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धमतरी, 6 फ़रवरी (हि.स.)। फरवरी माह की शुरुआत होने के साथ गर्मी का अहसास शुरू हो चुका है। जंगलों में पतझड़ होने के कारण पत्ते झड़कर जमीन पर पड़े हुए हैं। जमीन पत्तों से लैस है, ऐसे में गर्मी शुरू होने के साथ जंगलों में आगजनी का खतरा मंडराता रहता है। इसे देखते हुए वन विभाग जंगलों को आग से बचाने के लिए लाइन कटाई व सफाई कार्य शुरू कर दिए है। जंगल में आग लगाने वालों को वन विभाग की कार्रवाई से जेल हो सकता है।
जिले के नगरी व मगरलोड वनांचल ब्लाक है। वहीं धमतरी के 30 से 35 प्रतिशत क्षेत्र वनांचल है, जहां गर्मी के दिनों में आगजनी का खतरा बना रहता है। इस संबंध में वन विभाग के एसडीओ मनोज विश्वकर्मा ने बताया कि जंगलों में आग न लगे इसे रोकने के लिए विभाग द्वारा युद्धस्तर पर लाइन कटाई और सफाई जारी है। जंगलों में आग न लगे उसके लिए राजस्व और वन सीमा के बीच और वन क्षेत्र के बीच में महुआ पेड़ को चिन्हांकित कर उसमें नंबरिंग कर रहे हैं। पीडब्लूडी रोड के दोनों ओर छह- छह मीटर और फारेस्ट रोड के दोनों ओर तीन-तीन मीटर की लाइन कटाई और सफाई की जा रही है। जंगल में आग लगने की सूचना और आग बुझाने में मदद करने के लिए वन परिक्षेत्र धमतरी में 15, केरेगांव में 16 और उत्तर सिंगपुर में 32 वालेंटियर्स रखे गए है। सभी 117 बीटों में फारेस्ट फायर वाचर जल्द नियुक्त करेंगे। साथ ही वन्य प्रबंधन समिति से भी फायर वाचर रखते हैं।
जंगल में ज्यादातर आग लगने का एक मुख्य कारक महुआ पेड़ है। इसके नीचे उगे भूसी घास को साफ-सफाई करते हैं, उसमें आग लगा देते है। वहां से जंगल में आग तेजी से फैल जाती है। केरेगांव, उत्तर सिंगपुर, दुगली, नगरी और बिरगुड़ी क्षेत्र में ज्यादातर महुआ पेड़ है। हर गांव में जंगल के किनारे और अंदर में जितने भी महुआ के पेड़ है, इसे चिन्हांकित किया गया है। उस पेड़ के नीचे जो भी महुआ इकट्ठा करते हैं, उनका मोबाइल नंबर के साथ पंजीयन करवाया जा रहा है। साथ ही उनसे शपथ पत्र भरवाया जा रहा है कि हम जंगल में आग नहीं लगने देंगे, महुआ के पेड़ को झाड़ू से साफ करेंगे।
वन मंडल धमतरी द्वारा पहली बार आग रोकने की मुहिम में युवाओं को वालेंटियर्स के रूप में रखने की तैयारी की जा रही है। फारेस्ट फायर फाइटिंग फोर्स के रूप में कुछ वालेंटियर्स को इसमें शामिल किया जाएगा। ऐसे युवाओं को चिन्हांकित किया जा रहा है। हर ग्राम में ऐसे युवाओं को चिन्हांकित कर रहे हैं, जो आग (फायर) लगने की सूचना तत्काल वन विभाग को देंगे और आग बुझाने में भी विभाग की मदद करेंगे।
फारेस्ट फायर से बचने दो प्रकार से तैयारियां जारी
वन मंडलाधिकारी धमतरी जाधव श्रीकृष्ण ने गुरुवार काे जानकारी देते हुए बताया कि 15 फरवरी से 15 जून तक फारेस्ट फायर का सीजन मानते हैं। उसमें दो तरह की तैयारियां होती है, जिसमें आग बिल्कुल न लगे और न फैले और आग लगने के बाद रोकने को लेकर विशेष ध्यान देकर तैयारियां कर रहे हैं। फायर लाइन का कटाई और सफाई का कार्य चल रहा है। लगभग पूरा होने वाला है। 15 फरवरी से पहले जो भी बचे है, जहां से आग फैलने की संभावना रहती है वह कार्य पूर्ण कर लेंगे। 15 फरवरी से हर बीट में एक फायर वाचर नियुक्त किया जाएगा। जंगल में आग लगाने वालों के विरुद्ध भारतीय वन अधिनियम 1927 के अंतर्गत इसमें कार्रवाई हो सकती है, जेल भेजा जा सकता है।
हिन्दुस्थान समाचार / रोशन सिन्हा