श्री काशी विश्वनाथ धाम के तीसरी वर्षगांठ पर भव्य शोभायात्रा निकलेगी,दिखेंगी महाकुंभ की झलक
- Admin Admin
- Dec 10, 2024
—शोभायात्रा में परंपरागत बैंड, ढोल, डमरू दल और शंखवादकों की टोली भी आकर्षण
वाराणसी,10 दिसम्बर (हि.स.)। श्री काशी विश्वनाथ धाम (कॉरिडोर)के नव्य और भव्य स्वरूप के तीसरे वर्षगांठ पर शुक्रवार (13 दिसम्बर)को भव्य शोभायात्रा निकलेंगी। इस भव्य शोभायात्रा की थीम प्रयागराज महाकुंभ पर आधारित है। शोभायात्रा में महाकुंभ के प्रति आस्था, संस्कृति, धर्म का संगम दिखेंगा। उत्तर प्रदेश संस्कृति विभाग के सहयोग से शिव बारात समिति के बैनर तले निकलने वाली भव्य शोभायात्रा में प्रदेश के पूर्व मंत्री, शहर दक्षिणी के विधायक डॉ नीलकंठ तिवारी बतौर मुख्य अतिथि शामिल होंगे। मंगलवार को आयोजित पत्रकार वार्ता में शोभयात्रा के संयोजक शिव बारात समिति के दिलीप सिंह,उद्यमी आर.के.चौधरी ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि धाम के वर्षगांठ पर भव्य शोभायात्रा लोक महोत्सव के रूप में निकाली जा रही है। जिसमें काशी नगरी के धार्मिक, सामाजिक, व्यापारिक संगठनों का समावेश होता है। शिव बारात समिति का हर आयोजन एक विशेष थीम पर होता है जो उस समय का सबसे चर्चित मुद्दा होता है। इसलिए इस बार शोभायात्रा की थीम प्रयागराज महाकुंभ पर आधारित है।
इस बार इसका विशेष महत्व यह है कि प्रयागराज महाकुंभ लगने वाला है और महाकुंभ का बाबा भोलेनाथ से सीधा नाता है। आर.के.चौधरी ने कहा कि देवताओं और दानवों के बीच समुद्र मंथन से निकले अमृत को पाने की होड़ लगी थी । जब उसमें से विष निकला तो महादेव ने जन कल्याण और जन सुरक्षा के लिए अपने कण्ठ में धारण कर लिया और नीलकण्ठ कहलाएं। लेकिन अमृत निकलते ही उसे पीने के लिए देवताओं और दानवों में युद्ध छिड़ गया। तभी इन्द्र के पुत्र जयंत अमृत कलश लेकर भागे। इसकी कुछ बूँदे हरिद्वार (गंगा), प्रयागराज (त्रिवेणी), नासिक (गोदावरी) और उज्जैन (शिप्रा) में गिरी। ये चारों स्थल आज महातीर्थ के रूप में विद्यमान है। महोदव ने विषपान करके सबकी रक्षा की थी, इसलिए महाकुंभ को लोग उनके त्याग के पर्व के रूप में भी मनाया जाता है। महादेव का काशी से नाता है। ऐसी स्थिति में महाकुंभ का भी काशी नगरी से जुड़ाव सहज हो जाता है। प्रयागराज का महाकुंभ इसलिए भी विशेष है कि बाकी तीन नगरों उज्जैन, हरिद्वार, नासिक में एक नदी है। जहां अमृत की बूँदे गिरी थी जबकि प्रयागराज की त्रिवेणी में तीन-तीन नदियों का संगम है जहां अमृत की बूँदे गिरी।
उन्होंने बताया कि जब मेष का सूर्य होता है तो वैसाख में गंगा में हरिद्वार में, तुला का सूर्य होने पर आषाढ़ में शिप्रा नदी उज्जैन, कर्क का सूर्य होने पर अश्विन में गोदावरी नासिक में और मकर का सूर्य होने पर प्रयागराज के त्रिवेणी पर महाकुंभ होता है।
उन्होंने कहा कि महाकुंभ में लोग देश के कोने-कोने से बिना प्रचार-प्रसार, बिना निमंत्रण के पहुंचते है। दुनिया में इतना बड़ा रेला या मेला न कभी सम्भव है और न होगा। इसलिए हमारी कोशिश है कि इस बार शोभायात्रा में महाकुंभ की वही आस्था, संस्कृति, धर्म का संगम दिखे। उन्होंने कहा कि धाम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट रहा। जिसे प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने धरातल पर उतारा। उन्होंने बताया कि शोभायात्रा मैदागिन से चितरंजन पार्क दशाश्वमेध तक निकाली जाएगी। शोभायात्रा में बनारस के धार्मिक संगठन सहभाग करेंगे। इसमें भगवान के स्वरूप और झांकियां आकर्षण का केंद्र होंगी। इसके अलावा परंपरागत बैंड, ढोल, डमरू दल और शंखवादकों की टोली भी रहेगी।
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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी