नई दिल्ली/पटना, 31 दिसंबर (हि.स.)। हमारा देश न केवल सांस्कृतिक विविधताओं और ऐतिहासिक धरोहरों के लिए जाना जाता है, बल्कि यह विश्व का सबसे युवा देश भी है। देश की 65 फीसदी जनसंख्या 35 वर्ष से कम आयु वर्ग में आती है, जो भारत को वैश्विक स्तर पर एक महत्वपूर्ण और प्रभावशाली शक्ति बना सकती है लेकिन इस शक्ति का सही दिशा में उपयोग करने के लिए हमारे युवाओं को जिम्मेदारी से अपने कौशल को और ज्यादा बढ़ाने की जरूरत है। ब्रिटिश लिंग्वा के संस्थापक एवं निदेशक डॉ. बीरबल झा ने यह बातें मंगलवार को पटना में संस्था द्वारा आयोजित रिंग आउट द ओल्ड, रिंग इन द न्यू कार्यक्रम के दौरान कहीं।
डॉ. झा ने कहा कि हमारे देश के युवा न केवल अपनी जीवनशैली में सुधार कर सकते हैं, बल्कि वे अपने कौशल और मेहनत के माध्यम से राष्ट्रीय विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं। उनका मानना है कि युवा पीढ़ी को केवल अपनी नौकरी के बारे में नहीं सोचना चाहिए, बल्कि उन्हें वैश्विक कल्याण और विश्व बंधुत्व में भी अपनी भूमिका निभानी चाहिए। उन्होंने स्वामी विवेकानंद के प्रसिद्ध उद्धरण उठो, जागो, और संघर्ष करो तबतक जबतक लक्ष्य न हाशिल हो जाय का हवाला देते हुए युवाओं से आग्रह किया कि वे इस उक्ति को आत्मसात करें।
उन्होंने कहा, हमारी युवा पीढ़ी को यह समझने की आवश्यकता है कि 21वीं सदी में कौशल और शिक्षा के बिना किसी भी व्यक्ति का भविष्य सुरक्षित नहीं हो सकता। हमें अपने ज्ञान और कौशल को समय के साथ अद्यतन करना होगा। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि आज के समय में जब दुनिया तेजी से डिजिटल हो रही है, तो अंग्रेजी भाषा का महत्व भी बढ़ गया है। डॉ. झा ने यह भी कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग हमारे युवा वर्ग के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है। इस तकनीकी युग में यदि हम अंग्रेजी में पारंगत नहीं होंगे, तो हमें अपनी प्रतिस्पर्धा में बहुत पीछे रहना पड़ेगा।
झा ने बिहार राज्य का उदाहरण देते हुए कहा कि बिहार में आज भी अंग्रेजी के महत्व को सही से समझा नहीं जा सका है। यदि राज्य में शिक्षा प्रणाली में बदलाव लाकर अंग्रेजी को अनिवार्य किया जाए, तो यह आने वाले वर्षों में हमारे युवाओं के लिए एक बड़ी ताकत साबित हो सकता है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि आज भी बिहार के कई छात्र-छात्राओं को दसवीं बोर्ड की परीक्षा में अंग्रेजी पास करने की अनिवार्यता नहीं है, जो उनकी भविष्य की सफलता के लिए एक बड़ा अवरोध है।
नए वर्ष के लक्ष्य तय करने का आह्वान
डॉ. बीरबल झा ने कार्यक्रम में उपस्थित छात्रों से आग्रह किया कि वे अपने पिछले साल की सफलता और विफलताओं का गहन मूल्यांकन करें और नए वर्ष के लिए स्पष्ट लक्ष्य तय करें। उन्होंने कहा, असफलताएँ हमें निराश नहीं करतीं, बल्कि वे हमें सिखाती हैं। अगर हम अपने अनुभव से सीखते हैं, तो कोई भी असफलता हमें हमारी मंजिल तक पहुंचने से रोक नहीं सकती। उन्होंने यह भी कहा कि नई सोच, नई ऊर्जा और नई दिशा के साथ हमें हर चुनौती का सामना करना चाहिए। यह नया साल हमारे लिए एक नई शुरुआत का प्रतीक है।
विदेशी अवसरों के संदर्भ में अंग्रेजी का महत्व
डॉ. झा ने इस कार्यक्रम में मौजूद छात्रों को दुनियाभर में मिलने वाले नए अवसरों के बारे में बताया। उन्होंने कहा, आजकल दुनिया में कुशल कार्यबल की कमी है, और भारत के पास एक सुनहरा अवसर है। उदाहरण के लिए, जर्मनी जैसे देशों ने भारतीय युवाओं के लिए विभिन्न क्षेत्रों में कार्य वीजा देने की घोषणा की है। लेकिन इस अवसर को प्राप्त करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकता अंग्रेजी भाषा में दक्षता है। बिना अंग्रेजी के ज्ञान के हम वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान नहीं बना सकते।
उनका यह भी मानना है कि अंग्रेजी सिर्फ एक भाषा नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा स्किल है जो हमें दुनिया से जोड़ता है। चाहे आप जर्मनी में काम कर रहे हों, जापान में या अमेरिका में, अंग्रेजी एक ऐसा सेतु है जो हमें अन्य देशों के साथ संवाद करने और अपने विचारों को साझा करने की क्षमता प्रदान करता है।
ब्रिटिश लिंग्वा की भूमिका
डॉ. बीरबल झा ने अपने संस्थान ब्रिटिश लिंग्वा के संस्थापक की भूमिका को भी स्पष्ट किया और कहा, ब्रिटिश लिंग्वा ने पिछले तीन दशकों में अंग्रेजी शिक्षा के क्षेत्र में लाखो युवाओं को प्रशिक्षित किया है। हमारा उद्देश्य केवल अंग्रेजी सिखाना नहीं है, बल्कि छात्रों को उस भाषा में निपुण बनाना है जो उन्हें वैश्विक प्रतिस्पर्धा में बढ़त दिलाए। हम छात्रों को न केवल भाषा कौशल प्रदान करते हैं, बल्कि उन्हें आत्मविश्वास, प्रोफेशनल कम्युनिकेशन और लीडरशिप के गुण भी सिखाते हैं।
भविष्य के लिए प्रेरणा
डॉ. झा ने इस अवसर पर छात्र-छात्राओं से यह भी कहा कि यह नया साल आपके लिए एक अवसर है, जिससे आप अपने लक्ष्यों को साकार कर सकते हैं। स्वामी विवेकानंद का एक और उद्धरण है - 'उठो, जागो और तब तक संघर्ष करो जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो।' यह विचार हमें अपने जीवन में कभी न हारने और कभी न रुकने की प्रेरणा देता है।
उन्होंने छात्रों से अपील की कि आपका भविष्य आपकी मेहनत पर निर्भर करता है। अगर आप आज मेहनत करेंगे, तो कल सफलता आपके कदम चूमेगी। अपने सपनों को पूरा करने के लिए आपको निरंतर प्रयास और मेहनत करने की आवश्यकता होगी।
इस अवसर पर संस्थान के कई छात्र-छात्राओं ने गीत, संगीत, नृत्य, नाटक आदि का रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किया और उपस्थित लोगों का भरपूर मनोरंजन किया। कार्यक्रम में शामिल होने वाले कुछ प्रमुख प्रतिभागियों के नाम उल्लेखनीय थे, जिनमें अविनाश पाण्डेय, आशीष शर्मा, ज्योति कुमारी, संदीप कुमार रौशन, आर्यन पाण्डेय, आदिब जेया, सपना कुमारी, प्रियांशु कुमारी आदि शामिल थे। डॉ. बीरबल झा ने कार्यक्रम के समापन पर सभी को नव वर्ष की शुभकामनाएं दी और कहा, नया साल आपके जीवन में नई ऊर्जा, नई दिशा और नई सफलता लेकर आए।
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हिन्दुस्थान समाचार / प्रजेश शंकर