हमारे देश का इतिहास सही अर्थो में सामने नहीं रखा गया : प्रो कपिलदेव मिश्र
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- Jan 23, 2025
-ईश्वर शरण में पुनश्चर्या कार्यक्रम का शुभारम्भ
प्रयागराज, 23 जनवरी (हि.स.)। इतिहास महज कथा, कहानियों का पुलिंदा नहीं है। जिस देश का इतिहास सच्चा होगा, उस देश का युवा भी सच्चा और निर्भीक होगा। हमारे देश का इतिहास सही अर्थों में देश के सामने नहीं रखा गया है। भारत का इतिहास ऐसा इतिहास है जो एक रिक्शा चालक से लेकर पढ़ा लिखा व्यक्ति तक दोहराता है। इसकी गूंज अनुगूंज संसद से सड़क तक है।
उक्त विचार महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय सतना, मध्य प्रदेश के प्रो0 कपिल देव मिश्र ने बतौर मुख्य अतिथि यूजीसी मालवीय मिशन टीचर ट्रेनिंग सेन्टर, ईश्वर शरण पीजी कॉलेज में ‘‘रेफ्रेशर कोर्स इन हिस्ट्री : इमर्जिंग ट्रेंड ऑन इन हिस्टोरिकल स्टडीज’’ पर पुनश्चर्या पाठ्यक्रम में व्यक्त किया। जो 23 जनवरी से शुरू होकर 12 फरवरी तक चलेगा।
उन्होंने कहा कि भारत, भारतीयता और भारतीय संस्कृति को लेकर शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है। इसमें गरीबी, बेरोजगारी, भुखमरी, शोषण आदि सभी समस्याएं समाहित है। इन सभी का समाधान केवल एक है, वह विषय है ‘‘इतिहास का अध्ययन’’ इतिहास को समग्रता से देखने की आवश्यकता है। जिसमें सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक और पर्यावरणीय चेतना है।
प्रो0 मिश्र ने कहा कि भारत एक समय सोने की चिड़िया कहा जाता था। जो विश्व में उत्पादन होता था, उसमें 24 प्रतिशत भारत का होता था। भारतीय इतिहास का अत्यन्त स्वर्णमयी काल रहा है। राष्ट्र का इतिहास केवल युद्ध और उसका वर्णन द्वारा पूर्ण नहीं होता। भारतीय ज्ञान परम्परा इतिहास की धरोहर है। यह स्थावर हो या जंगम हो, चेतन हो या जड़ हो सब में ईश्वर का वास होता है। आध्यात्मिकता भारत की आत्मा है। जिसमें धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष समाहित है, यही इतिहास है।
उन्होंने कहा कि आज की पीढ़ी को वैज्ञानिक तरीके से देखने और समझने की जरूरत है। इतिहास के आइने में भारत अपनी प्राचीनता और भारतीय ज्ञान परम्परा का अद्वितीय उदाहरण है। हमें इतिहास, पर्यावरण, कृषि और संस्कृति का गहन ज्ञान होना चाहिए। हमें मैक्समूलर और गांधी को पढ़ना चाहिए। इतिहास में दलित और कुचले गए लोगों को मुख्यधारा में लाना होगा। तब इतिहास और मजबूत होगा। इतिहास अपने आप में एक गौरवशाली विषय है। इस पर जब भी इतिहास का विद्यार्थी बात करेगा वह अन्य से बिल्कुल भिन्न होगा। इतिहास अपनी ओर खींचता है।
पुनश्चर्या पाठ्यक्रम में अतिथियों का स्वागत और विषय प्रवर्तन कार्यक्रम के संयोजक प्राचीन इतिहास संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के सहायक आचार्य डॉ0 जमील अहमद ने किया। कार्यक्रम की विधिवत जानकारी असिस्टेंट डायरेक्टर डॉ0 मनोज कुमार दुबे ने दी। आभार मध्यकालीन इतिहास विभाग के सहायक आचार्य और पुनश्चर्या पाठ्यक्रम के सह संयोजक डॉ0 रेफाक अहमद ने किया। इस अवसर पर देश के विविध राज्यों से लगभग 200 से अधिक प्राध्यापक और गणमान्य उपस्थित रहे।
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हिन्दुस्थान समाचार / विद्याकांत मिश्र