प्रसिद्धि परांगमुख गिरीश चंद्र कलिता ग्रंथ का राज्यपाल रमेन डेका ने किया विमोचन

गुवाहाटी, 19 जनवरी (हि.स.)। गिरीश चंद्र कलिता के जीवन और कर्म को जीवंत रखने के उद्देश्य से आज गुवाहाटी के पलटन बाजार स्थित शंकरदेव सेवा समिति प्रेक्षागृह में उनके जीवन पर आधारित ग्रंथ प्रसिद्धि परांगमुख गिरीश चंद्र कलिता का विमोचन किया गया। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के राज्यपाल रमेन डेका ने ग्रंथ का अनावरण किया।

ग्रंथ विमोचन के दौरान राज्यपाल रमेन डेका ने गिरीश चंद्र कलिता के साथ बिताए गए समय की स्मृतियों को साझा किया। कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के असम क्षेत्र के क्षेत्र संघचालक डॉ. उमेश चक्रवर्ती और वरिष्ठ प्रचारक शशिकांत चौथावाले ने गिरीश चंद्र कलिता के योगदान और उनकी कार्यकुशलता पर प्रकाश डाला।

इस अवसर पर कार्यक्रम का संचालन दिलीप शर्मा ने किया, और प्रारंभिक संबोधन उनके सहयोगी प्राणतोष रॉय ने दिया। सभा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उत्तर असम क्षेत्र संघचालक डॉ. भूपेश शर्मा, गुवाहाटी नगर निगम के मेयर मृगांक शरणिया सहित गिरीश चंद्र कलिता के सैकड़ों अनुयायी उपस्थित थे।

गिरीश चंद्र कलिता एक प्रशंसनीय मूक सामाजिक संगठनकर्ता थे। कम उम्र से ही नैतिकता की भावना के साथ जीवन का निर्माण करने वाले कलिता ने 1946 में असम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के काम की शुरुआत के बाद से आजीवन एक कार्यकर्ता के रूप में अत्यंत समर्पण और ईमानदारी के साथ सेवा की है। महात्मा गांधी की हत्या के लिए 1948 में जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर प्रतिबंध लगाया गया था, तब कलिता को छह महीने तक जेल में रखा गया था। बाद में संघ की प्रेरणा से विश्व हिंदू परिषद का गठन हुआ; भारतीय मजदूर संघ; उन्होंने राम जन्मभूमि आंदोलन एकजुटता यज्ञ यात्रा जैसे संगठनों के लिए काम किया। इसके अलावा, आलोक प्रकाशन ट्रस्ट, जिसे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रेरणा से प्रकाशित किया गया था; फोटो अखबार का संपादन किया। 1975 में जब भारत सरकार ने आपातकाल की घोषणा की तो उन्हें डेढ़ साल जेल में रहना पड़ा था। इस दौरान उन्हें कई पारिवारिक समस्याएं हुईं, लेकिन बिना परेशान हुए उन्होंने खुद को संघ के काम में समर्पित कर दिया। सन् 2007 में उनका निधन हुआ।

हिन्दुस्थान समाचार / श्रीप्रकाश

   

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