तीन सौ साल बाद माधोराय के दरबार पहुंचे बंजार के श्रृंगा ऋषि

मंडी, 11 नवंबर (हि.स.)। बंजार घाटी के आराध्य देव श्रृंगा ऋषि छोटी काशी पहुंचे और श्री माधव राय के साथ भव्य मिलन किया। करीब तीन सौ साल बाद मंडी वासियों ने श्रृंगा ऋषि और राजदेवता माधोराय का मिलन देखा। इस दौरान श्रद्धालुओं ने उनके स्वागत में फूल बिछा रखे थे। भव्य स्वागत उपरांत देव श्रृंगा ऋषि श्रीरामर्चा महायज्ञ महोत्सव में पहुंचेए जहां उनका अदभुत स्वागत किया गया। इस दौरान पांच हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने उनके स्वागत में फूलों के ढेर लगा दिए। तदोपरांत देवता धर्म ध्वजा में परिक्रमा करते हुए काशी विश्वनाथ के दरवार में विराजमान हुएए जहां दंडी महात्माओं और साधु संतों सहित महंत राजेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज ने उनकी पूजा अर्जना कर आरती की। इस दौरान आईजी सौम्या साम्वशिवन भी मौजूद रहीं।

बता दें कि देव श्रृंगा ऋषि लंबे अंतराल बाद मंडी पधारे हैं, राजा जालिम सेन के समय मंडी आए थे उसके बाद आज मंडी आगमन हुआ है। श्रृंगा ऋषि के साथ हजारों देवलू, ढोल, नगाड़ों, करनाल, रण सिंगों और शहनाई के समवेत स्वरों पर झूमते हुए मांडव ऋषि की पावन भूमि में पधारे हैं। अब वे मंडी के पडडल मैदान में चल रहे श्रीरामर्चा महायज्ञ को संपन्न करवाएंगे। श्रृंगा ऋषि ने राजा दशरथ के घर पुत्रेष्टि यज्ञ को संपन्न करवाया था।

रानी कैकयी ने राजा दशरथ से मांगा वरदान

मंडी के पड्डल मैदान में हो रहे नौ दिवसीय श्रीरामार्चा महायज्ञ व श्रीराम कथा के छठे दिन श्री मानस पीठ खजुरीताल जिला मैहर मध्यप्रदेश से आए कथा व्यास श्रीमानस पीठाधीश्वर जगतगुरु श्री रामानंदाचार्य स्वामी श्री रामललाचार्य जी महाराज ने श्रीराम के अनौखे चरित्रों का वर्णन कर श्रद्धालुओं को भाव विभोर कर दिया। मंथरा ने रानी कैकयी को भटका कर राजा दशरथ से श्रीराम को वन जाने के लिए वरदान मांगने को कहा। रानी कैकयी ने ऐसा ही किया। इससे राजा दशरथ बहुत दुखी हुए। बता दें कि इस दौरान साध्वी डाक्टर प्राची ने भी श्रद्धालुओं को ज्ञान की बातें बताई।

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हिन्दुस्थान समाचार / मुरारी शर्मा

   

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