रमजान: रोगियों में दवाओं की मात्रा और प्रकृति को संशोधित करना होगा : डॉ. नंदिनी रस्तोगी

कानपुर, 28फरवरी (हि.स.)। रमजान का पवित्र महीना आने वाला है और मुस्लिम समाज के लोग इन 30 दिनों में उपवास रखते हैं। उपवास के दौरान रोगियों को तमाम तरह की दिक्कतों को सामना करना पड़ता है। ऐसे में उपवास रखने वाले रोगियों को सलाह दी जाती है कि वह संबंधित डाक्टर से परामर्श बराबर लेते रहें क्योंकि इस दौरान दवाओं की मात्रा और प्रकृति को संशाेधित करना जरुरी है। यह बातें शुक्रवार को आईएमए सभागार में प्रेस वार्ता का आयोजन कर आईएमए की अध्यक्ष डॉ. नंदिनी रस्तोगी ने कहीं।

उन्होंने रमजान के पवित्र महीने में मुस्लिम समाज के लोगों को 30 दिन उपवास रखने के दृष्टिगत मधुमेह, उच्च रक्तचाप और किडनी रोग से पीड़ित रोगियों की संख्या को बढ़ते देख स्वास्थ्य जागरूकता सलाह देने के लिए प्रेस वार्ता का आयोजन किया। उन्होंने रमजान के पवित्र माह में उपवास कर रहे रोगियों के स्वास्थ्य से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए कहा कि रमज़ान उपवास और प्रार्थनाओं का पवित्र महीना है। समाज में मधुमेह और उच्च रक्तचाप के रोगियों की संख्या अधिक है। इसलिए हमें अपने मधुमेह और रक्तचाप को अच्छी तरह से नियंत्रण में रखने के लिए कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए। मधुमेह को नियंत्रण रखने के लिए महीने की शुरुआत से पहले ही अपने उपचार करने वाले डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए और सहरी और इफ्तार के समय भोजन के सेवन के समय में बदलाव के कारण, दवाओं की मात्रा और प्रकृति को संशोधित करना होगा।

उन्होंने बताया कि जो मरीज केवल आहार और व्यायाम पर हैं। उन्हें पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ के सेवन के साथ इसे जारी रखा जा सकता है। जो मरीज़ सल्फोनिल्यूरिया जैसी रक्त शर्करा कम करने वाली दवाएं ले रहे हैं। उन्हें चिकित्सीय मार्गदर्शन में दवाएं लेनी चाहिए। साथ ही अपनी सुबह की खुराक कम करें और मुख्य दवाएं इफ्तार के समय लें। ग्लूफ्लोज़िन जैसी दवाओं से बचना चाहिए।

हिन्दुस्थान समाचार / मो0 महमूद

   

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