ड्रोन आधारित कृषि को लेकर कृषि विश्वविद्यालय में जल्द शुरू होगी ट्रेनिंग
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- Jan 28, 2025
बीकानेर, 28 जनवरी (हि.स.)। किसान अपने खेत की सॉयल हेल्थ जानने के बाद ही कृषि की नई तकनीक अपनाएं तभी हम अच्छी खेती कर पाएंगे। ये कहना है केन्द्रीय शुष्क बागवानी संस्थान बीकानेर के निदेशक डॉ. जगदीश राणे का। वे स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय में ''सुनियोजित कृषि तकनीकें'' विषय पर आयोजित सात दिवसीय कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में किसानों को संबोधित कर रहे थे। समापन कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलसचिव डॉ. देवा राम सैनी ने की। कार्यक्रम में अतिथियों ने हाइड्रोपोनिक तकनीक के वर्टिकल टावर का उद्घाटन किया। साथ ही प्रशिक्षण पूरा करने वाले किसानों को अतिथियों ने सर्टिफिकेट देकर सम्मानित किया।
मानव संसाधन विकास निदेशालय कॉन्फ्रेंस हॉल में आयोजित समापन समारोह को संबोधित करते हुए डॉ. राणे ने कहा कि पानी हो या उर्वरक, फसल को उतना ही देना चाहिए जितनी जरूरत हो। उन्होंने कहा कि भविष्य में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए किसान को घर बैठे पता चल जाएगा कि खेत में किस जगह पर पानी या उर्वरक देने की आवश्यकता है।
कुलसचिव डॉ. देवा राम सैनी ने कहा कि आज हमारी आवश्यकता बड़ी मात्रा में फसल उत्पादन की बजाय गुणवत्तापूर्ण फसल उत्पादन की है। साथ ही कहा कि खेती की परंपरागत तकनीक की बजाय अगर हम कृषि की नई तकनीक का इस्तेमाल करेंगे तभी हम समृद्ध होंगे। उन्होंने कहा कि हमारा किसान अपने पड़ोस के किसान से ही ज्यादा सीखता है। लिहाजा यहां से प्रशिक्षण लेने वाले किसान अपने खेत में इन तकनीक का इस्तेमाल जरूर करें ताकि पड़ौस का किसान भी इसे सीख सके।
अनुसंधान निदेशक डॉ. विजय प्रकाश ने कहा कि हमें कृषि को लेकर प्रधानमंत्री जी के ध्येय वाक्य ''मोर क्रॉप, पर ड्रॉप'' को ध्यान में रखते हुए परंपरागत खेती को छोड़कर कृषि की नई तकनीक को अपनाना है ताकि कम लागत में अधिक इनकम प्राप्त कर सकें। साथ ही कहा कि कृषि विश्वविद्यालय जल्द ही ड्रोन आधारित कृषि को लेकर ट्रेनिंग आयोजित करने जा रहा है। जिसमें ट्रेनिंग लेने वाले किसान ड्रोन के मास्टर ट्रेनर बन सकेंगे।
वीसी से जुड़े एन.सी.पी.ए.एच.नई दिल्ली के संयुक्त निदेशक के,के. कौशल ने कहा कि सात दिवसीय ट्रेनिंग में जो भी सीखा है उसे चाहे छोटे स्तर से ही सही, लेकिन फील्ड में जाकर उसका इंप्लीमेंट करें। इससे पूर्व प्रशिक्षण कार्यक्रम के संयोजक इंजीनियर जे.के. गौड़ ने बताया कि कृषि अनुसंधान केन्द्र बीकानेर के सुनियोजित खेती विकास केंद्र द्वारा आयोजित और राष्ट्रीय सुनियोजित कृषि और बागवानी समिति द्वारा प्रायोजित इस प्रशिक्षण में कृषि की विभिन्न नई तकनीक की जानकारी किसानों को विस्तृत रूप से दी गई। प्रशिक्षण कार्यक्रम में 30 किसानों ने हिस्सा लिया।
किसानों ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि प्रशिक्षण कार्यक्रम में हाइड्रोपोनिक जैसी खेती की नई तकनीक के बारे में भी बताया गया। साथ ही सुझाव दिया कि अगर खेती के साथ साथ नर्सरी लगाने की ट्रेनिंग भी मिले तो किसानों को इसका लाभ मिलेगा। कार्यक्रम के आखिर में डॉ. जे.के.तिवाड़ी ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
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