हिसार:पुलिस कर्मियों की एसीपी काटने के नोटिस पर हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

सरकार 15 जुलाई को हाईकोर्ट में देगी जवाब, तब तक तनख्वाह से छेड़छाड़ पर रोकहिसार, 8 अप्रैल (हि.स.)। पुलिस कर्मचारियों को जारी किए गए एसीपी वापसी के नोटिस के खिलाफ हरियाणा पुलिस एसीपी बचाओ संघर्ष समिति ने प्रदेशाध्यक्ष दिनेश सिवाच ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी है। हाईकोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए राज्य सरकार से 15 जुलाई तक जवाब मांगा है। साथ ही हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि इस दौरान याचिकाकर्ताओं की तनख्वाह से कोई छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए।दरअसल पुलिस महानिदेशक द्वारा कांस्टेबल और एग्जंप्टी हेड कांस्टेबल (ईएचसी) को एसीपी (सुनिश्चित कैरियर प्रगति) स्केल के बारे में जारी निर्देशों के बाद लगभग सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों ने पुलिस कर्मचारियों को एसीपी काटने के नोटिस जारी किए थे। इन नोटिस के खिलाफ पुलिस कर्मचारियों ने एकत्रित होकर हरियाणा पुलिस एसीपी बचाओ संघर्ष समिति बनाई। समिति के प्रदेश अध्यक्ष एवं हरियाणा पुलिस एसोसिएशन के हिसार जिले के पूर्व प्रधान ईएसआई दिनेश सिवाच ने इस बारे में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा व मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से भी मुलाकात की लेकिन कोई राहत नहीं मिली।दिनेश सिवाच ने मंगलवार को बताया कि पुलिस विभाग के आला अधिकारियों ने उन पुलिस कर्मचारियों की एसीपी (अस्योर्ड करिअर प्रोगे्रस) काटने के आदेश जारी किए हैं जिन्होंने विभागीय परीक्षा पास नहीं की। पुलिस विभाग के पुराने नियमों के तहत विभागीय परीक्षा पास ना कर सकने वाले पुलिस कर्मचारियों को पहले दस, बीस और तीस साल की सेवा पर क्रमश: एक, दो व तीन एसीपी मिली थी जिसको बाद में बदलकर आठ, सोलह व चौबीस साल कर दिया गया था। उन्होंने बताया कि हरियाणा में पुलिस कर्मचारियों को पंजाब, चंडीगढ़ और दिल्ली के पुलिस कर्मचारियों से काफी कम वेतन मिलता है और पुलिस कर्मचारी पंजाब के पुलिस कर्मचारियों के समान वेतनमान दिए जाने की काफी सालों से मांग कर रहे हैं। ऐसे में पुलिस कर्मचारियों की मांग पूरी ना करने बजाय उनको पहले से मिल रही एसीपी को काटने के आदेश देना कोढ़ में खाज करने जैसा है। यदि यह हुआ तो हर पुलिस कर्मचारी से करीब 15 लाख की रिकवरी की जाएगी और तनख्वाह में से भी करीब 15 हजार रुपये कम हो जाएंगे। यदि 15 लाख रुपये की रिकवरी की गई तो पुलिस कर्मचारियों को तनख्वाह के नाम पर दस से पंद्रह हजार रुपये भी नहीं मिलेंगे।

हिन्दुस्थान समाचार / राजेश्वर

   

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