दिल्ली में उर्दू प्रेमियों और साहित्यकारों का शुक्रवार से लगेगा जमावड़ा

- राष्ट्रीय उर्दू भाषा विकास परिषद 21 से 23 फरवरी तक आईआईसी में आयोजित कर रही है विश्व उर्दू सम्मेलन

नई दिल्ली, 20 फ़रवरी (हि.स.)। राजधानी दिल्ली में देश-दुनिया के उर्दू भाषा के साहित्यकारों, क़लमकारों, शायरों और इस जबान से मोहब्बत करने वालों का एक बड़ा जमावड़ा होने जा रहा है। राष्ट्रीय उर्दू भाषा विकास परिषद (एनसीपीयूएल) 21 से 23 फरवरी तक इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में तीन दिवसीय विश्व उर्दू सम्मेलन का आयोजन करने जा रही है। सम्मेलन का विषय विकसित भारत का विजन, उर्दू भाषा का मिशन'' रखा गया है। यह जानकारी एनसीपीयूएल के डायरेक्टर डॉ. शम्स इकबाल ने आज आईआईसी के सभागार में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में दी।

सम्मेलन को संबोधित करते हुए डॉ. शम्स इकबाल ने विश्व उर्दू सम्मेलन के बारे में विस्तार से जानकारी दी और कहा कि परिषद पहले भी विश्व उर्दू कॉन्फ्रेंस का आयोजन करती रही है, लेकिन बीच में कोरोना और कुछ अन्य कारणों से यह सिलसिला रुक गया था। अब करीब छह साल के अंतराल के बाद हम यह वर्ल्ड उर्दू कांफ्रेंस आयोजित कर रहे हैं, जिसे हमने बिल्कुल अपरंपरागत शैली में डिजाइन किया है और उर्दू साहित्यिक मुद्दों के साथ-साथ समसामयिक और राष्ट्रीय जरूरतों और आवश्यकताओं को भी इसकी थीम का हिस्सा बनाया है।

उन्होंने कहा कि 21 फरवरी से शुरू होने वाला यह सम्मेलन अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस का उत्सव भी है और इसका मुख्य विषय भारत सरकार के ‘विकसित भारत@47’ के दृष्टिकोण पर आधारित है, जिसमें पढ़े जाने वाले पेपर और चर्चाएं शामिल हैं। इसके माध्यम से जहां हम उर्दू शिक्षा के विभिन्न पहलुओं तथा वर्तमान दौर में उर्दू भाषा एवं साहित्य के प्रचार-प्रसार पर चिंतन करेंगे, वहीं 2047 तक विकसित भारत के निर्माण में देश की अन्य भाषाओं के साथ उर्दू की अपेक्षित भूमिका पर भी स्वस्थ विमर्श होगा।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि किसी भी देश के विकास में समाज के अन्य वर्गों के साथ-साथ लेखकों और रचनात्मक लोगों की भागीदारी भी महत्वपूर्ण होती है। ऐसे में हमें सामूहिक रूप से इस बात पर विचार करना चाहिए कि हमारी भाषा के लेखक और रचनात्मक लोग किस प्रकार विकसित भारत के निर्माण में अपना योगदान दे सकते हैं। उन्होंने बताया कि उद्घाटन और समापन कार्यक्रमों के अलावा तीन दिवसीय सम्मेलन में सात तकनीकी सत्र भी होंगे, जिनमें शिक्षा के माध्यम के रूप में उर्दू, नई पीढ़ी में विभिन्न ज्ञान का प्रचार, वर्तमान शिक्षा प्रणाली में उर्दू की स्थिति, उर्दू के हित को आगे बढ़ाने के लिए मनोरंजन संसाधनों और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) का उपयोग, उर्दू रचनाओं में भारतीय संस्कृति और समाज का प्रतिबिंब और विदेशों में उर्दू आबादी के साथ सहज संचार स्थापित करना शामिल है।

उन्होंने कहा कि चूंकि उर्दू भाषा की एक आकर्षक और समृद्ध सांस्कृतिक पृष्ठभूमि भी है, जो मुशायरा, कव्वाली, शास्त्रीय नृत्य और संगीत आदि के माध्यम से परिलक्षित होती है, इसलिए हम उर्दू प्रेमियों के मानसिक मनोरंजन के लिए सम्मेलन के तीनों दिन सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित कर रहे हैं। सम्मेलन में एक दिन शाम के वक्त मुशायरा का आयोजन किया गया है। दूसरे दिन निजामी ब्रदर के जरिए सूफियाना कव्वाली की महफिल सजाई जाएगी। तीसरे दिन राधा-कृष्ण की शायरी पर तैयार किया गया एक म्यूजिकल ड्रामा पेश किया जाएगा।

डॉ. इकबाल ने बताया कि इस तीन दिवसीय सम्मेलन में 10 विदेशी मेहमानों के आने की संभावना है, इसमें से कुछ लोग आ चुके हैं बाकी आने वाले हैं। सम्मेलन में भारत के सभी उर्दू क्षेत्रों और संतुलित लिंग प्रतिनिधित्व पर ध्यान केंद्रित किया गया है तथा कनाडा, अजरबैजान, उज्बेकिस्तान, मिस्र, नेपाल, कतर और संयुक्त अरब अमीरात के कई उर्दू विद्वान भी ऑनलाइन और ऑफलाइन भाग ले रहे हैं। इसके अलावा देश के सभी राज्यों जिसमें महाराष्ट्र, तेलंगाना, कर्नाटक, ओडिशा, बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश से उर्दू से संबंध रखने वाले और उर्दू प्रेमी भाग लेने के लिए आ रहे हैं।

उन्होंने एक सवाल के जवाब में बताया कि बांग्लादेश और पाकिस्तान से इस सम्मेलन में भाग लेने के लिए किसी को निमंत्रण नहीं भेजा गया है और यहां से सम्मेलन में भाग लेने के लिए कोई भी नहीं आ रहा है। इस तीन दिवसीय सम्मेलन में कई सत्र आयोजित किए जाएंगे जिसमें उर्दू भाषा के विकास और उत्थान पर चर्चा की जाएगी और इसमें जो सुझाव आदि आएंगे बाद में एक रिपोर्ट तैयार करके उसे सरकार को भेजा जाएगा। सम्मेलन के विषय विकसित भारत का विजन उर्दू जबान का मिशन को दृष्टिकोण में रखते हुए ही पूरी रूपरेखा बनाई गई है। इस सम्मेलन में उर्दू की कई बड़ी हस्तियों के जरिए विभिन्न सत्रों में शोध पत्र पढ़े जाएंगे।

हिन्दुस्थान समाचार/ मोहम्मद ओवैस

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हिन्दुस्थान समाचार / मोहम्मद शहजाद

   

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