मधुकर दिवस का किया गया आयोजन, डोगरी कवि केहरि सिंह मधुकर को दी श्रद्धांजलि

जम्मू, 28 नवंबर (हि.स.)। वीरवार को डुग्गर मंच ने डोगरी के प्रसिद्ध कवि स्वर्गीय केहरि सिंह मधुकर के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में एक विशेष साहित्यिक कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य मधुकर जी के योगदान को याद करना और डोगरी साहित्य के प्रति उनके योगदान को नई पीढ़ी तक पहुँचाना था। जम्मू में आयोजित इस कार्यक्रम में डोगरी भाषा और साहित्य के कई नामी कवि और साहित्यकारों ने भाग लिया, जिन्होंने अपनी कविताओं और विचारों के माध्यम से मधुकर जी को भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की।

कार्यक्रम का शुभारंभ डुग्गर मंच के अध्यक्ष, पद्मश्री मोहन सिंह द्वारा किया गया। मोहन सिंह ने मधुकर जी के जीवन और उनके साहित्यिक योगदान पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, केहरि सिंह मधुकर ने अपने लेखन के माध्यम से डोगरी साहित्य को समृद्ध किया है और उनकी रचनाएँ आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देती रहेंगी। उनके साहित्यिक योगदान को भुलाया नहीं जा सकता, और हमें गर्व है कि उन्होंने डोगरी भाषा को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया।

इस विशेष अवसर पर, विभिन्न डोगरी कवियों ने अपनी रचनाओं का पाठ कर माहौल को साहित्यिक रंग में रंग दिया। काव्य पाठ की शुरुआत साहिल बडयाल ने की, जिनकी कविता ने श्रोताओं को गहराई से प्रभावित किया। इसके बाद शेख फैज, डॉ. सुरेश शर्मा, राकेश वर्मा, सरिता खजूरिया, चमन लाल चमन, खजूर सिंह, विजय वर्मा, पूरन चंद्र शर्मा, शिवदेव सिंह सुशील, और सुशील बेगना ने एक-एक करके अपनी भावनात्मक और प्रभावशाली कविताएँ प्रस्तुत कीं।

कवियों ने अपनी कविताओं में डोगरी भाषा की सुंदरता और मधुकर जी के साहित्यिक योगदान को उकेरा, जो इस कार्यक्रम की शोभा बढ़ाने के साथ-साथ श्रोताओं को मधुकर जी के योगदान को याद दिलाने का एक महत्वपूर्ण माध्यम बना। इन कविताओं ने मधुकर जी की विरासत को जीवंत किया और उनकी कविताओं से प्रभावित साहित्य प्रेमियों के दिलों को छू लिया। मंच का संचालन डॉ. सुषमा रानी राजपूत ने कुशलता से किया। उन्होंने सभी कवियों को आमंत्रित करते हुए कार्यक्रम की गति को संभाला और सभी श्रोताओं को साहित्यिक माहौल में बाँधे रखा। उनके प्रभावी संचालन ने कार्यक्रम को एक साहित्यिक यात्रा के रूप में ढाला, जहाँ हर कविता मधुकर जी की स्मृति को ताजा करती रही।

साहित्यिक कार्यक्रम के बाद, डुग्गर मंच की ओर से पद्मश्री मोहन सिंह के निवास पर एक विशेष दोपहर भोज का भी आयोजन किया गया। इस भोज में सभी उपस्थित कवि और साहित्यकार शामिल हुए, जहाँ अनौपचारिक चर्चाओं के माध्यम से साहित्य, संस्कृति, और डोगरी भाषा के भविष्य पर विचार विमर्श हुआ। यह अवसर डोगरी भाषा और साहित्य के प्रति समर्पित सभी साहित्यकारों के लिए एक प्रेरणादायक अनुभव बना। मधुकर दिवस का यह आयोजन डोगरी साहित्य में मधुकर जी की अमूल्य धरोहर को पुनः स्थापित करने और डोगरी साहित्य प्रेमियों को एकजुट करने का अवसर था। उनके साहित्यिक योगदान ने डोगरी साहित्य को समृद्ध किया है, और यह आयोजन उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि के रूप में आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम ने न केवल मधुकर जी की स्मृतियों को जीवंत किया, बल्कि डोगरी साहित्य की महत्ता को भी नई पीढ़ी के समक्ष प्रस्तुत किया।

हिन्दुस्थान समाचार / राहुल शर्मा

   

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