होजाई (असम), 18 अक्टूबर (हि.स.)। होजाई के पूर्व विधायक तथा वरिष्ठ भाजपा नेता शिलादित्य देव ने कहा है कि वे सुप्रीम कोर्ट द्वारा नागरिकता के आधार वर्ष को लेकर फैसला सुनाए जाने को लेकर मर्माहत हुए हैं। उन्होंने कहा कि एक सच्चे असमिया के तौर पर उन्हें सुप्रीम कोर्ट के फैसले से ठेस पहुंची है।
सुप्रीम कोर्ट ने असम में नागरिकता के लिए 25 मार्च, 1971 को आधार वर्ष घोषित किया है। धर्म के आधार पर देश आजाद होने के बाद मुसलमानों ने कई राज्य पाकिस्तान और बांग्लादेश के रूप में लिए। इसके उलट असम में नागरिकता के लिए 1971 का आधार वर्ष विदेशी मुसलमानों को फिर से भारतीय नागरिकता देने जैसा है। इससे मुसलमानों को दोहरा लाभ मिला।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जश्न मनाने के लिए एआईयूडीएफ ने केक भी काटा, जिससे साबित हो गया कि वे पूर्वी पाकिस्तान से असम आए थे। 1947 में धर्म के आधार पर देश के बंटवारे के बाद उन्होंने दो-दो देश लिए, लेकिन नेहरू-लियाकत समझौते का फायदा उठाकर वे भारत लौट आए। एआईयूडीएफ ने यह साबित करने के लिए केक काटकर उत्सव भी मनाया कि बांग्लादेशी मुसलमान 1971 तक भारत में घुसपैठ करते रहे।
हिन्दुस्थान समाचार / श्रीप्रकाश