हिमाचल को वित्तीय वर्ष 2025-26 में 42 हज़ार करोड़ का लोन देगा नाबार्ड, स्टेट फोकस पेपर जारी

शिमला, 23 जनवरी (हि.स.)। राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए हिमाचल प्रदेश के विकास के लिए 42,244 करोड़ रुपये की ऋण क्षमता का अनुमान लगाते हुए स्टेट फोकस पेपर जारी किया। नाबार्ड ने यह घोषणा शिमला में गुरुूवार को आयोजित कार्यक्रम में की। राज्य के मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने इस पेपर को जारी किया। इस अवसर पर नाबार्ड के सीजीएम डॉ. विवेक पठानिया भी मौजूद रहे।

मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने नाबार्ड की इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि यह प्रदेश के विकास में मील का पत्थर साबित होगी। उन्होंने कहा कि नाबार्ड के सहयोग से राज्य में विकास कार्यों को नई गति मिलेगी।

कृषि क्षेत्र को प्राथमिकता

नाबार्ड ने इस बार कृषि क्षेत्र को अपनी मुख्य प्राथमिकता में रखा है। स्टेट फोकस पेपर में 16,825 करोड़ रुपये कृषि और कृषि से संबंधित विकास परियोजनाओं के लिए आवंटित किए गए हैं। इस राशि से किसानों को अधिक सशक्त बनाने और कृषि उत्पादन में वृद्धि करने का प्रयास किया जाएगा। नाबार्ड ने इस बार ऋण प्रवाह में 22.5 फीसदी की वृद्धि की है, जो बीते वर्ष की तुलना में अधिक है।

बुनियादी ढांचे पर फोकस

डॉ. विवेक पठानिया ने कहा कि नाबार्ड राज्य सरकार के साथ मिलकर बुनियादी ढांचे के विकास के लिए काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि नाबार्ड हर साल सड़कों, सिंचाई और पेयजल परियोजनाओं के लिए 900 करोड़ रुपये का प्रावधान करता है। इस वर्ष भी यही राशि निर्धारित की गई है। नाबार्ड ने इस बार ग्रीन स्टेट की दिशा में विशेष ध्यान केंद्रित किया है, जो राज्य सरकार के भी प्राथमिक लक्ष्यों में से एक है।

ई-चार्जिंग स्टेशन और अन्य परियोजनाएं

नाबार्ड हिमाचल प्रदेश रोड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन को ई-चार्जिंग स्टेशनों के लिए 110 करोड़ रुपये देगा, जिससे 58 ई-चार्जिंग स्टेशन स्थापित किए जाएंगे। यह कदम राज्य में ई-वाहनों को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया है। इसके अलावा डगवार मिल्क प्लांट के लिए 200 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। नाबार्ड ने सहकारिता क्षेत्र को सशक्त बनाने के लिए कॉपरेटिव सोसाइटियों के कंप्यूटीकरण की योजना भी बनाई है।

निजी निवेश पर जोर

मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने इस अवसर पर कहा कि नाबार्ड की यह पहल हिमाचल प्रदेश के विकास में अहम भूमिका निभाएगी। उन्होंने कहा कि भारत को 2047 तक विकसित देश बनाने का जो लक्ष्य रखा गया है, उसे निजी निवेश के बिना हासिल करना मुश्किल होगा। उन्होंने जोर दिया कि हिमाचल प्रदेश में कृषि, पर्यटन और उद्योग जैसे क्षेत्रों में अधिक से अधिक निजी निवेश लाने का प्रयास होना चाहिए। उन्होंने कहा कि निजी निवेश से हर वर्ग को लाभ होगा और राज्य के विकास को गति मिलेगी।

डॉ. विवेक पठानिया ने बताया कि नाबार्ड का इस बार का विशेष फोकस ग्रीन राज्य के लक्ष्य को हासिल करना है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश को ग्रीन राज्य बनाने के लिए नाबार्ड हर संभव प्रयास कर रहा है। उन्होंने विश्वास जताया कि सरकार और नाबार्ड के सामूहिक प्रयासों से प्रदेश को ग्रीन स्टेट के रूप में स्थापित किया जाएगा।

सहकारिता क्षेत्र को मजबूती

नाबार्ड ने सहकारिता क्षेत्र को मजबूत बनाने के लिए नई योजनाओं की घोषणा की है। इसमें सहकारी समितियों का डिजिटलाइजेशन भी शामिल हैं। इससे सहकारिता क्षेत्र की कार्यक्षमता बढ़ेगी और इसका लाभ किसानों और ग्रामीण क्षेत्रों को मिलेगा।

विकास कार्यों में तेजी

मुख्य सचिव ने कहा कि नाबार्ड की ओर से राज्य में विकास परियोजनाओं के लिए किए जा रहे निवेश से विकास कार्यों में तेजी आएगी। उन्होंने निजी और सरकारी क्षेत्र में साझेदारी को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया।

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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा

   

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