बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिन्दुओं पर अत्याचार के खिलाफ देशभर में प्रदर्शन
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- Dec 10, 2024
- दिल्ली स्थित बांग्लादेश उच्चायोग के सामने निकाला मार्च, साधु-संत भी हुए शामिल
- लखनऊ में संघ के अ.भा. संपर्क प्रमुख रामलाल बोले- हिन्दुओं पर अत्याचार बंद हो
नई दिल्ली, 10 दिसंबर (हि.स.)। बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार के विरोध में पूरे देश में आक्रोश है। इसको लेकर मंगलवार को दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, पश्चिम बंगाल और असम समेत देशभर में प्रदर्शन किया गया। अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस पर बांग्लादेश हिन्दू रक्षा संघर्ष समिति के तत्वावधान में आयोजित प्रदर्शन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विश्व हिन्दू परिषद, बजरंग दल, भारतीय जनता पार्टी, अधिवक्ता परिषद, अखिल भारतीय संत समिति, दिल्ली सिविल सोसाइटी और तमाम हिन्दू संगठनों के कार्यकर्ता एवं पदाधिकारी उपस्थित रहे। इस प्रदर्शन में साधु-संतों ने भी हिस्सा लिया। प्रदर्शनकारियों ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिन्दुओं की रक्षा को लेकर भारत सरकार और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से हस्तक्षेप की अपील की।
नई दिल्ली स्थित बांग्लादेश उच्चायोग के निकट तीन मूर्ति चौक पर दिल्ली सिविल सोसाइटी के साथ दो सौ से अधिक सामाजिक एवं सांस्कृतिक संगठनों ने प्रदर्शन किया। इसमें कई प्रतिष्ठित संतों और ख्यातिलब्ध हस्तियों, पूर्व पुलिस, पूर्व सैन्य और पूर्व न्यायिक अधिकारियों ने केन्द्र सरकार से हिन्दुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की और बांग्लादेश को इस मुद्दे पर चेताया। विरोध मार्च के दौरान ‘हिन्दुओं का नरसंहार बंद करो’, ‘नहीं सहेंगे अब अत्याचार बांग्लादेश कर ले विचार’ जैसे नारे लगाए गए। प्रदर्शनकारियों ने अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग और एमनेस्टी इंटरनेशनल पर हिन्दुओं पर अत्याचार को लेकर उनके रवैए पर सवाल उठाया।
दिल्ली सिविल सोसाइटी के पदाधिकारियों ने बांग्लादेश उच्चायुक्त को एक ज्ञापन भी सौंपा। इसमें भारत और बांग्लादेश के मजबूत और सौहार्दपूर्ण संबंधों की याद दिलाते हुए मांग की गई है कि हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों की रक्षा की जाए। ज्ञापन में याद दिलाया गया कि भारत एवं भारत के लोग बांग्लादेश की स्वतंत्रता की लड़ाई में उसके साथ एकजुटता से खड़े रहे हैं। पाकिस्तान के हिंसा, शोषण और नरसंहार से बांग्लादेश को मुक्त करने में भारतीयों ने अपने जीवन का भी बलिदान किया है। इस मौके पर साध्वी ऋतंभरा ने कहा कि गृह युद्ध की स्थिति होने पर सबसे ज्यादा मार साधु-संतों और महिलाओं को झेलनी पड़ती है। बांग्लादेश में साधु-संतों जैसे- चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी महाराज को जेल में डाला गया। महिलाओं को सामूहिक दुष्कर्म जैसी घटनाओं का सामना करना पड़ रहा है। छोटे-छोटे विषयों को उठाने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं आज हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचारों पर चुप क्यों हैं। बौद्ध संत भंते राहुल ने बांग्लादेश में बौद्ध संतों और समाज पर हो रहे अत्याचार का मुद्दा उठाया। ढाका में भारत की पूर्व उच्चायुक्त वीना सीकरी ने कहा कि बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचारों के लिए वहां सरकार चला रहे मोहम्मद यूनुस को भी जिम्मेदारी उठानी होगी।
उत्तर प्रदेश के लखनऊ में बांग्लादेश हिन्दू रक्षा संघर्ष समिति की ओर से लखनऊ विश्वविद्यालय से हजरतगंज चौराहे तक जनाक्रोश रैली निकाली गयी। रैली से पूर्व, विश्वविद्यालय के छत्रपति शिवाजी मैदान में आक्रोश सभा हुई, जिसे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय संपर्क प्रमुख रामलाल समेत विभिन्न मत-पंथ से जुड़े साधु-संतों ने संबोधित किया। इस माैके पर संघ के अखिल भारतीय संपर्क प्रमुख रामलाल ने चेतावनी दी कि बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार तत्काल बंद हों, अन्यथा बांग्लादेश को इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में क्रूरतम अत्याचार हो रहा है। हिन्दुओं की नृशंस हत्या हो रही है। मां-बहनों का अपहरण एवं हत्या हो रही है। हमारी मांग है कि वहां के हिन्दुओं पर अत्याचार बंद हो और इस्कान के संन्यासी चिन्मय कृष्ण दास को तुरन्त रिहा किया जाये। बांग्लादेश के हिन्दुओं का आह्वान किया कि हिम्मत से डटे रहो, भारत का हर हिन्दू आपके साथ खड़ा है। रैली के बाद बांग्लादेश हिन्दू रक्षा संघर्ष समिति ने हनुमान सेतु के सामने राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन लखनऊ के जिलाधिकारी सूर्यपाल गंगवार को सौंपा।
उत्तराखंड में देहरादून की सड़कों पर भी बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार के खिलाफ सामाजिक एवं धार्मिक संगठनों के कार्यकर्ताओं, व्यापारियों और बुद्धिजीवियों ने प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार को तुरंत रोके जाने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय और संयुक्त राष्ट्र से इस गंभीर मुद्दे पर हस्तक्षेप की भी अपील की। रैली में कैबिनेट मंत्री डॉ. प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि यह रैली एक वैश्विक संदेश है। मानवाधिकारों का उल्लंघन कहीं भी, कभी भी स्वीकार नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि भारत अपने पड़ोसी बांग्लादेश में अत्याचार झेल रहे हिन्दुओं के साथ मजबूती से खड़ा है। प्रदर्शकारियों ने केन्द्र सरकार और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों से अपील की कि वे बांग्लादेश सरकार के खिलाफ ठोस कदम उठाएं और बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करें। ऋषिकेश में भी मानव अधिकार रक्षा मंच, अखिल भारतीय संत समिति और तमाम हिंदू संगठनों ने बांग्लादे में हिन्दुओं पर अत्याचार के विरोध में प्रदर्शन कर उपजिलाधिकारी को राष्ट्रपति के नाम संबोधित ज्ञापन सौंपा। हरिद्वार में द ह्यूमन राइट्स वेलफेयर एसोसिएशन ने चंद्राचार्य चौक पर बांग्लादेश सरकार का पुतला फूंका।
उधर, राजस्थान के जयपुर में प्रबुद्धजनों के एक प्रतिनिधिमंडल ने बांग्लादेश की घटनाओं को लेकर संयुक्त राष्ट्र के महासचिव और राष्ट्रपति के नाम संबोधित एक ज्ञापन राज्यपाल को सौंपा। ज्ञापन में बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रही नियोजित हिंसा को रोकने, उनके मानवाधिकारों की रक्षा करने और बांग्लादेश में शांति सेना भेजने की मांग की गई। प्रतिनिधिमंडल में शामिल हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एनके जैन ने बताया कि राजस्थान नागरिक वृन्द बांग्लादेश की घटनाओं को लेकर आज राज्यपाल से मिले और उन्हें संयुक्त राष्ट्र के महासचिव के नाम एक ज्ञापन राज्यपाल को सौंपा।
उदयपुर में प्रदर्शन कर बांग्लादेश में हिंदुओं के उत्पीड़न पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय से हस्तक्षेप करने और चिन्मय कृष्ण दास की रिहाई की मांग की गयी। सर्व हिन्दू समाज के बैनर तले टाउनहॉल से विशाल रैली निकाली गई, जिसमें बड़ी संख्या में हिंदू समाज के लोग शामिल हुए। प्रदर्शनकारियों ने जिला कलेक्ट्रेट पहुंच कर राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा। इस रैली का नेतृत्व संतों ने किया, जिसमें बड़ी संख्या में महिलाओं ने भी भागीदारी की। सर्व हिंदू समाज ने चेतावनी दी कि यदि बांग्लादेश प्रशासन ने चिन्मय कृष्ण दास की रिहाई जल्द नहीं हुई तो विरोध प्रदर्शन और तेज किए जाएंगे।
हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में भी बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ जिला कांगड़ा के मुख्यालय धर्मशाला में विशाल रैली निकाली गई। रैली में बड़ी संख्या में हिन्दुत्वनिष्ठ संगठन के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं शहीद स्मारक से लेकर उपायुक्त कार्यालय तक रैली निकाली। प्रदर्शन में भाजपा के विधायक भी शामिल हुए। बाद में राष्ट्रपति के नाम संबोधित एक ज्ञापन भी जिला अधिकारी को सौंपा गया।
बिहार के भागलपुर में सैनिक स्कूल गणपत राय सलारपुरिया, सरस्वती विद्या मंदिर, पूरणमल सावित्री देवी बाजोरिया सरस्वती शिशु मंदिर सहित सभी शिशु मंदिर एवं विद्या मंदिर के लगभग छह हजार छात्रों ने मानव शृंखला बनाकर बांग्लोदश की घटनाओं पर विरोध जताया। उधर, हरियाणा के फतेहाबाद और फरीदाबाद में भी बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार के विरोध में प्रदर्शन किया गया। फतेहाबाद में प्रदर्शनकारियों ने लघु सचिवालय पहुंचकर एसडीएम को केन्द्र सरकार के नाम और फरीदाबाद में राष्ट्रपति के नाम संबोधित ज्ञापन उपायुक्त विक्रम सिंह को सौंपा।
असम के गुवाहाटी में भी बांग्लादेश की घटनाओं को लेकर लोक जागरण मंच के बैनर तले बांग्लादेश के सहायक उच्चायोग कार्यालय के सामने कई संगठनों ने प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने बांग्लादेश सहायक उच्चायोग को एक ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ अत्याचार को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की गयी है। ज्ञापन में मांग की गई कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार हिन्दुओं और अन्य अल्पसंख्यकों की गरिमा और शांति के साथ जीवन जीने के अधिकार को सुनिश्चित करे।
दार्जिलिंग के होटल बांग्लादेशियों के लिए बंद
बांग्लादेश की घटनाओं को लेकर भारत में आक्रोश बढ़ता ही जा रहा है। त्रिपुरा के बाद पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले के होटलों में भी अब बांग्लादेश के नागरिकों को ठहरने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। यह फैसला दार्जिलिंग जिले के ग्रेटर सिलीगुड़ी होटेलियर वेलफेयर एसोसिएशन ने सर्वसम्मति से लिया है। यह फैसला तत्काल प्रभाव से लागू भी कर दिया गया है। एसोसिएशन ने एक बयान में कहा कि वर्तमान संवेदनशील माहौल को देखते हुए यह कदम उठाया गया है।
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हिन्दुस्थान समाचार / सुनील सक्सेना