One Nation One Election : संयुक्त संसदीय समिति की पहली बैठक आज
- Neha Gupta
- Jan 08, 2025
One Nation One Election : ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव‘ को लेकर बुधवार को जेपीसी की पहली बैठक आयोजित होगी। यह बैठक संविधान (एक सौ उनतीसवां संशोधन) विधेयक, 2024 और केंद्र शासित प्रदेश कानून (संशोधन) विधेयक, 2024 की समीक्षा करने के लिए बुलाई गई है। बैठक का मुख्य उद्देश्य सदस्यों को इन दो प्रमुख विधेयकों से परिचित कराना है। बैठक में कानून और न्याय मंत्रालय के अधिकारी प्रस्तावित कानूनों के प्रावधानों पर जानकारी देंगे।
‘एक राष्ट्र, एक चुनाव‘ विधेयक को 17 दिसंबर को लोकसभा में पेश किया गया था। जेपीसी की अध्यक्षता भाजपा के सांसद पी.पी. चौधरी करेंगे। इस समिति में कुल 39 सदस्य हैं, जिनमें 27 लोकसभा और 12 राज्यसभा से हैं। जेपीसी का मुख्य कार्य लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनावों को एक साथ कराने की व्यवहार्यता और योजना की जांच करना होगा। इसके अलावा, यह समिति पुडुचेरी, दिल्ली और जम्मू-कश्मीर जैसे केंद्र शासित प्रदेशों में चुनावों को लोकसभा चुनावों के साथ मिलाकर कराने के प्रस्तावों का भी मूल्यांकन करेगी।
जेपीसी के सदस्यों में कांग्रेस की प्रियंका गांधी वाड्रा, भाजपा के अनुराग ठाकुर और अनिल बलूनी, तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी, और समाजवादी पार्टी के धर्मेंद्र यादव जैसे विपक्षी नेता भी शामिल हैं। समिति की चर्चाएं और सिफारिशें भारत की चुनावी प्रक्रिया के भविष्य को प्रभावित करेंगी। करीब 90 मिनट तक चली बहस के बाद, कानून मंत्री अजरुन मेघवाल ने लोकसभा में संविधान (129वां संशोधन) विधेयक पेश किया। मतों के विभाजन में 269 सांसदों ने पक्ष में और 198 ने इसके खिलाफ वोट किया। इसके बाद विधेयक को आगे की जांच के लिए समिति के पास भेज दिया गया।
समिति में लोकसभा सांसद पी.पी. चौधरी, सी. एम. रमेश, बांसुरी स्वराज, परषोत्तम रूपाला, अनुराग सिंह ठाकुर, विष्णु दयाल राम, भर्तृहरि महताब, संबित पात्रा, अनिल बलूनी, विष्णु दत्त शर्मा, प्रियंका गांधी वाड्रा, मनीष तिवारी, सुखदेव भगत, धर्मेंद्र यादव, कल्याण बनर्जी, टी. एम. सेल्वगणपति, जी.एम. हरीश बालयोगी, सुप्रिया सुले, श्रीकांत शिंदे, चंदन चौहान और बालाशोवरी वल्लभनेनी शामिल हैं।
सरकार का तर्क है कि एक साथ चुनाव कराने से शासन में सुधार होगा और लागत कम होगी, जबकि विपक्षी दलों को इसके संघीय ढांचे पर असर को लेकर चिंता है। जेपीसी इन चिंताओं को दूर करने और इस ऐतिहासिक चुनाव सुधार पर आम सहमति बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।