गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय में अचानक पहुंचे पाकिस्तान के पूर्व मुख्य न्यायाधीश खलीलुर्रहमान
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- Mar 05, 2025

हरिद्वार, 5 मार्च (हि.स.)। शहीद भगत सिंह को दी गई फांसी के लिए लाहौर (वर्तमान पाकिस्तान) हाईकोर्ट में चले मुकदमे के ट्रायल दस्तावेजों को गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय को उपलब्ध कराने वाले पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रहे खलीलउर्रहमान रामदे बुधवार को गुरुकुल कांगड़ी पहुंचे। जहां रामदे ने पाकिस्तान से आकर बसे लक्ष्मण शर्मा से मुलाकात की।
रामदे देहरादून में एक प्राइवेट शिक्षण संस्थान के कार्यक्रम में शिरकत करने आए थे। वहां से लौटते हुए वह 2012 में पाकिस्तान से आकर गुरुकुल कांगड़ी में रह रहे लक्ष्मण शर्मा के निवास पर पहुंचे। रामदे ने बताया कि वह लक्ष्मण शर्मा की पत्नी रेती देवी को पुत्रीवत ही मानते हैं। गुरुकुल के सुरम्य वातावरण को देखकर रामदे ने कहा कि विश्व में ऐसी शिक्षा संस्था और कहीं नहीं है। यहां की शिक्षा व्यवस्था और छात्राें के शोध कार्य पर प्रसन्नता व्यक्त की। कहा कि यह संस्थान स्वामी श्रद्धानंद जी महाराज के समय से ही देश दुनिया को प्रेरणा देता आया है।
उन्होंने शहीद भगत सिंह के बलिदान पर कहा कि भगत सिंह भारत के ही नहीं वे तो तत्कालीन संपूर्ण हिंदुस्तान के नायक थे। जिन्होंने अपने बलिदान से भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में नई जान फूँक दी थी।वर्तमान भारत के साथ ही पाकिस्तान और बांग्लादेश भी भगत सिंह का हमेशा ऋणी रहेगा।
गौरतलब है कि सरदार भगत सिंह को फांसी की सजा लाहौर हाई कोर्ट ने सुनाई थी। उनके मुकदमे से जुड़े सारे दस्तावेज पाकिस्तान से तब के सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश खलीलुर्रहमान रामदे ने गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय को उपलब्ध कराए थे, जो आज गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के पुरातत्व संग्रहालय में उपलब्ध हैं। यह दस्तावेज उर्दू व अंग्रेजी में थे। इनका हिंदी में अनुवाद करने के लिए रामदे ने पाकिस्तान से लक्ष्मण शर्मा को गुरुकुल कांगड़ी भेजा था, जो पाकिस्तान वापस न जाकर गुरुकुल कांगड़ी में ही बस गए। उन्हीं के परिवार से मिलने आज रामदे गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय परिसर पहुंचे।
हिन्दुस्थान समाचार / डॉ.रजनीकांत शुक्ला