
जोधपुर, 19 मार्च (हि.स.)। जोधपुर रेंज की साइक्लोनर टीम को एक और सफलता हाथ लगी है। टीम ने तीस हजार के एक इनामी तस्कर को पकड़ा है जो तीन साल से फरार चल रहा था। तस्कर ने राजकपूर की फिल्म तीसरी कसम की तरह तस्करी के धंधे से तौबा करने की तीन बार कसम खाई थी लेकिन उसे ना तो अपराध की दुनिया से छुटकारा मिला और ना ही साइक्लोनर टीम की पैनी गिनाहों से बच पाया।
जोधपुर रेंज के आईजी विकास कुमार ने बताया कि साइक्लोनर टीम ने तीस हजार के इनामी तस्कर जगदीश को पकड़ा है। आरोपी ने मात्र आठवीं कक्षा तक पढाई के बाद पिताजी व बड़े भाइयों के साथ खेती के कार्य में मदद के लिए स्कूल छोड़ी, पर कड़ी मेहनत रास नहीं आई। परिवार में सबसे छोटा होने से लाड़ प्यार से रहने के कारण कड़ी मेहनत से कम कमाई के कार्य को छोडक़र परिचितों के साथ अवैध धन्धा शुरू कर बैठा। पहले ड्राइविंग का कार्य किया, फिर स्वयं की गाड़ी खरीदी और अपनी गाड़ी में ही मादक द्रव्यों की बड़ी खेप सप्लाई करने का कार्य करने लगा। परिवार एवं रिश्तेदार जगदीश को मादक द्रव्यों के अवैध व्यापार से तौबा करने की समझाइश करते रहे। हालांकि उसने राजकपूर की फिल्म तीसरी कसम की तरह तीन बार कसम खाई कि तस्करी के धन्धे से तौबा करूंगा और तीनों ही बार उसकी कसम टूट गई। पहली बार कसम तब खाई जब उसके विरूद्ध वर्ष 2012 में मुकदमा दर्ज हुआ। दूसरी बार कसम तब खाई जब वर्ष 2018 में जेल से छह वर्षों बाद बाहर आया। तीसरी बार कसम तब खाई जब उसका अपना सगा भान्जा मादक पदार्थों के लगातार सेवन से मर गया।
शौक मौज की प्रवृति से टूटी सारी कसमें :
हर बार वह कुछ ना कुछ छोटा-मोटा धन्धा करके सही रास्ते पर आने का प्रयास करता रहा लेकिन हराम के पैसों की लत ऐसी लगी और अय्याशी के शौक इतने बड़े थे कि इमानदारी के पैसों से गुजारा ही नहीं हो पाता था, और उधार पर उधार चढ़ता जाता था तक जगदीश पुन: नशे के धन्धे में कूद पड़ता। पकड़े जाने पर जगदीश ने कई बार विनती की कि युवाओं तक मेरा यह सन्देश पंहुचा दो कि कोई भी मेरी तरह भटकाव के रास्ते पर ना चले, यह रास्ता सिर्फ और सिर्फ विनाश की तरफ ले जाता है। तीन वर्षों तक फरार चलने के दौरान अपने भान्जे के साथ स्टील का कार्य करना चाहा, और आन्ध्रप्रदेश चला गया लेकिन वहां भी लम्बे समय तक नहीं टिकते हुए अपने अवैध धन्धे की जड़ें जमानी चाही।
तलाश के लिए पुलिस ने खंगाली रिश्तेदारों की कुंडली :
साइक्लोनर टीम ने अपराधी की तलाश के लिए उसके रिश्तेदारों की कुण्डली खंगाली। जगदीश की एमडी तस्करी में पैठ आने की सूचना पर इनाम बढाकर ऑपरेशन विश्वव्यंजन करीब पांच महीने पहले शुरू किया गया। इसकी रिश्तेदारियों में खोजबीन करने पर पता चला कि यह अपने एक भान्जे के निकट सम्पर्क में है। साइक्लोनर सेल की बढ़ती धमक और खुद पर इनाम घोषित होने के बाद जगदीश ने इलाका छोड़ दिया और अपना ठिकाना आन्ध्र प्रदेश और तमिलनाडु की तरफ कर लिया तथा वहां रहने वाले कारोबारियों के वहां घूमने लगा। साइक्लोनर टीम ने हैदराबाद विजयवाड़ा, विशाखापतनम, इत्यादि जगहों पर काफी हाथ पांव मारे लेकिन पुष्ट सुराग नही मिल पाया।
मोबाइल भी नहीं रखता , भांजे ने फर्जी नाम से लिया बस का टिकट
शातिर जगदीश न तो मोबाइल रखता था और ना ही एक जगह टिक कर रहता था। करीब 15 दिन पहले विजयवाड़ा से एक मुखबिर से सूचना मिली कि जगदीश लुकते छिपते राजस्थान गया है तथा होली के बाद आने की कह कर गया है। इस सूचना पर इसके करीबी भांजे के ठिकानों एवं गतिविधियों पर निगरानी सख्त कर दी गई लेकिन कोई पुष्ट सूचना नही मिली। लगातार निगरानी रखने पर दो दिन पहले आरोपी के भांजे ने बागोड़ा से विजयवाड़ा का बस टिकट बुक करवाया, टिकट उसके स्वयं के नाम पर था जबकि बुकिंग करवाते समय उसने मामा के लिए टिकट बुक करवाने का कहा तथा आगे का लॉअर बर्थ मांगता रहा और कहता रहा कि मामा की कमर में दर्द रहता है। उसने टिकट 18 तारीख की शाम का बुक करवाया था जबकि अपने स्थानीय रिश्तेदारों को अगले दो तीन दिन में आकर मिलने की बात कहता रहा, ताकि कोई जानकारी पुलिस तक नही पंहुंचे। इससे साइक्लोनर टीम का शक गहरा हो गया कि टिकट भान्जे के नाम से है पर यात्रा करने वाला उसका मामा जगदीश हो सकता है।
कार में बैठकर भागने का प्रयास :
टीम ने योजना बनाई कि बस में चढ़ते समय ही उसको पकडा जाए तथा इसके लिए टिकट बुकिंग एजेन्सी से सम्पर्क किया गया लेकिन बुकिंग काउण्टर ने बताया कि उसके चढऩे का स्थान निश्चित नहीं है, भांजे ने यह बताया है कि वह स्वयं मामा को छोडऩे आएगा तथा बाड़मेर धोरिमन्ना, बागोडा, मिठीबेरी या आगे के किसी भी स्टैड पर बैठा जाएगा। इससे साइक्लोनर टीम का शक और गहरा हो गया कि आरोपी को पुलिस की नजर से छुपाने के लिए यह अतिरिक्त सावधानी बरती जा रही है। योजना में परिवर्तन करते हुए भांजे की गतिविधियों पर निगरानी बढ़ा दी गई और बस के चलने के तीन चार घण्टे पूर्व भांजे की गतिविधियों के आधार पर संदिग्ध ठिकाने पर दबिश दी गई। आरोपी जगदीश ने कार में बैठकर भागने का प्रयास किया लेकिन साइक्लोनर टीम की मजबूत घेराबन्दी से बच कर नहीं निकल सका।
हिन्दुस्थान समाचार / सतीश