जीआरएसई ने डीआरडीओ की नौसैनिक प्रयोगशाला को सौंपा जलदूत मानव रहित सतह पोत
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- Dec 05, 2024
कोलकाता, 05 दिसंबर (हि. स.)। गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई) ने स्वदेशी स्वायत्त पोत तकनीक के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करते हुए 'जलदूत' मानव रहित सतह पोत (यूएसवी) को नौसैनिक विज्ञान और तकनीकी प्रयोगशाला (एनएसटीएल), डीआरडीओ को औपचारिक रूप से सौंप दिया है।
'जलदूत' को 28 अक्टूबर 2024 को सौंपा गया, जो 17 से 21 अक्टूबर तक आयोजित परीक्षणों को सफलतापूर्वक पूरा कर चुका है। जीआरएसई की ओर से गुरुवार को जारी बयान में बताया गया है कि इस पोत को जीआरएसई और एनएसटीएल/ डीआरडीओ ने संयुक्त रूप से डिजाइन और विकसित किया है। इसका उपयोग सर्वेक्षण और संचार मिशनों के लिए किया जाएगा। यह पोत छोटे आकार और हल्के वजन के साथ आता है और रिचार्जेबल लिथियम-आयन बैटरी से संचालित होता है।
'जलदूत' में वेपॉइंट नेविगेशन, स्टेशन-कीपिंग और फेलसेफ जैसी अत्याधुनिक क्षमताएं हैं। इसमें विभिन्न प्रकार के सेंसर एकीकृत किए जा सकते हैं, जिनमें मानव रहित पानी के नीचे के वाहनों (यूयूवी) को ट्रैक करने के लिए एक ध्वनिक स्थिति प्रणाली, साइड स्कैन सोनार और खोज एवं बचाव मिशन के लिए 1080पी एचडी कैमरा शामिल है, जिसमें नाइट विजन की भी क्षमता है।
यह उपलब्धि जीआरएसई और एनएसटीएल/ डीआरडीओ के संयुक्त अनुसंधान और विकास प्रयासों का प्रमाण है, जिसने न केवल स्वदेशी विशेषज्ञता का विकास किया है, बल्कि भारतीय स्टार्टअप्स की क्षमताओं को भी मजबूत किया है। 'जलदूत' के डिजाइन और विकास में एक भारतीय स्टार्टअप पार्टनर, रकीसे मरीन, ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
इस तकनीकी नवाचार से स्वदेशी रक्षा निर्माण क्षेत्र को मजबूती मिलेगी और भविष्य में भारत की आत्मनिर्भरता को और बढ़ावा मिलेगा।
हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर