उपभोक्ता परिषद ने कहा, विद्युत का निजीकरण जनहित में नहीं

लखनऊ, 03 जनवरी (हि.स.)। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के पीपीपी माडल का विरोध करते हुए राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने इसे फ्लाप बताया है। उपभोक्ता परिषद का कहना है 2014 में भी इस तरह का प्रस्ताव रखा गया था, जिसे विरोध के बाद ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। इस संबंध में अखिलेश यादव ने भी कदम आगे बढ़ाकर खींच लिये। इस कारण इस चक्कर में पावर कारपोरेशन को नहीं पड़ना चाहिए।

उपभोक्ता परिषद ने कहा कि जनहित में पीपीपी मॉडल नहीं है। इस नाइंसाफी की पहल तत्काल वापस होना चाहिए। ऊर्जा क्षेत्र में अखिलेश की सरकार में वर्ष 2013-14 में गाजियाबाद बनारस मेरठ व कानपुर शहरों के विद्युत वितरण क्षेत्र को पीपीपी मॉडल के तहत उनका निजीकरण किए जाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने कंसलटेंट यानी ट्रांजैक्शन एडवाइजर चयन करने की अनुमति दी थी। इसकी भनक लगते ही बाद उपभोक्ता परिषद ने उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग में एक अवमानना याचिका दाखिल करते हुए पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष के खिलाफ विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 142 के तहत कार्यवाही की मांग उठा दी थी। अंततः विद्युत नियामक आयोग ने नोटिस जारी किया और उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने उस समय के तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को भी बताया कि यह पीपीपी मॉडल उपभोक्ताओं के हित में नहीं है। अंततः पावर कॉरपोरेशन की तरफ से विद्युत नियामक आयोग में जवाब दाखिल किया गया कि में0 मेकान लिमटेड, जो कंसलटेंट रखे गए हैं। उनसे जो फीजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार कराई जा रही है। उसमें उपभोक्ता परिषद की मांग को शामिल किया गया है। इसमें उनके द्वारा कहा गया है कि सबसे पहले अध्ययन कराया जाए कि पीपीपी मॉडल से उपभोक्ताओं को क्या फायदा होगा और क्या नुकसान होगा। पावर कारपोरेशन ने आगे कहा कि केवल फीजिबिलिटी रिपोर्ट बनवाई जा रही है पीपीपी मॉडल लागू नहीं किया जा रहा है। अभी स्टडी है इसलिए पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष के खिलाफ और अवमानना याचिका पर कार्यवाही उचित नहीं है। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि अंततः तत्कालीन मुख्यमंत्री ने उस समय यह मान लिया था कि पीपीपी मॉडल से प्रदेश के उपभोक्ताओं का लाभ नहीं होने वाला है। अंततः पूरा मामला ठंडे बस्ते में में चला गया था। उपभोक्ता परिषद एक बार पुनः उत्तर प्रदेश सरकार व पावर कॉरपोरेशन से मांग उठाती है कि उत्तर प्रदेश के जिन 42 जनपदों वाली दो बिजली कंपनियां दक्षिणांचल व पूर्वांचल को पीपीपी मॉडल में दिए जाने के लिए कंसलटेंट यानी की ट्रांजैक्शन एडवाइजर रखने की तैयारी की जा रही है। उसे खारिज किया जाना उचित होगा।

हिन्दुस्थान समाचार / उपेन्द्र नाथ राय

   

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