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-शिव स्तोत्र महायज्ञ
में सैकड़ों शिव भक्तों ने आहुतियां डाली
-हरियाणा, हिमाचल,
पंजाब से पहुंचे वेदपाठी
सोनीपत, 20 फ़रवरी (हि.स.)। सिद्धपीठ तीर्थ सतकुंभा धाम पर गुरुवार को कलश यात्रा के साथ
सतकुंभा उत्सव 2025 आरंभ हो गया। पीठाधीश्वर श्री महंत राजेश स्वरुप जी महाराज ने कहा
कि इस सतकुंभा उत्सव में कलश में शामिल मातृशक्तियों को महाकुंभ का लाभ मिलेगा। भारत के 68 तीर्थ में शामिल सिद्ध पीठ सतकुंभा धाम सोनीपत
के गांव मयाना खेड़ी गुज्जर में 20 से आरंभ हुआ 26 फरवरी तक सतकुंभा उत्सव चलेगा।
महाराज
श्री ने कहा कि सनातन परंपरा है कि धार्मिक अनुष्ठान की शुरुआत कलश स्थापना से होती
है। यह परंपरा गहरे आध्यात्मिक और सामाजिक संदेश से जोड़ती है। कलश का जल, उसका मंत्र,
उसकी स्थापना, नगर परिक्रमा, जल का छिड़काव ये सभी प्रक्रियाएं धर्म, आस्था, और सकारात्मक
ऊर्जा का संचार करती हैं।कलश के बारे में ऋग्वेद, यजुर्वेद
और अथर्ववेद में कलश को जल का धारक बताया गया है, जो जीवन का स्रोत है। शतपथ ब्राह्मण
ग्रंथ में इसे ऊर्जा और सकारात्मकता का केंद्र कहा गया है। जबकि भगवद गीता और स्कंद
पुराण में कलश को सुख-समृद्धि का प्रतीक बताया गया है।
महाभारत काल में कलश का उपयोग
तीर्थों के जल को संग्रहीत करने के लिए किया जाता था। कलश यात्रा सिद्धपीठ तीर्थ से
आरंभ हुई, नगरपरिक्रमा करते तीर्थ कुंड की परिक्रमाएं करती महिलाएं सतकुंभा उत्सव स्थल
पर पहुंची यहां सभी ने भंडारा लिया। हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर से आए आचार्य अनिल शर्मा नेे कहा
कि कलश स्थापना का धार्मिक, आध्यात्मिक एवं सामाजिक महत्व है।
अनिल शर्मा आचार्य, हमीरपुर हिमाचल आचार्य अजय वशिष्ट बिलासपुर हिमाचल प्रदेश,
आचार्य विष्णु शर्मा डेराबस्सी पंजाब, आचार्य जसप्रीत पुरी मोहाली पंजाब, आचार्य शिवम
कौशिक करनाल हरियाणा, सतबीर शास्त्री गुलयाणा, कैथल हरियाणा, अमन शास्त्री कुरुक्षेत्र
हरियाणा से आए वेदपाठियों ने वैदिक मंत्रों के साथ अनुष्ठान को आरंभ करवाया। एडवोकेट
शिवेंदू भारद्वाज ने पुजा अर्चना कर वेद पाठियों के साथ कलश स्थापित करवाएं भारी संख्या
में महिलाए शामिल हुई। इसके साथ शिव स्तोत्र के साथ महायज्ञ आरंभ हो गया जिसमें पहले
दिन सैंकड़ों श्रद्धालुओं ने आहुति डाली।
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हिन्दुस्थान समाचार / नरेंद्र शर्मा परवाना