मुफ्त बिजली से बढ़ रहा आर्थिक बोझ, यह व्यवस्था लंबे समय के लिए ठीक नहीं : केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी

जयपुर, 21 जनवरी (हि.स.)। केंद्रीय ऊर्जा मंत्री प्रहलाद जोशी ने मुफ्त बिजली देने वाले राज्यों पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि कुछ राज्य राजनीतिक कारणों से मुफ्त बिजली दे रहे हैं। इससे एक बड़ा आर्थिक बोझ बढ़ रहा है।

केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी मंगलवार को जयपुर में नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के तत्वावधान में आयोजित नवीकरणीय ऊर्जा पर क्षेत्रीय समीक्षा बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मैं किसी राज्य पर नहीं बोल रहा लेकिन यह व्यवस्था लंबे समय के लिए ठीक नहीं है। हमें कोशिश करनी चाहिए कि फ्री बिजली की जगह उपभोक्ताओं को इस तरह सक्षम बनाएं कि वे न सिर्फ सस्ती बिजली का घर में उपयोग कर सकें, बल्कि सरप्लस बिजली को ग्रिड में देकर देश की जरूरतों को भी पूरा कर सकें।

जोशी ने कहा कि इसी बात को ध्यान में रखकर केंद्र सरकार पीएम सूर्य घर योजना लेकर आई है, जो फ्री बिजली देने वाले राज्यों के लिए वरदान साबित हो सकती है। यदि फ्री बिजली देने वाली राज्य सरकारें अपनी सब्सिडी का पैसा पीएम सूर्य घर योजना में एकमुश्त देने की हिम्मत करें, तो अगले 25 सालों तक उपभोक्ता बिजली बिल के झंझट से मुक्त हो जाएंगे। राज्य सरकारों का सालाना फ्री बिजली की सब्सिडी का आर्थिक बोझ भी खत्म होगा।

केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी ने कहा कि हमें समझने की जरूरत है कि हमारे देश में ऊर्जा की मांग क्यों अधिक है? भारत विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। इस वजह से ऊर्जा की आवश्यकता बढ़ रही है। भारत विश्व में सबसे बड़ा मानव संसाधन वाला देश है। यहां 65 प्रतिशत आबादी युवा है। यही कारण है कि हमारा उत्पादन और निर्माण क्षमता मजबूत हो रही है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हम खिलौने और स्टील के निर्यात में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। ग्रीन हाइड्रोजन प्रोजेक्ट के लिए जारी निविदा में 4 लाख 12 हजार लाख टन की मांग आई। इसमें 50 फीसदी हिस्सेदारी अन्य देशों की है। पूरी दुनिया भारत की ओर देख रही है। हर राज्य के पास इस मौके का फायदा उठाने का अवसर है। भारत नवीकरणीय ऊर्जा की ओर इसलिए बढ़ रहा है ताकि पृथ्वी को उसी रूप में सुरक्षित रखा जा सके, जैसा हमें मिला है। उन्होंने कहा कि यह हमारी जिम्मेदारी है कि इसे अगली पीढ़ी के लिए तैयार रखें। अन्य जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए भी हमें नवीकरणीय ऊर्जा की ओर बढ़ना होगा। पहले प्रति यूनिट सौर ऊर्जा की लागत 11 रुपये थी, जो आज मध्य प्रदेश में घटकर 2.15 रुपये हो गई है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत ऊर्जा के हर क्षेत्र में तेजी से प्रगति कर रहा है। प्रधानमंत्री सूर्यघर योजना और पीएम कुसुम योजना के माध्यम से सौर ऊर्जा हर घर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। सरकार इन योजनाओं के लिए सब्सिडी उपलब्ध करा रही है और ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में आने वाली दिक्कतों को दूर करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि 2032 तक राजस्थान ऊर्जा उत्पादन में दोगुनी वृद्धि करेगा।

इस अवसर पर राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि यह मंथन ऐसे समय में चल रहा है, जब देश में महाकुंभ चल रहा है। राजस्थान अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। राज्य न केवल अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करेगा, बल्कि देश के अन्य राज्यों को भी ऊर्जा प्रदान करेगा। 2500 घरों में सोलर पैनल लगाए जा चुके हैं। आने वाले समय में पवन ऊर्जा में भी राज्य का योगदान बढ़ेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग के खतरे को देखते हुए सोलर और पवन ऊर्जा जैसे एमओयू पूरा करने में हम अपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं। आज सभी राज्य और ऊर्जा मंत्रियों से आग्रह करता हूं कि हम मिलकर ऊर्जा के क्षेत्र में विकास के नए आयाम बनाएं। इससे ऊर्जा संकट को दूर कर सकते हैं और हर एक ऊर्जा के लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।

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हिन्दुस्थान समाचार / ईश्वर

   

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