जामा मस्जिद के शाही इमाम बुखारी ने प्रधानमंत्री के सामने रखी सरकार की निगरानी में बातचीत की पेशकश

जामा मस्जिद के शाही इमाम अहमद बुखारी

- जुमे के खुत्बे में मस्जिदों में खुदाई कर मूर्तियां ढूंढने के सिलसिले पर हमला बोला

नई दिल्ली, 06 दिसंबर (हि.स.)। दिल्ली की ऐतिहासिक जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने शुक्रवार को जुमे के खुत्बे (नमाज से पहले संबोधन) में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को संबोधित करते हुए देश से नफरत का माहौल खत्म करने के लिए सरकार की निगरानी में हिंदुओं और मुसलमानों के बीच बातचीत की पेशकश की है। उन्होंने कहा कि देश में व्याप्त नफरत के माहौल को समाप्त करने के लिए बातचीत ही एकमात्र हल है और इसके लिए सरकार को पहल करनी चाहिए।

अपने संबोधन में इमाम बुखारी ने प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि सरकार को वार्ता के लिए किसी केंद्रीय मंत्री को अधिकृत करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि हमारे देश में नफरत इतनी बढ़ गई है कि आज हमें अपने बच्चों के भविष्य को लेकर के चिंता होने लगी है। हमारी उम्र के लोगों का तो अब इस दुनिया से जाने का समय हो गया है, लेकिन हमारी नस्लें इस नफरत भरे माहौल में अपना जीवन कैसे व्यतीत कर पाएंगी। मस्जिदों में खुदाई कर मूर्ति ढूंढने का शुरू हुआ सिलसिला हमारे बीच में और भी नफरत को बढ़ावा देने वाला है। संभल की जामा मस्जिद के सर्वे के बाद वहां हुई हिंसा इसकी जीती जागती मिसाल है। वहां पर मासूम लोगों की जान गई, कई मांओं की गोद उजड़ गई और कई बहनों के सुहाग उजड़े हैं, आखिर इसका हिसाब कौन देगा?

उन्होंने कहा कि गौहत्या के नाम पर पर कितने मुसलमानों की लिंचिंग की गई, गौ-हत्या बंद होनी चाहिए। गौहत्या को रोकने के लिए कड़ा से कड़ा कानून बनाया जाना चाहिए, कोई मुसलमान इस कानून का विरोध नहीं करेगा। इसी के साथ ही सभी धर्मों के धार्मिक व्यक्तियों विशेष तौर से पैगंबर मोहम्मद साहब के प्रति आपत्तिजनक टिप्पणियों को रोकने के लिए एक कड़े कानून की जरूरत है। धार्मिक पेशवाओं के खिलाफ किसी भी तरह की अभद्र टिप्पणी करने वालों को सख्त से सख्त सजा देने के लिए कड़े कानून बनाए जाने चाहिएं। उन्होंने कहा कि आजकल इस तरह की टिप्पणी करके लोगों को वरगलाने और सड़कों पर लाने का प्रयास किया जाता है। इस तरह की बातों को रोकने के लिए कड़ा कानून बनाए जाने की जरूरत है।

उन्होंने प्रधानमंत्री का आह्वान किया कि आप हमेशा संविधान की बात करते हैं तो क्या संविधान में अल्पसंख्यकों विशेष तौर से मुसलमान को जीने का अधिकार नहीं है। अगर है तो उनके साथ भेदभाव क्यों किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मुसलमानों के साथ होने वाले भेदभाव को बंद किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम किसी राजनीतिक पार्टी के खिलाफ नहीं हैं और ना ही किसी राजनीतिक पार्टी का विरोध करते हैं, लेकिन जो राजनीतिक पार्टी मुसलमानों के प्रति नफरत फैलाने का काम करेगी, हम उसकी प्रशंसा कैसे कर सकते हैं।

हिन्दुस्थान समाचार/मोहम्मद ओवैस

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हिन्दुस्थान समाचार / मोहम्मद शहजाद

   

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