नई दिल्ली, 26 जनवरी (हि.स.)। भारतीय हॉकी टीम के पूर्व गोलकीपर पीआर श्रीजेश को देश के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया गया है। इस उपलब्धि पर हॉकी इंडिया ने श्रीजेश को बधाई दी और इसे भारतीय हॉकी के लिए गौरवपूर्ण क्षण बताया।
श्रीजेश महान मेजर ध्यानचंद के बाद पद्म भूषण पाने वाले केवल दूसरे हॉकी खिलाड़ी हैं। ध्यानचंद को यह सम्मान 1956 में दिया गया था। श्रीजेश का 18 वर्षों का शानदार अंतरराष्ट्रीय करियर 2024 पेरिस ओलंपिक के बाद समाप्त हुआ। पेरिस ओलंपिक में उनके शानदार प्रदर्शन ने भारत को लगातार दूसरा ओलंपिक कांस्य पदक दिलाया। इससे पहले भारत ने टोक्यो 2020 में भी कांस्य पदक जीता था।
336 अंतरराष्ट्रीय मैचों में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले श्रीजेश ने कई बड़े पुरस्कार अपने नाम किए हैं, जिनमें अर्जुन पुरस्कार (2015), मेजर ध्यानचंद खेल रत्न (2021) और एफआईएच गोलकीपर ऑफ द ईयर (2021, 2022, 2024) शामिल हैं। इसके अलावा, 2024 में उन्होंने बतौर कोच भारत की जूनियर टीम को जूनियर एशिया कप खिताब जिताया।
हॉकी इंडिया के अध्यक्ष डॉ. दिलीप टिर्की ने एक बयान में कहा कि श्रीजेश का पद्म भूषण से सम्मानित होना पूरे हॉकी समुदाय के लिए गर्व का क्षण है। उनका योगदान न केवल एक खिलाड़ी के रूप में बल्कि कोच और प्रेरक के रूप में भी अतुलनीय है। उनकी सफलता ने अनगिनत युवा खिलाड़ियों को प्रेरित किया है।
महासचिव भोलानाथ सिंह ने कहा कि मेजर ध्यानचंद के बाद यह सम्मान प्राप्त करना श्रीजेश के असाधारण करियर और हॉकी पर उनके स्थायी प्रभाव को दर्शाता है।
श्रीजेश ने पद्म भूषण मिलने पर आभार व्यक्त करते हुए कहा, यह मेरे लिए बहुत बड़ा सम्मान है। हॉकी मेरे जीवन का अभिन्न हिस्सा रही है और मैं हमेशा अपने देश के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ देने का प्रयास करता रहा हूं। यह सम्मान उन सभी खिलाड़ियों, कोचों और सहयोगी स्टाफ के लिए है जिन्होंने मेरी इस यात्रा को संभव बनाया।
एक खिलाड़ी के रूप में श्रीजेश के शानदार करियर में चार ओलंपिक खेलों- लंदन 2012, रियो 2016, टोक्यो 2020 और पेरिस 2024 में भागीदारी के साथ-साथ दो एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक (2014 और 2022), एक एशियाई खेलों का कांस्य पदक (2018), दो राष्ट्रमंडल खेलों के रजत पदक (2014 और 2022) शामिल हैं। इसके अलावा, उन्होंने भारत को चार बार (2011, 2016, 2018 और 2023) एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी जीतने में अहम भूमिका निभाई है। भारतीय हॉकी की महान दीवार' के रूप में श्रीजेश की विरासत भविष्य की पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।
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हिन्दुस्थान समाचार / वीरेन्द्र सिंह