्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान (सीएआरआई), कोलकाता ने स्कूल ऑफ नेचुरल प्रोडक्ट स्टडीज (एसएनपीएस ), जादवपुर विश्वविद्यालय, कोलकाता के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते के तहत प्रायोगिक पशुओं में मधुमेह के प्रबंधन में एक प्राचीन आयुर्वेदिक फॉर्मूलेशन, विदंगदि लौहम का मूल्यांकन किया जाएगा।

मंत्रालय ने बताया कि इस शोध परियोजना में आयुर्वेद अनुसंधान के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं, जिसका उद्देश्य मधुमेह प्रबंधन में विडंगदि लौहम के उपयोग के लिए एक मजबूत वैज्ञानिक आधार स्थापित करना है। इसके निष्कर्ष मधुमेह और इसकी जटिलताओं से निपटने के लिए उच्च गुणवत्ता वाले, सुरक्षित और प्रभावी आयुर्वेदिक फॉर्मूलेशन विकसित करने में सहायक होंगे।

इसके अलावा, इस शोध परियोजना के माध्यम से औषधीय पौधों के स्वास्थ्य लाभों को मान्य करने के लिए एक व्यापक डेटाबेस तैयार किया जाएगा जिससे वैश्विक स्वास्थ्य सेवा परिदृश्य में उनकी विश्वसनीयता सुनिश्चित हो सकेगी।

आयुर्वेदिक फॉर्मूलेशन को प्राकृतिक स्वास्थ्य-प्रचार एजेंट के रूप में लोकप्रिय बनाना भी इस समझौते का उद्देश्य है। मधुमेह एक बढ़ती वैश्विक चिंता है। इस शोध से कम से कम या बिना किसी दुष्प्रभाव के आयुर्वेदिक फॉर्मूलेशन के विकास को दिशा मिलेगी, जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार होगा और अनगिनत व्यक्तियों के जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाएगा।

समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर समारोह में दोनों संस्थानों के अधिकारी शामिल हुए, जिनमें डॉ. जी. बाबू, निदेशक, सीएआरआई, कोलकाता, डॉ. अनुपम मंगल, सहायक निदेशक (फार्माकोग्नोसी), डॉ. लालरिन पुइया, अनुसंधान अधिकारी (फार्माकोलॉजी), डॉ. शरद डी. पवार, सहायक निदेशक (फार्माकोलॉजी) और डॉ. राहुल सिंह, अनुसंधान अधिकारी (एईपी) शामिल थे। एसएनपीएस, जादवपुर विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व करते हुए, परियोजना के निदेशक और प्रधान अन्वेषक प्रो. (डॉ.) पल्लब कांति हलदर भी मौजूद थे

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हिन्दुस्थान समाचार / विजयालक्ष्मी

   

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