त्रिदिवसीय सामवेद पारायण यज्ञ महोत्सव शुरू : 12 को महाप्रसादी के साथ होगा समापन
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- Jan 10, 2025
जोधपुर, 10 जनवरी (हि.स.)। यज्ञोपवित का पहला धागा मां-पिता की सेवा, दूसरा गुरुजनों, ईश्वर भक्ति और तीसरे धागे में समाज की सेवा के देता है संस्कार आज से शुरू दूसरा गुरूजनों, ईश्वर भक्ति अपारायण यज महोत्सव यज्ञोपवित मां बाप की सेवा सहित संस्कारों के ज्ञान से अवगत करवाता है।
ओमदत्त गहलोत चैरिटेबल ट्रस्ट की ओर से पर्यावरण संरक्षण और सनातन वैदिक संस्कृति रक्षणार्थ शहर सहित आसपास के गांवों के 10 वर्ष के बच्चों लेकर 20 वर्ष के युवाओं का निशुल्क उपनयन संस्कार करवाया जा रहा है। ट्रस्ट की ओर से उपनयन संस्कार के साथ सामवेद पारायण यज्ञ का आयोजन किया जाएगा, जिसके लिए बच्चों के आवेदन भी प्राप्त हो चुके हैं।
आज सूरसागर स्थित आर्यन वाटिका में होने वाले तीन दिवसीय समारोह के तहत पहले दिन सुबह 7.30 बजे सामवेद पारायण यज्ञ से कार्यक्रम की शुरूआत की गई। 3 दिन तक 1875 मंत्रों के साथ पारायण यज्ञ सुबह और शाम किया जाएगा।
तीन दिवसीय पारायण यज्ञ महोत्सव के तहत अगर, तगर, शतावर, गुग्गुल, छरीला, ब्राह्मी, तुम्बरु, नागकेसर, नागरमोथा, केशर आदि 92 प्रकार की औषधियों से युक्त हवन सामग्री से सामवेद पारायण यज्ञ में आहुतियाँ दी जाएगी।
तीन दिवसीय संस्कार के तहत संस्कृत महाविद्यालय सिरोही के प्रो. रामनारायण के सान्निध्य में आयोजन किया जाएगा। इसके साथ ही आर्ट्स गुरुकुल आबू पर्वत के स्वामी ओमानंद सरस्वती, प्रख्यात आर्य भजनातेपदेशिका उत्तरप्रदेश की कल्याणी भी शामिल होंगी। पारायण यज्ञ और उपनयन संस्कार अलवर के वेदपाठी शामिल होंगे।
ओमदत्त गहलोत चैरिटेबल ट्रस्ट के अजय सिंह गहलोत ने बताया कि सामवेद पारायण यज्ञ की विशेषता यह है कि तीन दिन प्रात : तथा सायंकालीन चलने वाले यज्ञ में घर पर पूर्ण संरक्षण से पाली जाने वाली देसी गायों से प्राप्त शुद्ध घी का प्रयोग किया जाएगा। साथ ही सामग्री में विविध औषधियों का समावेश किया गया है। ट्रस्ट द्वारा गौ संरक्षण के माध्यम से सभी महिलाओं को रोजगार उन्मुख करते हुए पंचगव्य से विभिन्न उत्पाद बनाए जा रहे हैं।
आर्य गहलोत परिवार के कुलपुरोहित तथा सामवेद पारायण यज्ञ के ब्रह्मा प्रो. डॉ. रामनारायण शास्त्री ने बताया कि चारों वेदों में तृतीय वेद सामवेद माना जाता है। यह संगीत प्रधान वेद है। आरोह एवं अवरोह से युक्त मंत्राळे का गान साम कहलाता है, साम से संबद्ध वेद सामवेद कहलाता है। भारतीय संगीत का उद्भव सामवेद से हुआ है। चारों वेदों में से आकार की दृष्टि से सामवेद सबसे छोटा वेद है। सामवेद में सर्वाधिक मंत्र ऋग्वेद से लिए गए हैं तथा यजुर्वेद एवं अथर्ववेद के भी कुछ मंत्र सामवेद में प्राप्त होते हैं।
कार्यक्रम संयोजक विमल शास्त्री ने बताया कि प्राचीनकाल की गुरुकुल पद्धति की तरह उपनयन संस्कार का आयोजन किया जाएगा। जिसमें 11 जनवरी को सुबह 11 बजे सभी बच्चों को संस्कार दिए जाएंगे। वहीं 12 जनवरी को यज्ञ की पूर्णाहुति और समापन समारोह किया जाएगा।
हिन्दुस्थान समाचार / सतीश