वाराणसी में अमरवीर योद्धाओं की स्मृति में जले आकाश दीप, 25 वर्ष की परम्परा का निर्वाह

दशाश्वमेधघाट पर अमरवीर योद्धाओं को नमन करते 39 जीटीसी के योद्धा: फोटो बच्चा गुप्ता

—आकाश दीप कार्यक्रम का समापन कार्तिक पूर्णिमा को, प्रसिद्ध भारतीय उद्योगपति एवं समाजसेवी रतन नवल टाटा के नाम पर आकाशदीप जलाया

वाराणसी, 18 अक्टूबर (हि.स.)। दशाश्वमेधघाट पर शुक्रवार शाम गंगा सेवा निधि की ओर से अमर शहीदों के पुण्य स्मृति में आकाश दीप जलाए गए। उत्तरवाहिनी पतित पावनी गंगा के तट पर 25 वर्ष की परंपरा का निर्वहन करते हुए देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले वीर जवानों के शहादत को याद किया गया। 39 जीटीसी के जवानों ने शहीदों को सलामी देकर उन्हे नमन किया और आकाशदीप जलाए। घाट पर निधि की ओर से प्रसिद्ध भारतीय उद्योगपति एवं समाजसेवी रतन नवल टाटा के नाम पर आकाशदीप जलाया गया। घाट पर पूरे कार्तिक मास तक आकाश दीप जलाए जाएंगे।

इसके पहले कार्यक्रम का प्रारम्भ गणपति वंदना, देश भक्ति गीत से हुआ। निधि के संस्थापक स्मृतिशेष पं0 सत्येन्द्र मिश्र को श्रद्धा सुमन अर्पित कर कार्यक्रम में प्रो0 रेवती साकलकर ने देशभक्ति पर आधारित गीत प्रस्तुत किया। इनके साथ तबला पर प्रीतम मिश्र, हारमोनियम पर पंकज मिश्र ने संगत किया। गंगा सेवा निधि के अध्यक्ष सुशांत मिश्र ने बताया कि वर्ष 1999 में कारगिल युद्ध विजय पर निधि ने अमर शहीदों के पुण्य स्मृति में आकाश दीप संकल्प का विस्तारीकरण एवं इसे राष्ट्रीय रूप दिया था। संस्था द्वारा भारत के अमर वीर योद्धाओं की स्मृति में सम्पूर्ण कार्तिक मास आकाशदीप जलाया जाता है, निधि द्वारा आयोजित आध्यात्मिकता और राष्ट्रवाद को समर्पित भव्य देव-दीपावली महोत्सव के साथ ही आकाश दीप का समापन किया जाता है। भारत के अमरवीर योद्धाओं को ‘‘भगीरथ शौर्य सम्मान‘‘ से सम्मानित भी किया जाता है। उन्होंने बताया कि शहीद परिवार जनों को एक—एक लाख रूपये सहायतार्थ भी निधि परिवार की ओेर से दिया जाएगा।

—पूर्वजों की स्मृति में आकाशदीप जलाने की परम्परा

सुशांत मिश्र के अनुसार काशी में सदियों-सदियों से गंगा घाटों पर अपने पूर्वजों की स्मृति में, उनके स्वर्गलोक की यात्रा के मार्ग को आलोकित करने के लिए आकाश-दीप जलाने की परम्परा रही है। आकाश-दीप से जुड़े कथानकों में ऐसी मान्यता है कि महाभारत युद्ध में प्राण विसर्जित करने वाले वीरों की स्मृति में भीष्म ने कार्तिक मास में दीप मालिकाओं से उन्हें सन्तर्पण दिया था।

मान्यता है कि कार्तिक मास के समान कोई मास नही, सतयुग के समान कोई युग नही, वेदों के समान कोई शास्त्र नहीं और गंगा के समान दूसरा कोई तीर्थ नहीं हैं। और गंगा के घाट पर कार्तिक माह में जलता ये आकाश दीप इस बात का परिचायक है कि हमारे शहीदों के प्रति हमारे मन में श्रद्धा की रौशनी कितनी उज्ज्वल है।

—इन अमरवीर योद्धाओं के नाम पर जले आकाशदीप

दशाश्वमेधघाट पर गंगा सेवा निधि की ओर से देश के अमरवीर योद्धा 136 बटालियन सीआरपीएफ शहीद विनोद कुमार यादव गुवाहटी, 61 बटालियन सीआरपीएफ के शहीद रमेश यादव,भारतीय थल सेना मे शहीद कर्नल एम एन राय,लेफ्टिनेन्ट कर्नल जे आर चिट्नीस एसी, आर.पी.एफ के शहीद कृतार्थनाथ,शहीद सुरेन्द्र लाल श्रीवास्तव , 11 बटालियन एन.डी.आर.एफ. के शहीद रवि शर्मा, शहीद सोनू यादव,संस्था के संस्थापक स्मृतिशेष पं. सत्येन्द्र मिश्र के नाम पर आकाशदीप जलाए गए।

—इनकी रही उपस्थिति

वाराणसी महापौर अशोक तिवारी, एयर ऑफिसर कमॉडिंग, 4 वायु सेना प्रवरण बोर्ड,, वाराणसी एयर कमाडोर कुणाल काला,39 जी.टी.सी., वाराणसी के ब्रिगेडियर कर्नल के. एम. सिंह, 11वीं वाहिनी, एन.डी.आर.एफ.वाराणसी के डी.आई.जी. मनोज कुमार शर्मा, 95 बटालियन, सी.आर.पी.एफ., वाराणसी के कमाण्डेन्ट राजेश्वर बालापुरकर, आर.पी.एफ. (एन.ई.आर) वाराणसी के कमाण्डेन्ट एस. रामाकृष्णन की खास उपस्थिति रही।

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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी

   

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