रोहड़ू में 39 वर्षों बाद भुंडा महायज्ञ की धूम, देव आगमन के साथ उमड़ा जनसैलाब
- Admin Admin
- Jan 03, 2025
शिमला, 3 जनवरी (हि.स.)। शिमला जिला के रोहड़ू उपमंडल स्थित दलगांव में 39 वर्षों बाद ऐतिहासिक भुंडा महायज्ञ का आयोजन देव आगमन के साथ बड़े ही भव्य और धार्मिक माहौल में हो रहा है। इस महायज्ञ में हजारों लोग और खूंद देवता अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं।
शिखा पूजन व फेर रस्म का आयोजन
पांच दिन चलने वाले भुंडा महायज्ञ के दूसरे दिन शुक्रवार को शिखा पूजन और फेर रस्म का आयोजन किया गया। इस रस्म को पारंपरिक विधियों और मंत्रोच्चारण के बीच संपन्न किया गया। भुंडा महायज्ञ की सबसे महत्वपूर्ण और प्रतीक्षित रस्म 'बेड़ा' शनिवार को निभाई जाएगी। इस रस्म में एक विशेष व्यक्ति करीब 100 मीटर लंबी घास की रस्सी पर लकड़ी की काठी के सहारे फिसलकर एक छोर से दूसरे छोर तक जाएगा। इसे साहस और विश्वास का प्रतीक माना जाता है।
स्पेल वैली के बकरालू महाराज का देवता मिलन
भुंडा महायज्ञ का आयोजन स्पेल वैली के बकरालू महाराज के मंदिर में हो रहा है। इस महायज्ञ में हिमाचल के विभिन्न हिस्सों से कई खूंद देवता पहुंचे। शुक्रवार को देवताओं के मिलन की परंपरा बेहद रोचक और दर्शनीय रही।
पूर्व निर्धारित परंपराओं के अनुसार सबसे पहले रंटाड़ी गांव के मोहरिश देवता हजारों भक्तों के साथ दलगांव पहुंचे। इसके बाद पुजारली गांव से महेश्वर देवता और बछूंछ गांव से बौंद्रा देवता ने अपने-अपने अनुयायियों के साथ महायज्ञ में उपस्थिति दर्ज कराई। देवताओं के साथ आए लोगों के हाथों में पारंपरिक हथियार जैसे तलवारें, धारदार औजार और डंडे थे, जो हिमाचल की समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं को दर्शाते हैं।
देव परंपराओं में गूंजी परंपरागत वाद्य ध्वनियां
भुंडा महायज्ञ में देव परंपराओं के अनुसार वाद्य यंत्रों की ध्वनियां गूंजती रहीं। नगाड़े, शहनाई और करनाल की आवाजों से वातावरण पूरी तरह भक्तिमय हो गया। देवताओं के मिलन के दौरान पूजा-अर्चना और नृत्य का आयोजन हुआ। यह सब देखकर स्थानीय लोग और पर्यटक मंत्रमुग्ध हो गए। भुंडा महायज्ञ में भारी तादाद में श्रद्धालु शामिल हो रहे हैं। लोग देव परंपराओं को देखने और महायज्ञ के पुण्यलाभ को प्राप्त करने के लिए उमड़े हुए हैं। इस पांच दिवसीय आयोजन में एक लाख लोगों के शामिल होने का अनुमान है। प्रशासन ने सुरक्षा की दृष्टि से सैंकड़ों पुलिस जवान तैनात किए हैं। इस ऐतिहासिक आयोजन को लेकर स्थानीय लोगों में विशेष उत्साह देखा जा रहा है। 39 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद हो रहे इस महायज्ञ ने क्षेत्र में नई ऊर्जा भर दी है। स्थानीय लोग इसे अपनी सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा मानते हुए गर्व महसूस कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री सुक्खू महायज्ञ में शामिल नहीं हो सके
इस बीच शुक्रवार को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को भुंडा महायज्ञ में शामिल होना था। हालांकि दिल्ली से शिमला की हेलीकॉप्टर उड़ान खराब मौसम और कोहरे के कारण नहीं हो पाई। इस वजह से उनका दौरा स्थगित कर दिया गया।
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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा