जम्मू क्षेत्र में एनसी को कश्मीर केंद्रित एजेंडा चलाने की अनुमति नहीं दी जाएगी: रंधावा

जम्मू, 21 नवंबर (हि.स.)। नेशनल कॉन्फ्रेंस सरकार पर निधाना साधते हुए बाहु निर्वाचन क्षेत्र के विधायक विक्रम रंधावा ने कहा है कि वह और उनकी पार्टी जम्मू क्षेत्र में एनसी को कश्मीर केंद्रित एजेंडा चलाने की अनुमति नहीं देंगे। उन्होंने कहा कि वह नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) द्वारा जम्मू क्षेत्र में युवाओं के अधिकारों को कमजोर करने वाले कश्मीर समर्थक एजेंडे को आगे बढ़ाने के निरंतर प्रयासों के खिलाफ मजबूती से खड़े होने की कसम खाते हैं।

रंधावा की टिप्पणी 10+2 लेक्चरर पदों के लिए सैकड़ों उम्मीदवारों द्वारा आयोजित विरोध प्रदर्शन में शामिल होने के बाद आई है जो जम्मू और कश्मीर लोक सेवा आयोग की 12 नवंबर की हालिया भर्ती अधिसूचना से नाराज थे जिसमें हिंदी और संस्कृत भाषा के पदों को पूरी तरह से नजरअंदाज किया गया था।

इस संबंध में जम्मू के प्रेस क्लब के बाहर आयोजित एक विशाल विरोध प्रदर्शन में सैकड़ों उम्मीदवारों ने भाग लिया जिनमें से कई ऐसे अवसरों के लिए वर्षों से इंतजार कर रहे थे। उम्मीदवारों ने 575 अन्य शिक्षण पदों के विज्ञापन के बावजूद भर्ती नोटिस से हिंदी और संस्कृत व्याख्याताओं को छोड़ दिए जाने पर अपनी निराशा व्यक्त की। जम्मू-कश्मीर पीएससी ने 12 नवंबर को अपने नोटिस में हिंदी और संस्कृत व्याख्याताओं के लिए किसी भी पद का विज्ञापन करने में विफल रहा जो जम्मू क्षेत्र की शैक्षिक प्रणाली में महत्वपूर्ण विषय हैं। रंधावा के हस्तक्षेप ने प्रदर्शनकारियों को उत्साहित किया है जिन्होंने न्याय के लिए अपनी लड़ाई जारी रखने की कसम खाई है।

पत्रकारों से बात करते हुए विधायक विक्रम रंधावा ने जम्मू क्षेत्र के युवाओं के खिलाफ स्पष्ट भेदभाव पर अपना आक्रोश व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि एनसी सरकार ने अभी सत्ता में वापसी की है और जम्मू के युवाओं की वैध आकांक्षाओं को दरकिनार करते हुए अपनी कश्मीर-केंद्रित नीतियों को आगे बढ़ाना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि यह अस्वीकार्य है और हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे।

रंधावा ने जम्मू-कश्मीर पीएससी की आलोचना की कि उसने फारसी के लिए चार पदों के लिए विज्ञापन दिया है जबकि हिंदी के लिए कोई भी पद नहीं दिया है जबकि यह राष्ट्रीय भाषा है। उन्होंने कहा हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा है और फारसी को प्राथमिकता देते हुए इसके साथ भेदभाव करना जम्मू के हर नागरिक का अपमान है। यह न केवल हमारी सांस्कृतिक विरासत के साथ विश्वासघात है बल्कि भारतीय के रूप में हमारी पहचान पर सीधा हमला है। उन्होंने आयोग से हिंदी के लिए 200 पद और डोगरी, पंजाबी और संस्कृत के लिए कम से कम 20 पद जोड़ने का आग्रह किया ताकि जम्मू क्षेत्र की विविध भाषाई जरूरतों के लिए उचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हो सके।

हिन्दुस्थान समाचार / राहुल शर्मा

   

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