कृषि उत्पादन में मिट्टी और पराली का है अहम योगदान : डॉ. खलील खान
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- Dec 27, 2024
कानपुर, 27 दिसंबर (हि.स.)। सीएसए द्वारा आयोजित कार्यक्रम के जरिए मृदा (मिट्टी) को उपजाऊ बनाने और फसलों से निकलने वाली पराली को खेतों में डालने से मिलने वाले सैकड़ों प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष लाभों के साथ-साथ छात्रों को वाद-विवाद प्रतियोगिता के जरिये जागरूक किया गया।
चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केंद्र दिलीप नगर द्वारा कानपुर देहात स्थित बुद्ध लाल वर्मा इंटर कॉलेज भिवान में फसल अवशेष परियोजना जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में सैकड़ो छात्र-छात्राओं ने प्रतिभाग किया। मृदा वैज्ञानिक डॉ. खलील खान ने बताया कि, किसान फसल अवशेषों में आग लगा देते हैं। जिससे पर्यावरण प्रदूषित होता है। साथ ही साथ मृदा (मिट्टी) में पोषक तत्वों का नुकसान होता है। पराली को खेत में मिला देने से मृदा की उर्वरा शक्ति बढ़ती है। खेत के अंदर जीवांश की मात्रा कम होने के कारण सब्जियों, फलों एवं अन्य फसलों में स्वाद व गुणवत्ता की बहुत कमी आ जाती है। जो कि फसल अवशेषों की खाद को मृदा में मिलाने से बढ़ाई जा सकती है।
केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. शशिकांत ने कहा कि, पशुओं द्वारा गोबर की खाद को मिलाने व फसल अवशेषों को मिलाने से मृदा में जीवांश क्षमता बढ़ती है। इस अवसर पर छात्र-छात्राओं द्वारा फसल अवशेष प्रबंधन पर निबंध लेखन, चित्रकला एवं प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस अवसर पर गौरव शुक्ला, शुभम यादव सहित विद्यालय के शिक्षक उपेंद्र सिंह पाल, बृजेश कुमार, रामजी एवं लवली देवी सहित अन्य विद्यालय स्टाफ उपस्थित रहे।
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हिन्दुस्थान समाचार / Rohit Kashyap