पानी के रिसाव से सूखी डल लेक, मछलियों को अस्थायी डैम में किया शिफ्ट

धर्मशाला, 2 अक्टूबर (हि.स.)।पर्यटन नगरी मैक्लोडगंज के साथ लगती प्रसिद्ध नड्डी डल लेक के आस्त्तिव पर संकट आ गया है। नड्डी डल झील पूरी तरह से सूख चुकी है, इसके चलते अब झील में ही छोटे अस्थाई डैम बनाकर बिन पानी तड़प रही मछलियों को शिफ्ट किया गया है। बुधवार को प्रशासन के साथ-साथ स्थानीय लोगों, तिब्बति समुदाय व तिब्बतियेन चिल्ड्रन विलेज टीसीवी के बच्चों के सहयोग से किचड़ में तड़पकर मरने को मजबूर मछलियों को उठाकर हल्के बनाए गए दो डैम में डाला गया है। जिससे पानी में उनका जीवन बचाया जा सकें। इसके साथ ही अब प्रशासन की ओर से झीलों के विशेषज्ञों से संपर्क किए जाने के प्रयास किए जा रहे हैं। जिससे कि उचित योजना बनाकर झील के रिसाव को रोकने के लिए काम किया जा सकें। गौर हो कि नड्डी डल झील में धार्मिक आस्थाएं भी जुड़ी हुई है, जिसमें मणिमहेश की तर्ज पर ही शाही स्नान का महत्व रहता है।

मौजूदा समय में नड्डी डल झील का जलस्तर में भारी गिरावट के चलते तलाब का अधिकांश हिस्सा किचड़ में बदल चुका है, जिससे मछलियों का जीवित रहना मुश्किल हो गया है। स्थानीय लोगों व तिब्बति समुदाय लोगों-छात्रों ने स्थिति को गंभीरता से लेते हुए मछलियों को वहां से निकाल कर एक नए बनाए गए तालाब में डालने के कार्य प्रशासन के साथ मिलकर किया है। इस काम को करने के लिए तिब्बतियेन स्कूली बच्चों ने भी काफी सहायता की है। स्थानीय लोगों व प्रशासन की ओर से मछलियों को सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित किए जाने से काफी मछलियों की जान बच गई। स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकार, प्रशासन व विभाग बार-बार आश्वासत देते हैं कि वह इस डल झील के संरक्षण के लिए काम करेंगे, लेकिन अब तक कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया गया है। इससे न केवल मछलियों की जान जा रही है, बल्कि पर्यटन व धार्मिक आस्थाओं के साथ भी खिलवाड़ हो रहा है। स्थानीय लोगों ने बताया यह कोई नई समस्या नहीं है। हर साल बारिश के बाद इसी तरह की समस्या का सामना करना पड़ता है, लेकिन सरकार इसके लिए कुछ नहीं कर रही है।

उधर, एसडीएम धर्मशाला संजीव भोट ने बताया कि नड्डी डल झील के साथ ही बिना रिसाव वाले स्थान पर दो डैम बनाए गए हैं, जंहा पर मछलियों को स्थानीय लोगों की मदद से शिफ्ट किया गया है। उन्होंने बताया कि अब झील वैज्ञानिकों व आईआईटी से संपर्क कर विशेषज्ञों की राय लेकर झील के रिसाव को दुरूस्त किए जाने की योजना पर काम किया जा रहा है।

डल झील पर अब तक 4.67 करोड़ रुपए खर्च

पहले भी कई बार डल झील में रिसाव के कारण यह सूख चुकी है जिसके चलते इसके रिसाव को रोकने और सौंदर्यीकरण पर अब तक साढ़े चार करोड़ से अधिक खर्च किये जा चुके हैं। बाबजूद इसके पानी का रिसाव नही रुक पाया है। उधर शाहपुर के विधायक एवं उप मुख्य सचेतक केवल सिंह पठानिया ने कहा कि डल झील से रहे रिसाव को लेकर विभाग से अब तक खर्च किए पैसों को ब्योरा मांगा गया था। जिसके तहत अब तक 4.67 करोड़ रुपए खर्च किए गए है। अब डल झील के रिसाव का स्थायी हल निकाला जाएगा।

हिन्दुस्थान समाचार / सतिंदर धलारिया

   

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