जम्मू में 29 दिसंबर को रखा जायेगा पौष मासिक शिवरात्री व्रत

जम्मू, 26 दिसंबर (हि.स.)। ज्योतिष शास्त्र के दृष्टिकोण से चतुर्दशी तिथि के स्वामी भगवान भोलेनाथ अर्थात स्वयं शिव ही हैं और हर माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है,पौष मास शिवरात्रि पर्व के विषय में श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष (ज्योतिषाचार्य) महंत रोहित शास्त्री ने बताया पंचांग के अनुसार पौष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 29 दिसंबर रविवार सुबह 03 बजकर 33 मिनट से शुरू होगी और इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 30 दिसंबर सोमवार को सुबह 04 बजकर 02 मिनट पर होगा, शिवरात्रि की पूजा के​ लिए रात्रि का मुहूर्त देखा जाता है पौष मासिक शिवरात्रि रात्रि शुभ मुहूर्त 29 दिसंबर रविवार को है इसलिए पौष मासिक शिवरात्रि सन् 2024 ई. 29 दिसंबर रविवार को मनाई जाएगी। रविवार 29 दिसंबर को पौष मासिक शिवरात्रि की पूजा के लिए निशिता काल मुहूर्त रात 11:55 बजे से देर रात 12:50 बजे तक रहेगा। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त सुबह 5:25 बजे से 6:19 बजे तक रहेगा, जबकि अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:02 बजे से 12:44 बजे तक रहेगा।इस दिन सुबह से ही शिव मंदिरों में शिव भक्त जुटने लगते हैं।

विधिपूर्वक व्रत रखने पर गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद, फूल, शुद्ध वस्त्र, बिल्व पत्र, धूप, दीप, नैवेध, चंदन का लेप, ऋतुफल , आक धतूरे के पुष्प, चावल आदि डालकर शिवलिंग को अर्पित किये जाते है।

मास शिवरात्रि के दिन शिवपूजन शिवपुराण,रुद्राभिषेक,शिव कथा, शिव स्तोत्रों व ॐ नम: शिवाय का पाठ करते हुए रात्रि जागरण करने से अश्वमेघ यज्ञ के समान फल प्राप्त होता हैं और शिवरात्रि का व्रत करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है । शिव पूजा सभी पापों का क्षय करने वाली है।इस दिन व्रत रखने से नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है,इस व्रत में व्यक्ति को अपने अवगुणों का त्याग करना होता है।

महिलाओं के लिए शिवरात्रि का विशेष महत्व है। अविवाहित महिलाएं भगवान शिव से प्रार्थना करती हैं कि उन्हें उनके जैसा ही पति मिले। वहीं विवाहित महिलाएं अपने पति और परिवार के लिए मंगल कामना करती हैं। मासिक शिवरात्री के व्रत को रखने वालों को उपवास के पूरे दिन भगवान शिव शंकर का ध्यान करना चाहिए। प्रात: स्नान करने के बाद भस्म का तिलक कर रुद्राक्ष की माला धारण की जाती है। अगर शिव मंदिर में पूजन,जाप करना संभव न हों, तो घर में, किसी शान्त स्थान पर जाकर पूजन, जाप किया जा सकता हैं।

शिव की अराधना इच्छा-शक्ति को मजबूत करती है और अन्तःकरण में अदम्य साहस व दृढ़ता का संचार करती है। इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए कि भोलेनाथ पर चढ़ाया गया प्रसाद न खाएं,अगर शिव की मूर्ति के पास शालीग्राम हो,तो प्रसाद खाने में कोई दोष नहीं होता।

हिन्दुस्थान समाचार / राहुल शर्मा

   

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