बच्चे के नाक में फंसा बटन, सरकारी ने किया रैफर तो क्लीनिक के डाक्टर ने प्लकर से निकाला

ऊना, 14 अक्टूबर (हि.स.)। सिविल अस्पताल गगरेट इस कद्र रेफरल इकाई बना है कि अब तो लोगों को उपचार के लिए यहां आना ही बेकार लगने लगा है। सोमवार को एक बच्चे ने खेलते-खेलते अपनी नाक में बटन फंसा लिया। परिजन तत्काल उसे सिविल अस्पताल गगरेट ले आए लेकिन यहां आते ही डाक्टर ने उन्हें बच्चे को होशियारपुर या फिर क्षेत्रीय अस्पताल ऊना ले जाने की सलाह दे डाली। इसी बीच परिजन बच्चे को गगरेट में एक निजी क्लीनिक पर ले गए। यहां डाक्टर ने प्लकर की मदद से बच्चे के नाक में फंसा बटन बाहर निकाल दिया। ऐसे में सवाल यह है कि क्या सिविल अस्पताल गगरेट रेफरल इकाई से बढ़कर कुछ भी नहीं।

ग्राम पंचायत अप्पर गगरेट के चार वर्षीय कृषव पुत्र संदीप शर्मा ने खेलते-खेलते नाक में बटन घुसा लिया। इस बात का पता चलते ही उसके परिजन उसे तत्काल सिविल अस्पताल गगरेट लेकर पहुंचे और डाक्टर को बच्चे द्वारा नाक में बटन फंसा लेने की बात बताई। इस पर डाक्टर ने उन्हें बच्चे को क्षेत्रीय अस्पताल ऊना या फिर होशियारपुर ले जाने की सलाह दे डाली। घबराए परिजन बच्चे को एक स्थानीय निजी क्लीनिक में ले गए। यहां डाक्टर ने बच्चे की जांच की और प्लकर के जरिए बटन को कुछ ही देर में बाहर निकाल दिया। अगर इन छोटी-छोटी चीजों के लिए भी स्थानीय जनता को क्षेत्रीय अस्पताल या फिर होशियारपुर के निजी स्वास्थ्य संस्थानों पर ही निर्भर रहना पड़े तो फिर सिविल अस्पताल गगरेट की जरूरत ही क्या है। आखिर क्या वजह है कि सिविल अस्पताल गगरेट की व्यवस्थाएं सुधरने का नाम ही नहीं ले रही हैं। उधर बीएमओ डा. पंकज पराशर का कहना है कि उनके संज्ञान में मामला नहीं है।

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हिन्दुस्थान समाचार / विकास कौंडल

   

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