गुवाहाटी समेत असम के विभिन्न हिस्सों में दिखा महालया का उल्लासमय उत्सव

गुवाहाटीः ब्रह्मपुत्र नद के किनारे तर्पण किए जाने का दृश्य

-राजधानी गुवाहाटी सहित राज्य के विभिन्न हिस्सों में महालया का पर्व आज बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। महालया के दिन से ही दुर्गा पूजा की तैयारियों की शुरुआत होती है

गुवाहाटी, 02 अक्टूबर (हि.स.)। राजधानी सहित असम के विभिन्न हिस्सों में महालया का पर्व आज बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। महालया के दिन से ही दुर्गा पूजा की तैयारियों की शुरुआत होती है और लोकमान्यता के अनुसार, इस दिन मां दुर्गा धरती पर अवतरित होती हैं। महालया के इस विशेष अवसर पर राज्य के शहरों और कस्बों में श्रद्धालु भारी संख्या में जुटकर विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किये।

राजधानी गुवाहाटी के विभिन्न घाटों पर सुबह लोगों ने तर्पण किया। भारी संख्या में लोग नदी के किनारे घूमने आए। महालया के अवसर पर विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया था।

बिश्वनाथ जिले में महालया का उल्लास देखते ही बनता था। सुबह की ठंडी हवा में श्रद्धालुओं की भीड़ विभिन्न दुर्गा पूजा समितियों द्वारा आयोजित शोभायात्रा में शामिल हुई। खासकर महिलाएं और बच्चे देवी-देवताओं के वेश में सज-धज कर इस यात्रा में भाग ले रहे थे। सुबह के समय वातावरण भक्तिमय और आध्यात्मिक हो उठा था। लोगों ने मां दुर्गा के धरती पर आगमन का स्वागत किया और पूजा-अर्चना की। पूरे बिश्वनाथ में इस मौके पर उल्लास और उत्सव का माहौल बना हुआ था।

दूसरी ओर, दरंग जिले के मंगलदोई में भी महालया के अवसर पर एक अद्भुत दृश्य देखने को मिला। सुबह होते ही हजारों लोग सड़कों पर उतर आए। पुरुषों और महिलाओं ने देवी दुर्गा की स्तुति करते हुए पूरे शहर का भ्रमण किया। शोभायात्रा के अंत में भक्तों ने मंगलदोई नदी के किनारे दीप जलाकर मां दुर्गा का आह्वान किया। इस अवसर पर मंगलदोई का वातावरण पूरी तरह आध्यात्मिक और भक्तिपूर्ण हो गया था।

तामुलपुर के कौली में महालया पर विशेष प्रातः शोभायात्रा का आयोजन किया गया। यहां की 75वीं सार्वजानिक दुर्गा पूजा समिति ने इस यात्रा की अगुवाई की। ब्राह्मणों द्वारा चंडी पाठ के साथ यात्रा का शुभारंभ किया गया। प्रभातफेरी निकाली गई, जिसमें सैकड़ों लोगों ने भाग लिया।

गोलाघाट जिले के बोकाखात में महालया के दिन शहर के ऐतिहासिक बारवारी पूजा मंडप में श्रद्धालुओं की भीड़ सुबह से ही उमड़ने लगी थी। जिससे माहौल आध्यात्मिक हो गया। साथ ही डिफलू पथ के काक गोशानी चातनी थान में मां का आशीर्वाद लेने के लिए भारी संख्या में लोग उपास्थित हुए।

धुबड़ी जिले में महालया के दिन विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए गए। टाउन क्लब द्वारा एक भव्य शोभायात्रा निकाली गई। धुबड़ी के झंकार डांस ग्रुप ने धुबड़ी घाट पार्क में विशेष सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया। यहां महिषासुर वध का नाट्य रूपांतरण भी प्रस्तुत किया गया। इसके साथ ही, धुबड़ी के कालिबाड़ी मंदिर में भी विशेष पूजा और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।

शक्ति पूजा के प्रसिद्ध स्थल नलबाड़ी में महालया के साथ ही दुर्गोत्सव की तैयारियां तेज हो गईं। साहपुर के ऐतिहासिक राजाघाट दुर्गा पूजा की 105वीं वर्षगांठ की तैयारियां भी चल रही हैं। यह पूजा एक मुस्लिम परिवार द्वारा शुरू की गई थी। हर साल लाखों श्रद्धालु इस पूजा में भाग लेते हैं। इस बार पूजा स्थल पर सुरक्षा व्यवस्था भी सख्त की गई है, जिससे किसी भी अव्यवस्था को रोका जा सके।

गोलाघाट जिले के नुमालीगढ़ में महालया के दिन का दृश्य काफी उत्साहपूर्ण रहा। यहां महालया के उत्सव में भाग लेने आए सैकड़ों लोगों के साथ-साथ सड़क पर जंगली हाथियों का भी आगमन हुआ। मोरंगी इलाके के राष्ट्रीय राजमार्ग-39 पर हाथियों का झुंड सड़क पर विचरण करते दिखा, जिससे यात्रियों में थोड़ी देर के लिए दहशत का माहौल भी बना। हालांकि, महालया के उल्लास में कोई कमी नहीं आई और श्रद्धालु पूजा-अर्चना में जुटे रहे।

लखीमपुर जिले के ढकुआखाना के ऐतिहासिक श्रीश्री ईश्वरी हरि मंदिर में महालया के दिन विशेष पूजा और बलि विधान का आयोजन किया गया। इस मंदिर में 1722 ईस्वी में स्थापित शक्ति पीठ पर मां दुर्गा की पूजा की जाती है। महालया के दिन हंस और बकरों की बलि दी गई और अष्टमी के दिन यहां विशेष रूप से एक महिष की बलि दी जाएगी। मंदिर समिति ने सरकारी निर्देशों के अनुसार पूजा की पूरी तैयारियां कर ली है।

जोरहाट के गढ़आली क्षेत्र में महालया के अवसर पर सुबह से ही विशेष सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए। श्रद्धालुओं की भारी भीड़ यहां प्रातःकालीन शोभायात्रा और भक्ति संगीत में भाग लेने के लिए जुटी। यहां का वातावरण पूरी तरह आध्यात्मिक था। श्रद्धालुओं ने महालया की पवित्रता को मनाने के लिए धार्मिक आयोजनों में हिस्सा लिया। इस अवसर पर स्थानीय कलाकारों ने भक्ति संगीत और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से श्रद्धालुओं का मन मोह लिया।

कार्बी आंगलोंग के बोकाजान में महालय के अवसर पर बोकाजन के कालीबाड़ी में पूजा अर्चना के साथ ही विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इस समय लोगों में काफी उत्साह दिखाई दिया। सुबह से लोग विभिन्न मंदिरों में पूजा अर्चना करते देखे गये।

तिनसुकिया के लिडू में भी महालया का उल्लास देखने लायक था। यहां के श्मशान काली मंदिर में, दिशारी एनजीओ और मंदिर समिति द्वारा 'आगमनी' कार्यक्रम का आयोजन किया गया। श्रद्धालु बड़ी संख्या में सुबह से ही मां दुर्गा के आगमन का स्वागत करने के लिए सड़कों पर उतर आए। इसके अलावा, लिडू रेलवे रंगमंच में मृदु सुहासिनी नृत्यांजलि डांस अकादमी द्वारा विशेष सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए, जहां भक्तों ने भक्ति संगीत और नृत्य प्रस्तुतियों का आनंद लिया।

असम के हर कोने में महालया का उत्सव पूरी भव्यता के साथ मनाया गया। यह दिन असम के लोगों के लिए न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का भी संदेश देता है।

हिन्दुस्थान समाचार / देबजानी पतिकर

   

सम्बंधित खबर