पूर्व मेवाड़ राजघराने के सम्पत्ति विवाद में दूसरे दिन भी तनाव
- Admin Admin
- Nov 26, 2024
-परम्परागत राजतिलक हाेने के बाद पूर्व राजघराने के विश्वराज सिंह मेवाड़ के धूणी दर्शन नहीं कर सकने का मामला
उदयपुर, 26 नवंबर (हि.स.)।
ऐतिहासिक चित्तौड़गढ़ के फतह प्रकाश महल में हजारों लोगों की उपस्थिति में सोमवार दोपहर पूर्व राज व्यवस्था की परम्परा के अनुरूप विश्वराज सिंह मेवाड़ के ‘अभिषेक’ के उपरांत परम्परा के अनुसार ही उदयपुर पहुंचकर सिटी पैलेस में स्थित प्रयागगिरि महाराज की धूणी और कुलदेवता बाणनाथजी के दर्शन की परम्परा में उन्हीं के चाचा के परिवार ने अड़चन खड़ी कर दी। बरसों से चल रहा सम्पत्ति विवाद सड़क पर जगजाहिर हो गया। दर्शन नहीं कर पाने के कारण व्यथित मन से रात सवा बजे घर लौटे विश्वराज सिंह मेवाड़ ने कहा कि प्रशासन उन्हें दर्शन नहीं करा सका।
उन्होंने मंगलवार सुबह मीडिया से चर्चा में कहा कि दर्शन करना परम्परा के साथ उनका हक है और प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वह दर्शन की व्यवस्था करे। वे प्रशासन के अगले कदम का इंतजार कर रहे हैं। इस बीच जो लोग उनके समर्थन में जुट रहे हैं उन्हें विश्वराज ने स्पष्ट सन्देश दिया है कि कानून हाथ में नहीं लेना है। उन्होंने यह भी कहा कि अपने आस्था स्थल पर दर्शन के लिए कोई कैसे रोक सकता है। इस बीच, मंगलवार को भी सिटी पैलेस बन्द है और प्रशासन ने भारी पुलिस बल तैनात कर रखा है।
दरअसल, उदयपुर के सिटी पैलेस पर विश्वराज के चाचा अरविंद सिंह मेवाड़ का परिवार काबिज है। अरविंद सिंह के पुत्र लक्ष्यराज सिंह ने हठधर्मिता दिखाते हुए सिटी पैलेस के सभी दरवाजे बंद कर दिए और प्रशासन के आग्रह के बावजूद दर्शन कराने के लिए नहीं खोले। और तो और दर्शन की मांग को लेकर दरवाजे के बाहर खड़े विश्वराज व उनके समर्थकों पर अंदर से पथराव भी किया गया। बड़ी-बड़ी ईंटें, पत्थर और बोतलें फेंकी गईं। इससे एक पुलिसकर्मी और एक महिला घायल हो गए। विश्वराज सिंह के समर्थक सिटी पैलेस मार्ग पर जमे रहे और एक-दो बार विश्वराज समर्थक और पुलिस आमने-सामने भी हो गए, पुलिस ने हल्का बल प्रयोग भी किया।
बार-बार समझाइश के बाद भी कोई मध्यम मार्ग नहीं निकलने की वजह से आखिरकार प्रशासन को सख्त रुख अपनाना पड़ा और देर रात लक्षराज्य सिंह को विवादित सम्पत्ति को कुर्क करने का नोटिस जारी करते हुए संबंधित घंटाघर थानाधिकारी को रिसीवर नियुक्त करने के आदेश जारी कर दिए। अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट (शहर) वार सिंह द्वारा महाराणा ऑफ मेवाड़ चेरिटेबल फाउंडेशन जरिये लक्ष्यराज सिंह पुत्र अरविन्द सिंह मेवाड़ व अन्य को जारी नोटिस को सिटी पैलेस के मुख्य द्वार पर चस्पां कर दिया गया और सिटी पैलेस के मुख्य सुरक्षा अधिकारी को तामील भी करा दिया गया। इसके बाद रात सवा बजे विश्वराज यह कहकर घर लौट गए कि उन्हें भरोसा था कि प्रशासन उन्हें दर्शन कराएगा, लेकिन वे निराश हुए। उन्होंने उनके समर्थन में जुटे मेवाड़वासियों को भी घर लौटने की अपील की।
हालांकि, तनाव अभी बरकरार है और सिटी पैलेस के बाहर और सिटी पैलेस मार्ग पर मंगलवार को भी भारी पुलिस बल तैनात है। सिटी पैलेस पर्यटकों के लिए भी बंद है। सिटी पैलेस मार्ग की कुछ दुकानें भी बंद हैं। संबंधित पक्ष को 27 नवम्बर तक जवाब भी पेश करने को कहा गया है।
गौरतलब है कि वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप के वंशज उदयपुर के पूर्व महाराणा और पूर्व सांसद स्व. महेंद्र सिंह मेवाड़ के निधन के बाद पूर्व राज व्यवस्था के तहत उनके पुत्र विश्वराज का राजतिलक दस्तूर हुआ। 493 साल बाद राजतिलक समारोह चित्तौड़गढ़ में रखा गया। महाराणा प्रताप के पिता उदयसिंह के चित्तौड़ छोड़कर उदयपुर को राजधानी बनाने के बाद राजतिलक का यह पहला अवसर था। किन्तु परम्परा है कि उदयपुर को राजधानी बनाने का सुझाव देने वाले प्रयागगिरि महाराज की धूणी पर हर महाराणा राजतिलक के बाद सबसे पहले नमन करते आए हैं, इसी परम्परा के निर्वहन के तहत विश्वराज सिटी पैलेस पहुंचे थे।
मेवाड़ की परम्पराओं के प्रति लक्ष्यराज सिंह के रवैये पर क्षत्रिय समाज सहित शहर के विभिन्न समाजों ने नाराजगी जाहिर करते हुए उनका सामाजिक समारोहों से बहिष्कार के निर्णय की बात कही है।
अभी बरकरार है तनाव
-उदयपुर सिटी पैलेस में स्थित प्रयागगिरि महाराज की धूणी पर जब तक विश्वराज दर्शन नहीं कर लेते तब तक तनाव बना रहने का अंदेशा है। बताया जा रहा है कि प्रशासन शीघ्र ही विवादित सम्पत्ति को अपने कब्जे में लेकर विश्वराज सिंह को दर्शन कराएगा। सिटी पैलेस के दरवाजे से लेकर सिटी पैलेस मार्ग पर भारी पुलिस बल तैनात है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि विश्वराज सिंह नाथद्वारा से विधायक हैं और उनकी पत्नी महिमा कुमारी मेवाड़ राजसमंद से लोकसभा सांसद हैं।
1983 से चल रहा है उदयपुर के पूर्व राजपरिवार में सम्पत्ति विवाद
-दरअसल, उदयपुर के पूर्व महाराणा भगवत सिंह (दिवंगत महेन्द्र सिंह मेवाड़ के पिता) ने 1963 से 1983 तक राजघराने की कई सम्पत्तियों को लीज पर दे दिया, तो कुछ सम्पत्तियों में हिस्सेदारी बेच दी। इनमें लेक पैलेस, जग निवास, जग मंदिर, फतह प्रकाश, शिव निवास, गार्डन होटल, सिटी पैलेस म्यूजियम जैसी बेशकीमती सम्पत्तियां शामिल थीं। ये सभी सम्पत्तियां राजघराने द्वारा स्थापित एक कंपनी को ट्रांसफर हो गई थीं। यहीं से विवाद शुरू हुआ।
पिता के फैसले से नाराज होकर महेंद्र सिंह मेवाड़ ने 1983 में पिता भगवत सिंह पर कोर्ट में केस फाइल कर दिया। महेंद्र सिंह ने कोर्ट में कहा कि रूल ऑफ प्रोइमोजेनीचर प्रथा को छोड़कर पैतृक संपत्तियों को सब में बराबर बांटा जाए। दरअसल, रूल ऑफ प्राइमोजेनीचर आजादी के बाद लागू हुआ था, इसका मतलब था कि जो परिवार का बड़ा बेटा होगा, वो राजा बनेगा। स्टेट की सारी संपत्ति उसी के पास होगी। अपने बेटे द्वारा केस फाइल करने से भगवत सिंह नाराज हो गए। भगवत सिंह ने बेटे के केस पर कोर्ट में जवाब दिया कि इन सभी प्रॉपर्टी का हिस्सा नहीं हो सकता। ये इम्पोर्टेबल एस्टेट यानी अविभाजीय है।
भगवत सिंह ने 15 मई 1984 को अपनी वसीयत में संपत्तियों का एग्जीक्यूटर छोटे बेटे अरविंद सिंह को बना दिया। 3 नवंबर 1984 को भगवत सिंह का निधन हो गया। उदयपुर के पूर्व राजपरिवार में पूरा झगड़ा उदयपुर सिटी पैलेस से जुड़ी तीन महत्वपूर्ण सम्पत्तियों पर है। इनमें राजघराने का शाही पैलेस शंभू निवास, बड़ी पाल और घास घर शामिल हैं। प्रॉपर्टी से बाहर करने के बाद महेंद्र सिंह मेवाड़ और उनके छोटे भाई अरविंद सिंह के बीच विवाद खुलकर सामने आ गया। दोनों अलग-अलग हो गए। इसके बाद अरविंद सिंह शंभू निवास और महेंद्र सिंह समोर बाग में रहने लगे।
कोर्ट में 37 साल सुनवाई चलने के बाद उदयपुर की जिला अदालत ने 2020 में फैसला दिया। कोर्ट ने कहा कि जो संपत्तियां भगवत सिंह ने अपने जीवनकाल में बेच दी थीं, उन्हें दावे में शामिल नहीं किया जाएगा। इस फैसले में सिर्फ तीन संपत्तियों शंभू निवास पैलेस, बड़ी पाल और घास घर को बराबर हिस्सों में बांटे जाने की बात कही गई।
कोर्ट ने संपत्ति का एक चौथाई हिस्सा भगवत सिंह, एक चौथाई महेंद्र सिंह, एक चौथाई बहन योगेश्वरी और एक चौथाई अरविंद सिंह को दिया। इसके साथ ही कोर्ट ने यह कहा कि शंभू निवास पर 1 अप्रैल 2021 से 4-4 साल के लिए महेंद्र मेवाड़, योगेश्वरी और अरविंद सिंह रहेंगे।
अरविंद सिंह मेवाड़ शंभू निवास में 35 साल रह लिए थे। ऐसे में 1 अप्रैल 2021 से चार साल महेंद्र मेवाड़ और चार साल योगेश्वरी देवी को रहने के लिए कहा गया। इस दौरान संपत्तियों के व्यवसायिक उपयोग पर भी कोर्ट ने रोक लगाई। इसके बाद घास घर और बड़ी पाल पर व्यावसायिक कार्यक्रम नहीं किए गए।
उदयपुर कोर्ट के फैसले के खिलाफ 30 अगस्त 2020 को अरविंद सिंह हाईकोर्ट पहुंच गए। उन्होंने 3 अलग-अलग अपील दायर की। पहली अपील अरविंद सिंह ने खुद पार्टी बनते हुए दायर की, दूसरी अपील वसीयत के एग्जीक्यूटर की हैसियत से और तीसरी अपील दादी वीरद कंवर के कानूनी वारिस के रूप में दायर की गई। इस अपील के बाद सभी पक्षों ने सहमति दी कि इस मामले में अभी कोई कार्यवाही नहीं करेंगे।
28 जून 2022 को हाईकोर्ट ने उदयपुर कोर्ट के फैसले और उसे लागू करने पर रोक लगा दी। यह रोक अपीलों के अंतिम निर्णय तक के लिए लगाई गई। इस फैसले के बाद अब शंभू निवास, घास घर और बड़ी पाल अरविंद सिंह के पास ही रह गए।
महेंद्र सिंह के अधिवक्ता के अनुसार हाईकोर्ट द्वारा प्रॉपर्टी अलाइनमेंट पर जो रोक लगी थी, वह जारी रहेगी। इसके तहत प्रॉपर्टीज बेची नहीं जा सकती, थर्ड पार्टी गिरवी नहीं रख सकते, किसी को हैंडओवर, डेस्ट्रॉय या लीज पर नहीं दे सकते। साथ ही प्रॉपर्टी के उपयोग से जुड़े अकाउंट्स भी कोर्ट में पेश करने होंगे।
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हिन्दुस्थान समाचार / सुनीता