भागलपुर, 13 नवंबर (हि.स.)। कला केन्द्र में पीयूसीएल भागलपुर इकाई की कार्यकारिणी की बैठक बुधवार को हुई। बैठक की अध्यक्षता पीयूसीएल भागलपुर इकाई के अध्यक्ष प्रो. मनोज कुमार ने की। बैठक में तिलकामाँझी भागलपुर विश्वविद्यालय में प्रमोशन के मुद्दे पर चल रहे प्राध्यापकों के आमरण अनशन पर चर्चा हुई। प्रो. मनोज कुमार ने इसके सम्बन्ध में कहा कि पदोन्नति शिक्षकों का क़ानूनी अधिकार है और विश्वविद्यालय का यह दायित्व है कि वह नियत समय के भीतर पदोन्नति की प्रक्रिया पूरी करे। एक सहज विश्वविद्यालयी प्रक्रिया के लिए शिक्षकों को आमरण अनशन पर बैठना पड़े, यह अत्यन्त दुर्भाग्यपूर्ण है।
असिस्टेंट प्रोफ़ेसर से सीनियर असिस्टेंट प्रोफ़ेसर के रूप में पदोन्नति की प्रक्रिया में कोई जटिलता नहीं होती लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन जानबूझकर इसे जटिल बना रहा है। प्रमोशन की प्रक्रिया में देरी होने से शिक्षकों का मनोबल टूटता है। विश्वविद्यालय में इससे अकादमिक माहौल बाधित होता है। क़रीब 108 असिस्टेंट प्रोफ़ेसर की पदोन्नति होनी है और इसमें कई ऐसे हैं जिनका प्रमोशन 2021 में ही हो जाना चाहिए था। विश्वविद्यालय प्रशासन ने अभी तक चार बार आवेदन लिया है और अन्तिम आवेदन 28 फ़रवरी 2024 को लिया था लेकिन यह प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है।
विश्वविद्यालय में कई शोधार्थी हैं जिन्हें गाइड नहीं मिल पा रहा है। अगर समय से पदोन्नति हो तो यह समस्या भी समाप्त हो सकती है। विश्वविद्यालय समाज का है और इसलिए पूरा समाज इस प्रकरण से उद्वेलित और चिन्तित है। पीयूसीएल इस मामले में भविष्य में भी क़दम उठाएगा। बैठक में पीयूसीएल भागलपुर इकाई के महासचिव किशन कालजयी, भागलपुर के प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता उदय, सचिव गौतम कुमार, राहुल, दिव्यानन्द, जय प्रकाश कुमार, अमरीना सेराज, उज्ज्वल घोष आदि उपस्थित थे।
हिन्दुस्थान समाचार / बिजय शंकर