
जयपुर, 21 मार्च (हि.स.)। बास्योड़ा पर्व शुक्रवार को विभिन्न योग-संयोग में भक्तिभाव से मनाया गया। सूर्यादय से पूर्व ही महिलाएं ने समूह में शीतला माता के मंदिर पहुंची। रात को पानी भरकर रखे मिट्टी के मटके के ठंडे जल से माता का अभिषेक कर हल्दी से तिलक किया। चावल, हलवा, राबड़ी, घाट, गुंजिया, सकरपारे, पूड़ी, पापड़ी, पुए, पकौड़ी, मूंगथाल सहित गुरुवार को बनाए ठंडे व्यंजनों का भोग लगाकर परिवार पर आशीर्वाद बनाए रखने की प्रार्थना की। शीतला माता की पूजा-अर्चना के बाद पूरे घर में ठंडे पानी के छींटे दिए। घर के सभी सदस्यों पर भी छींटे देकर चरणामृत दिया और हल्दी का तिलक किया। शीतलाष्टमी पर्व पर दिन भर चूल्हा नहीं जला। लोगों ने दोनों समय ठंडा भोजन ही ग्रहण किया।
शीतला माता देती है कई महत्वपूर्ण संदेश
ज्योतिषाचार्य डॉ महेंद्र मिश्रा ने बताया कि शीतला माता हमें कई वस्तुओं के माध्यम से जीवन में कई महत्वपूर्ण संदेश देती है। मां शीतला की सवारी गधा है और उनके एक हाथ में झाडू और दूसरे हाथ में कलश है। मां शीतला केवल चेचक रोग ही नहीं पीतज्वर,विस्फोटक,फोडे,घुटने,नैत्रों के सभी रोग,फुंसिया के चिंह,तथा जनित दोष जैसे रोग हरती है। झाड़ू से जुड़ी मान्यता है कि हम सफाई के प्रति जागरूक रहे। सभी लोगों को सफाई के प्रति सजग रहना चाहिए। आसपास सफाई होने से बीमारियां दूर रहती हैं। दूसरे हाथ में कलश से जुड़ी मान्यता है कि कलश का ठंडा पानी गर्मी में लाभप्रद होता है। माता के कलश में शीतल स्वास्थ्यवर्धक और रोगाणु नाशक जल होता है। कलश में सभी 33 कोटि देवी-देवताओं का वास रहता है। शीतला माता की सवारी गधा है। गधा मेहनती होता है। हम भी मेहनत से जी नहीं चुराए। माता के संग ज्वारसुत दैत्य, हैजकी देवी, चौंसठ रोग, त्वचा रोग के देवता, रक्तवती देवी विराजमान होती हैं।
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हिन्दुस्थान समाचार / दिनेश