
पौड़ी गढ़वाल, 9 अप्रैल (हि.स.)। अपनी तस्वीरों को ए आई की मदद से उन्हें घिबली शैली में बदलकर सोशल मीडिया पर डालने का चलन आजकल लोकप्रिय हो रहा है। हालांकि, राजकीय प्राथमिक विद्यालय चौरखाल के सहायक अध्यापक एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के साइबर एम्बेसडर डा अतुल बमराडा का मानना है कि ऐसी तस्वीरें एआई टूल्स को देकर अपनी व्यक्तिगत जानकारी तीसरे पक्ष के हाथों में देने से तस्वीरों का दुरुपयोग होने से व्यक्ति को परेशानी, मानसिक तनाव होने के साथ-साथ व्यक्तिगत सुरक्षा खतरे में पड़ने का खतरा बढ़ रहा है।
बताया कि घिब्ली एक जापानी एनीमेशन स्टूडियो का नाम है जो दुनियाभर में अपनी खूबसूरत, भावनात्मक और कलात्मक एनिमेटेड फिल्मों के लिए प्रसिद्ध है। इस आर्ट का प्रयोग करने के लिए उपयोगकर्ता अपनी तस्वीर एआई को देता है। इसके बाद उपयोगकर्ता की तस्वीर कार्टून जैसी घिबली शैली में तैयार की जाती है लेकिन यह कितना सुरक्षित है, इस पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। इसलिए तस्वीरों के दुरुपयोग होने की संभावना बढ़ गई है।
कई बार लोग बिना शर्तों को पढ़े ही अपनी तस्वीरें किसी वेबसाइट या ऐप पर अपलोड कर देते हैं, जिससे कंपनियों को उन छवियों का स्थायी उपयोग करने का अधिकार मिल जाता है। धोखेबाज वेबसाइट्स या ऐप्स खुद को एआई फोटो एडिटर या फेस एनालिसिस टूल के रूप में पेश करके लोगों की निजी जानकारी और तस्वीरें एकत्रित करते हैं। बहुत सी कंपनियां बिना उपयोगकर्ता को पूरी जानकारी दिए उनकी छवियां एआई मॉडल को बेहतर बनाने के लिए इस्तेमाल करती हैं, जिससे निजता का हनन होता है।
डा. अतुल बमराडा ने बताया कि घिबली या अन्य एआई आधारित फिल्टर का आजकल बड़े पैमाने पर इस्तेमाल हो रहा है। दिए गए फोटो के माध्यम से एआई उसे एक आकर्षक कार्टून में रूपांतरित करता है। इससे निजी चेहरे के डेटा का दुरुपयोग, डीपफेक तकनीक का इस्तेमाल और व्यक्तिगत गोपनीयता का उल्लंघन जैसे खतरे पैदा हो रहे हैं। इसलिए उपयोगकर्ता के चेहरे की विशेषताएं, भाव, रंग, अभिव्यक्ति सहित कई चीजें संग्रहित की जाती हैं, जिन्हें बाद में बेचा, साझा किया जा सकता है या गलत इरादे से इस्तेमाल किया जा सकता है।
हिन्दुस्थान समाचार / कर्ण सिंह