नेकां ने केंद्रीय बजट 2025-26 को संतुलित बताया
- Neha Gupta
- Feb 02, 2025
जम्मू, 2 फ़रवरी । जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस (जेकेएनसी) के प्रांतीय अध्यक्ष रतन लाल गुप्ता ने केंद्रीय बजट 2025-26 को संतुलित बताया है लेकिन इस बात पर जोर दिया कि इसमें जम्मू-कश्मीर के विकास और समृद्धि पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने आयकर में मध्यम वर्ग को राहत प्रदान करने के लिए केंद्रीय वित्त मंत्री की सराहना की साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई कि केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर की जरूरतों और मौजूदा चुनौतियों को प्राथमिकता देगी।
उन्होंने कहा बिहार राज्य की तरह, जम्मू-कश्मीर एक पिछड़ा और सीमावर्ती राज्य है इसलिए इसे भी केंद्रीय बजट में अधिक आवंटन मिलना चाहिए। गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहे केंद्र शासित प्रदेश के लिए विशेष परियोजनाओं या निधियों की कोई घोषणा नहीं की गई है। विकास परियोजनाएं या तो रुकी हुई हैं या धीमी गति से आगे बढ़ रही हैं जबकि जम्मू-कश्मीर में बेरोजगारी अपने चरम पर है। क्षेत्र में बढ़ती बेरोजगारी की समस्या पर प्रकाश डालते हुए रतन लाल गुप्ता ने कहा कि पर्यटन के अलावा जम्मू-कश्मीर में आर्थिक विकास के लिए कोई व्यवहार्य विकल्प नहीं है। उन्होंने कहा केवल पर्यटन जम्मू-कश्मीर की पूरी आबादी का भरण-पोषण नहीं कर सकता। यहां के अधिकांश उद्योग संघर्ष कर रहे हैं और उन्हें पुनर्जीवित करने और उनका समर्थन करने की तत्काल आवश्यकता है। सरकार को सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योग, जैसे रेल कोच फैक्ट्री, स्थापित करने के लिए सक्रिय कदम उठाने चाहिए जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना रोजगार पैदा कर सकते हैं।
वरिष्ठ एनसी नेता ने दुख जताया कि जम्मू-कश्मीर में औद्योगीकरण के संबंध में संसद में आश्वासन के बावजूद कोई ठोस प्रगति नहीं हुई है। उन्होंने कहा यह वादा किया गया था कि जम्मू-कश्मीर में नए उद्योग स्थापित किए जाएंगे लेकिन एक भी बड़ी औद्योगिक परियोजना साकार नहीं हुई है। नतीजतन, बेरोजगारी प्रतिदिन बढ़ती जा रही है जबकि इसे दूर करने के लिए कोई ठोस योजना नहीं है। रतन लाल गुप्ता ने जोर देकर कहा कि केंद्रीय बजट में जम्मू-कश्मीर में सीमावर्ती निवासियों, किसानों और फल उत्पादकों के लिए विशेष पैकेज शामिल किया जाना चाहिए था जो भारी कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं।
केंद्र से वित्तीय सहायता पर बोलते हुए रतन लाल गुप्ता ने कहा इससे पहले जब जम्मू-कश्मीर एक पूर्ण राज्य था तो केंद्र ने क्षेत्र के समग्र विकास के लिए 90 प्रतिशत अनुदान और 10 प्रतिशत ऋण प्रदान किया था। हालांकि अब केवल 10 प्रतिशत अनुदान के रूप में दिया जाता है जबकि 90 प्रतिशत ऋण के रूप में आता है जो जम्मू-कश्मीर की पहले से ही संघर्षरत अर्थव्यवस्था पर और बोझ डालेगा।