दिनकर की कविताओं में भारतीय दर्शन की झलक : प्रो. सत्यकाम

--मुक्त विवि में रामधारी सिंह दिनकर की कविताओं का हुआ पाठ

प्रयागराज, 23 सितम्बर (हि.स.)। उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय में राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की जयंती पर सोमवार को लोकमान्य तिलक शास्त्रार्थ सभागार में कविता पाठ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कुलपति प्रो सत्यकाम ने कहा कि दिनकर की कविताओं में भारतीय दर्शन की झलक साफ दिखाई पड़ती है।

कुलपति ने बताया कि दिनकर ने संस्कृत के चार अध्याय में भारतीय संस्कृति की विस्तृत चर्चा की है। वह जन कवि थे। उन्होंने जनमानस की पीड़ा को बहुत प्रमुखता से अपने काव्य रचना में उद्धृत किया। जिसके कारण जनता ने उन्हें कवि माना। वे श्रीकृष्ण के बहुत बड़े उपासक थे। किसानों, गरीबों और महिलाओं के प्रति उनके मन में बहुत सम्मान का भाव था। जिसका प्रतिबिम्ब उनकी काव्य रचना में परिलक्षित होता है। प्रोफेसर सत्यकाम ने कहा कि आज हमें युवा पीढ़ी को रामधारी सिंह दिनकर की ओजपूर्ण कविताओं का पाठ पढ़ाना चाहिए। उन्होंने कहा कि दिनकर का यह मानना था कि साहित्यकार को विज्ञान पढ़ना चाहिए और वैज्ञानिकों को साहित्य पढ़ना चाहिए जिससे उनके अंदर हर विषय की समझ विकसित हो सके।

कार्यक्रम समन्वयक मानविकी विद्या शाखा के निदेशक प्रोफेसर सत्यपाल तिवारी ने कहा कि रामधारी सिंह दिनकर राष्ट्रीयता को काव्य का मूल आधार मानते थे। काव्य के साथ ही गद्य के क्षेत्र में उनका अभूतपूर्व योगदान था। एक ओर उनकी कविताओं में ओज, आक्रोश एवं क्रांति की पुकार है तो दूसरी ओर कोमल भावनाओं की अभिव्यक्ति है।

कार्यक्रम संयोजक प्रोफेसर रुचि बाजपेई ने रामधारी सिंह दिनकर के जीवन वृत्त पर जानकारी दी। उन्होंने कहा कि दिनकर को उनकी प्रसिद्ध पुस्तक संस्कृत के चार अध्याय के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार तथा उर्वशी के लिए भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया गया। इस अवसर पर रामधारी सिंह दिनकर के कृतित्व एवं व्यक्तित्व पर आधारित वृत्त चित्र का प्रदर्शन किया गया।

पीआरओ डॉ प्रभात चंद्र मिश्र ने बताया कि इस अवसर पर डॉ स्मिता अग्रवाल, प्रोफेसर छत्रसाल सिंह, डॉ अतुल कुमार मिश्रा, डॉ शिवेंद्र कुमार सिंह तथा डॉ अब्दुर्रहमान फैसल आदि ने रामधारी सिंह दिनकर की काव्य रचनाओं का सस्वर पाठ किया। अनुपम ने संचालन किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के शिक्षक, कर्मचारी एवं शोधार्थी उपस्थित रहे।

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हिन्दुस्थान समाचार / विद्याकांत मिश्र

   

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