विनयशीलता और विश्वसनीयता ने विष्णुकांत शास्त्री को बनाया लोकप्रिय: धर्मेंद्र प्रधान

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान संबोधित करते हुए

केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने विष्णुकांत शास्त्री रचना-संचयन का किया लोकार्पण

नई दिल्ली, 10 दिसंबर (हि.स.)। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने मंगलवार को साहित्य अकादमी द्वारा प्रकाशित विष्णुकांत शास्त्री रचना-संचयन का लोकार्पण किया। प्रधान ने इस पुस्तक के प्रकाशन के लिए अकादमी को बधाई दी। उन्होंने कहा कि विष्णुकांत शास्त्री सारस्वत साधक और बहुआयामी सक्रि7यता से भरे सुसंस्कृत जीवन को एक प्रतिमान के रूप में स्थापित करने वाले विद्वान राजनेता थे। शास्त्री जी भारतीय दर्शन और काव्य की महान परंपरा के संवाहक और पोषक थे। विद्वत्ता, विनयशीलता और विश्वसनीयता ने उनको लोकप्रिय बनाया।

केंद्रीय शिक्षा मंत्री प्रधान ने नई दिल्ली के प्रधानमंत्री संग्रहालय में आयोजित कार्यक्रम में कहा कि शिक्षा, साहित्य, समाज, संस्कृति, अध्यात्म राजनीति-सभी क्षेत्रों में शास्त्री जी ने अपना स्मरणीय योगदान दिया और उन पर अपनी अमिट छाप भी छोड़ी है। शास्त्री जी की लोकप्रियता के तीन स्पष्ट कारण दिखते हैं- उनकी विद्वत्ता, विनयशीलता और विश्वसनीयता। यह तीन गुण शास्त्री जी को उन लोगों में भी लोकप्रिय बना देते थे जो उनसे असहमत लोग थे।

शिक्षा मंत्री प्रधान ने कहा कि शास्त्री जी ने भारतीय संस्कृति, धर्म, अध्यात्म और साहित्य को आगे बढ़ाने में बड़ा योगदान दिया है। कविता उनके लिए प्रीतिकर जीवन ऊर्जा थी। काव्य के प्रति अत्यंत प्रेम, भगवान राम के प्रति अपार निष्ठा और पूर्ण समर्पण उन्हें विशिष्ट बना देते रहे हैं। अपनी प्रेरक वाणी, सुचिंतित लेखन और व्याख्यानों से शास्त्री जी ने अनेक व्यक्तियों, संस्थाओं और देश को नई दिशा दी। यही वह संत-समान कार्य है जो आचार्य विष्णुकांत शास्त्री को हमारे समाज और देश के श्रेष्ठतम सत्पुरुषों की अग्रिम पंक्ति में विराजमान करता है।

प्रधान ने अपने एक संस्मरण के माध्यम से बताया कि उन्होंने पहली बार देश की एकता के मंदिर 'संसद भवन' का दर्शन विष्णुकांत शास्त्री जी के माध्यम से ही किया था। उन्होंने कहा कि शास्त्री जी लक्ष्य-आधारित जीवन जीने वाले बड़े व्यक्तित्व थे। उनका हिंदी प्रेम अनन्य था। प्रधान ने कई घटनाओं का उल्लेख करते हुए शास्त्री जी के व्यक्तित्व के विभिन्न आयामों पर विस्तार से चर्चा की।

कार्यक्रम के प्रारंभ में अकादमी के अध्यक्ष माधव कौशिक ने केंद्रीय मंत्री प्रधान, रचना-संचयन के संपादक डॉ प्रेमशंकर त्रिपाठी और केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय की सचिव अरुनीश चावला का स्वागत अंग वस्त्रम एवं अकादमी के प्रकाशन भेंट कर किया। इस अवसर पर अकादमी की उपाध्यक्ष डॉ कुमुद शर्मा भी मौजूद थीं। अपने स्वागत वक्तव्य में साहित्य अकादमी के सचिव डॉ. के. श्रीनिवासराव ने शिक्षा मंत्री का अभिनंदन करते हुए कहा कि यह अवसर अकादमी के लिए विशिष्ट है। उन्होंने विष्णुकांत शास्त्री रचना-संचयन की सामग्री और पुस्तक के संपादक के बारे में संक्षेप में बताया।

पुस्तक के संपादक डॉ. प्रेमशंकर त्रिपाठी ने कहा कि आचार्य शास्त्री का व्यक्तित्व बहुआयामी था। उन्होंने विस्तार से शास्त्री जी के रचनाकर्म पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि आचार्य शास्त्री ने साहित्य और राजनीति को पास लाने का कार्य किया।

अकादमी के अध्यक्ष माधव कौशिक ने कहा कि अकादमी की रचना-संचयन की शृंखला में उन्हीं साहित्यकारों की रचनाओं में से चुन कर ग्रंथ प्रकाशित किया जाता है जिन्होंने भारतीय आत्मा को समझा है। इस तरह अकादमी ऋषि-ऋण उतारने का कार्य कर रही है।

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हिन्दुस्थान समाचार / पवन कुमार

   

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