भूमि सर्वे के प्रति जन-जागरूकता बढ़ाने के लिए राजस्व विभाग ने किया नुक्कड़ नाटक का आयोजन
- Admin Admin
- Jan 27, 2025
पटना, 27 जनवरी (हि.स.)। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने भूमि सर्वे के प्रति जन-जागरूकता बढ़ाने के लिए नुक्कड़ नाटक का सहारा लेने का निर्णय लिया है। भूमि सर्वे पर तैयार नुक्कड़ नाटक का प्रस्तुतीकरण आज शास़्त्रीनगर स्थित सर्वे प्रशिक्षण संस्थान में किया गया। 45 मिनट के इस नुक्कड़ नाटक में भूमि सर्वे से संबंधित जटिल विषय को आम बोलचाल की सरल भाषा में समझाने का प्रयास किया गया है।
नाटक को आज राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अधिकारियों और कर्मियों ने सामूहिक रूप से देखा। कई सलाह और सुझाव दिए गए जिन्हें स्क्रिप्ट में शामिल किया जाएगा। इस अवसर पर विभाग के सचिव श्री जय सिंह और भू अभिलेख और परिमाप निदेशक श्री कमलेश कुमार सिंह भी उपस्थित थे।
सचिव श्री जय सिंह ने कहा कि अभी भी रैयतों को भूमि संबंधी तकनीकी मुद्दों को समझने में दिक्कत होती है। किस्तवार, खानापुरी, सुनवाई, कैथी लिपि, भू-अभिलेख पोर्टल के बारे में सही जानकारी का अभाव है। नुक्कड़ नाटक के जरिए गांवों के लोगों को आसानी से इन बारीकियों को समझाया जा सकेगा। इससे सर्वे के काम में उनकी दिलचस्पी बढ़ेगी जिससे सर्वे कर्मियों को अपने काम को समय से पूरा में सुविधा होगी।
सिंह ने कहा कि विभाग इसके अलावा कई अन्य तरीके से लोगों को जागरूक करने की दिशा में काम कर रहा है। अखबारों में नियमित तौर पर विज्ञापन दिया जा रहा है। रेडियो और अन्य डिजिटल प्लेटफाॅर्म पर सर्वे के बारे में बताया जा रहा है। विभाग के सोशल मीडिया प्लेटफाॅर्म पर लगातार जानकारी दी जा रही है। सर्वे की सफलता के लिए जरूरी है कि लोगों को इससे संबंधित सभी जानकारी उपलब्ध हो।
नाटक का आयोजन अगले माह बिहार के सभी 534 अंचलों में एक साथ किया जाएगा। हरेक अंचल में एक नाटक मंडली को 2 दिन प्रस्तुतीकरण देना है। एक मंडली हरेक दिन 2 जगहों पर नुक्कड़ नाटक का मंचन करेगी।
इस प्रकार एक अंचल में 4 जगहों पर इस नुक्कड़ नाटक का प्रदर्शन किया जाएगा। एक माह तक चलनेवाले इस आयोजन में करीब 4 दर्जन नाटक मंडलियां हिस्सा लेंगीं। हरेक मंडली में 10 कलाकार होंगे।
इस नुक्कड़ नाटक का नाम है- चली सरकार जनता के द्वार, आपकी जमीन आपके नाम। नाटक में मुखिया और राजस्व अधिकारी के जरिए सर्वे के तकनीकी पहलुओं को समझाने का प्रयास किया गया है। बीच-बीच में गीत-संगीत का सहारा लिया गया है। शुरूआत हुड़का वाद्य यंत्र बजाकर किया गया है। इसके बाद जोगीरा और आमंत्रण गीत गाकर मूल विषय वस्तु की चर्चा की गई है।
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