हिसार : गुरु जम्भेश्वर विवि गुणवत्तापरक शोध के लिए प्रतिबद्ध :नरसी राम बिश्नोई

कार्यशाला को संबोधित करते कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई।

‘कंप्रिहेंसिव हैंड्स

ऑन वर्कशॉप ऑन एनएमआर एंड एचपीएलसी टेक्नीक्स’पर कार्यशाला शुरू

हिसार, 18 दिसंबर (हि.स.)। गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय

के कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने कहा है कि उच्च गुणवत्ता की शोध की राह पर चलकर

ही 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। विश्वविद्यालयों को

इस दिशा में अपना अग्रणी योगदान देना होगा। गुजविप्रौवि गुणवत्तापरक शोध के लिए प्रतिबद्ध

है।

प्रो. नरसी राम बिश्नोई बुधवार को विश्वविद्यालय के डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम

सेंट्रल इंस्ट्रूमेंटेशन लेबोरेटरी (सीआईएल) के सौजन्य से ‘कंप्रिहेंसिव हैंड्स ऑन

वर्कशॉप ऑन एनएमआर एंड एचपीएलसी टेक्नीक्स’ पर चौधरी रणबीर सिंह सभागार में शुरू हुई तीन दिवसीय कार्यशाला

के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे। सीआईएल के निदेशक एवं कार्यशाला के संयोजक

प्रो. मनीष आहुजा, संयोजक सचिव प्रो. सी.पी.कौशिक व प्रो. मनीष कुमार मंच पर उपस्थित

रहे।

कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने अपने संबोधन में कहा कि एनएमआर एवं एचपीएलसी

शोध और उद्योग क्षेत्र में प्रयोग होने वाले अत्यंत शक्तिशाली और महत्वपूर्ण टूल्स

हैं। विशेषकर चिकित्सा, फार्मास्युटिकल, पर्यावरण विज्ञान, खाद्य तकनीकी तथा बायोटेक्नोलॉजी

के क्षेत्र में वैज्ञानिकों के लिए ये टूल्स अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय का वर्तमान एच-इंडेक्स

128 तक पहुंच गया है तथा साइटेशन भी एक लाख से अधिक हो गए हैं। विश्वविद्यालय के शोध को उच्च स्तर प्रदान करने

में सीआईएल का महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने

प्रतिभागियों से कहा कि वे इस कार्यशाला में सिखाई जाने वाली तकनीकों का फायदा उठाएं

तथा राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान दें।

उन्होंने कहा कि इस प्रकार की कार्यशालाएं अत्यंत आवश्यक हैं। विश्वविद्यालय में आगे भी इस प्रकार की कार्यशालाओं

का आयोजन किया जाता रहेगा।

प्रो. मनीष अहुजा ने अपने स्वागत संबोधन में कहा कि यह कार्यशाला शोध तथा नवाचार

के प्रति विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करती है। उन्होंने सीआईएल की गतिविधियों

का सम्पूर्ण ब्यौरा प्रस्तुत किया तथा बताया कि सीआईएल विश्वविद्यालय के लिए गौरवपूर्ण

उपलब्धियां हासिल कर रही है। सीआईएल की सुविधाओं का न केवल विश्वविद्यालय बल्कि देश

के अन्य राज्यों द्वारा भी फायदा उठाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि सीआईएल के चलते

शोधार्थियों तथा शिक्षकों की शोध क्षमता में वृद्धि हो रही है, जिससे विश्वविद्यालय

का शोध स्तर बढ़ रहा है।

प्रो. सीपी कौशिक ने कार्यशाला की तीन दिवसीय गतिविधियों के बारे में जानकारी

दी। उन्होंने बताया कि इस दौरान विशेष व्याख्यानों, प्रदर्शनियों तथा हैंड्स ऑन ट्रेनिंग

आदि के माध्यम से उच्च स्तरीय विषय विशेषज्ञों द्वारा प्रतिभागियों को प्रशिक्षित किया

जाएगा। प्रो. मनीष कुमार ने सभी का धन्यवाद किया। इस कार्यशाला में 30 प्रतिभागी भाग

ले रहे हैं।

हिन्दुस्थान समाचार / राजेश्वर

   

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