
छात्रों और शिक्षकों ने ग्रामीण विकास में योगदान देने की ली शपथ
गुरुग्राम, 24 अप्रैल (हि.स.)। राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान मौजावाद में गुरुवार को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस बड़े उत्साह और उल्लास के साथ मनाया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता ग्राम मौजावाद के भूतपूर्व पंच राम किशन सैनी ने की। कार्यक्रम में छात्रों और शिक्षकों ने पंचायती राज के आदर्शों को अपनाने और ग्रामीण विकास में योगदान देने की शपथ भी ली। इस मौके पर संस्था के प्रधानाचार्य विजयपाल सैनी ने छात्रों को ग्राम पंचायत एवं पंचायती राज व्यवस्था के महत्व के बारे में विस्तार से बताया।
प्रधानाचार्य ने कहा कि 24 अप्रैल को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस मनाने का उद्देश्य उस ऐतिहासिक दिन को स्मरण करना है जब 73वां संविधान संशोधन लागू हुआ था। यह संशोधन 1992 में पारित हुआ और 24 अप्रैल 1993 से प्रभावी हुआ, जिससे पंचायती राज को संवैधानिक मान्यता प्राप्त हुई। उन्होंने कहा कि इस दिन विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिनमें पंचायतों को सम्मानित करना, जागरूकता अभियान चलाना और पंचायती राज व्यवस्था की भूमिका पर चर्चा करना शामिल है। यह व्यवस्था जमीनी स्तर पर लोगों को सशक्त बनाने और उन्हें विकास प्रक्रिया में भागीदार बनाने में अहम भूमिका निभाती है।
कार्यक्रम के दौरान छात्रों ने भी भाषणों के माध्यम से अपने विचार व्यक्त किए। इलेक्ट्रीशियन प्रथम वर्ष के छात्र तुषार ने कहा कि पंचायती राज व्यवस्था का इतिहास प्राचीन काल से है, परंतु इसका आधुनिक रूप स्वतंत्रता के बाद महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज के विचारों से प्रेरित होकर अस्तित्व में आया। 2 अक्टूबर 1959 को पंडित जवाहरलाल नेहरू ने राजस्थान के नागौर जिले में पंचायती राज व्यवस्था का औपचारिक उद्घाटन किया था।
इंजीनियरिंग ड्राइंग के अनुदेशक राजेंद्र चौधरी ने भी छात्रों को पंचायती राज की संरचना, कार्य प्रणाली और ग्राम सभा की भूमिका पर जानकारी दी। उन्होंने बताया कि ग्राम सभा पंचायती राज की मूल इकाई होती है, जिसमें गांव के सभी वयस्क मतदाता सदस्य होते हैं और यह लोकतंत्र की जड़ को मजबूत बनाती है।
हिन्दुस्थान समाचार / ईश्वर